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पुतुल समारोह के समापन पर दर्शक अभिभूत

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19 Nov 19
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पुतुल समारोह के समापन पर दर्शक अभिभूत

उदयपुर | संगीत नाटक आकदेमी, नई दिल्ली एवं भारतीय लोक कला मण्डल के सहयोग से आयोजित हो रहे ५ दिवसीय पुतुल समारोह का समापन हुआ।

भारतीय लोक कला मण्डल के निदेशक डॉ. लईक हुसैन एवं संगीत नाटक अकादमी कि पुतुल समन्वयक श्रीमती शुभा सक्सेना ने बताया कि संस्था के मुक्ताकाषी रंगमंच पर  ५ दिवसीय पुतुल समारोह के समापन अवसर पर दिनांक  १८ नवम्बर, सोमवार को अंतर्राश्ट्रीय ख्याति प्राप्त निर्देशक-दादी पदमजी द्वारा निर्देषित  पुतुली नाटिका अनोखे वस्त्र, का प्रदर्षन दिल्ली के इशारा पपेट थिएटर ट्रस्ट द्वारा किया गया इसके अतिरिक्त समकालीन पुतुल थिएटर, महाराष्ट्र के सत्यजित रामदास पाध्ये द्वारा फंटास्टिक शो, - तथा पारंपरिक धागा पुतुल शैली में कर्नाटक के धातु दल द्वारा अनुपमा होस्करे द्वारा निर्देषित पुतुल नाटिका, मूषिका कथा का मंचन हुआ।

   अनोखे वस्त्र हंस क्रिश्चियन एंडरसन के द एम्परर्स न्यू क्लोद्स पर आधारित एक राजा के फैशन के प्रति अपने जुनून से जुडा हुआ प्रसंग है जिसमें , बार-बार सुना जाने वाला एक ऊर्जावान तथा प्रफुल्लित करने वाला उत्कृष्ट कथानक है। इस नाटक में बडे-बडे मुखौटों तथा रंग-बिरंगे परिधानों का प्रयोग किया गया, साथ ही ब्राजील तथा अन्य देषों के प्रसिद्ध संगीत एवं लयताल का समायोजन इस नाटिका में किया गया। इशारा दल ने इस कथानक का हिंदी में इतना सुंदर रूपांतरण किया है वह मूल कथानक से भी सुंदर बन पडा है, तथा इसे आज के समय में भी उतना ही सम- सामायिक बन पडा है। लोकप्रिय संस्कृति में वाक्यांश ’’द एंपरर्स न्यू क्लोद्स ’’ एक रूपक की भांति प्रयोग किया जाता है जो सामूहिक तौर पर खोखले, जबरदस्ती की डींगे हांकने वाले, पाखंडी तथा आडंबर का प्रदर्शन करने वाले लोगों पर एक तमाचा है। यहां एक बच्चे को शुद्ध हृदय वाले इंसान के तौर पर प्रस्तुत किया गया है, जो नग्न सत्य को देख सकता है। यह कथा हमें साहस के साथ सत्य कहने के लिए प्रेरित करती है चाहे सामने सुनने वाला कोई भी हो।

पुतुल नाटक अनोखे वस्त्र का निर्माण ८० के दशक के अंतिम भाग में हुआ था तथा यह युवा तथा प्रौढों में समान रूप से लोकप्रिय है।

फंटास्टिक पुतुल नाटिका - मपेट पुतुल कला पर आधारित अत्यंत मनोरंजक (वेन्ट्रोलोकिस्ट) पूर्ण कला है। इसके प्रदर्शन में बहुत ही सुंदर एवं मन मोहक पुतली का प्रयोग किया गया,  जो अपने रोचक प्रदर्शन से हंसा हंसा कर प्रत्येक दर्शक को हिला देती हैं। सत्यजीत की तीक्ष्ण हाजिर जवाबी तथा गुदगुदा देने वाला परिहास इन बेजान चरित्रों में जान फूंक देता है।

मूशिका कथा पुतुल नाटिका पंचतंत्र की कहानी ’मूषिका कथा’ पर आधारित है।  कथा  एक सिद्ध ऋषि याज्ञवल्क्य के दया भाव पर केन्दि्रत है। जिसमें ऋषि याज्ञवल्क्य को बाज के चंगुल से बच गई एक चुहिया मिलती है।  जिस पर उन्हें अत्यंत करुणा उत्पन्न होती है और वे उसके प्रति अपना  उत्तरदायित्व समझते हैं। जिसके तहत वे उस मूषिका को अपने तपोबल के द्वारा एक सजीव कन्या में परिवर्तित कर देते हैं तथा उसका पालन-पोषण करते हैं। इस पुतुल नाटक के प्रदर्शन में हमारे परम पूज्यनीय सूर्य, पवन, बादल, तथा पर्वत आदि को मानवीय स्वरूप में प्रस्तुत किया गया है। इस कथानक के प्रसंग में मूषिका से कन्या बनी लडकी को अपने लिए वर का चुनाव करना होता है। जिसमें वह अपने विवाह के लिए आने वाले अच्छे-अच्छे व्यक्तियों को अपने लिए अयोग्य मानते हुए वर के स्वरूप में अंततोगत्वा एक मूषक का चुनाव करती है। बहुत ही सुंदर और सहज ढंग से दर्शकों के बीच अपनी यह बात रखने में सफल होता है कि किसी भी व्यक्ति की आंतरिक वृत्ति में कोई परिवर्तन नहीं किया जा सकता है।

भारतीय लोक कला मण्डल के निदेषक ने समारोह के अंत में संगीत नाटक अकादेमी, नई दिल्ली, सभी पुतली दलों का, अतिथियों, मिडिया एवं सभी दर्षकों का धन्यवाद ज्ञापित किया और कहा कि संस्था द्वारा आगे भी इस तरह के आयोजन किये जाएगें।


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