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पुतुल समारोह

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18 Nov 19
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पुतुल समारोह

उदयपुर | ५  दिवसीय राष्ट्रीय पुतुल नाट्य समारोह के चोथे दिन हुए  टेमिंग आफ द वाइल्ड, अबाउट राम और सोनाड डिघी, पुतुल नाटिकाओं को देख दर्षक अभिभूत हुए।

भारतीय लोक कला मण्डल के निदेशक डॉ. लईक हुसैन एवं संगीत नाटक अकादमी कि पुतुल समन्वयक श्रीमती शुभा सक्सेना ने बताया कि संस्था के मुक्ताकाषी रंगमंच पर संगीत नाटक आकदेमी, नई दिल्ली एवं भारतीय लोक कला मण्डल के सहयोग से आयोजित हो रहे ५ दिवसीय पुतुल समारोह के चौथे दिन दिनांक  १७ नवम्बर, रविवार  को पं.बंगाल डॉल्स थिएटर दल द्वारा सुदीप गुप्ता द्वारा निर्देषित, पुतली नाटिका टेमिंग आफ द वाइल्ड, कटकथा पपेट आर्टस ट्रस्ट दिल्ली के दल द्वारा अनुरूपा रॉय निर्देषित  अबाउट राम  तथा पं.बंगाल के टाकी पुतुल नाच पार्टी द्वारा मदन मोहन हालदार द्धारा निर्देषित, पुतुल नाटिका सोनाड डिघी का मंचन हुआ ।

उन्होने बताया कि ५ दिवसीय पुतुल समारोह में देष के विभिन्न राज्यों से १५ पुतुल दलों द्वारा विभिन्न षैलियों में प्रदर्षन किया जा रहा है।

टेमिंग ऑफ द वाइल्ड  पुतुल नाटिका में प्रकाश और पुतुल संचालन के जरिये प्राकृतिक सुंदरता,  पर्यावरण की देखभाल एवं प्रदूषण को रोकने का संदेश दिया गया है ।

अबाउट राम  कथा भगवान श्रीराम के जीवन-वृत्त को दर्शाने के लिए है।  उनके पिता द्वारा उन्हे एवं उनकी पत्नी सीता और अनुज लक्ष्मण को चौदह वर्ष का वनवास दे दिया गया था। वनवास के दौरान ही लंका के राजा रावण के द्वारा देवी सीता का अपहरण कर लिया जाता है तथा उन्हें बंदी बना लिया जाता है। राम, विशाल समुद्र के किनारे बैठे हुए असहाय और सामर्थ्यहीन होकर समुद्र के उस पार लंका को देख रहे हैं और अपनी प्रिय सीता से मिलने के लिए उडकर अथाह समुद्र को पार कर जाना चाहते हैं। उनकी इस इच्छा की पूर्ति के लिए पुतुल कलाकार हनुमान के मुखौटे में अद्भुत तथा अदम्य साहस से युक्त एक सुपर हीरो प्रस्तुत करते हैं। जिसके हृदय में श्री राम का वास है और इन्हीं के प्रताप से शक्तिशाली वानर रूपी हनुमान छलांग मारकर समुद्र को पार कर के सीता तक

पहुंच जाते हैं। इस प्रदर्शन में राम  और रावण के बीच घमासान धर्म-युद्ध होता है तथा अंत में श्री राम की विजय होती है। राम राजा बनते हैं तथा उन्हें राजगद्दी के प्रति अपने दायित्वों के निर्वाह तथा अपनी पत्नी के प्रेम के बीच किसी एक का चुनाव करना पडता है। राजा बनने के बाद श्री राम अकेले ही वर्षों तक राज्य करते हैं।

 

सोनाड डिघी , बृजेंद्र कुमार डे द्वारा लिखित ऐतिहासिक जात्रा नाटक है, जिसके माध्यम से वह हिंदू-मुस्लिम बंधुत्व का संदेश प्रसारित करते हैं। कथा में माधव रॉय जमीदार प्रताप रुद्र का पुत्र है। जो एक बहादुर एवं सशक्त लडका है। वह सोनाई के प्रेम में पड जाता है। बाबना काजी तथा बटुक ठाकुर के द्वारा उकसाने पर माधव रॉय और सोनाई उग्र हो जाते हैं। सोनाई का मामा इस निरंकुशता को बर्दाश्त करने को तैयार नहीं है वह अपने साथ हो रहे अन्याय पूर्ण कार्यों का विरोध करता है.

बाबना काजी के निर्देश पर सोनाई को अगुवा कर लिया जाता है। बटुक ठाकुर की पत्नी भी इस अन्याय के विरोध में खडी होती है तथा इस अन्याय से छुटकारा पाने के लिए कृतसंकल्प है। परंतु इसी समय एक मुस्लिम नवाब हुसैन साहू इस अन्याय और तुष्टिकरण का विरोध करता है। मुस्लिम होने के बावजूद भी वह हिंदू स्त्री पर होने वाले अत्याचार को सहन नहीं करता तथा अपनी ही जाति के बाबना काजी को अपने ही हाथों मृत्युदंड देने से भी नहीं हिचकिचाता। इसी कारण नाटक ’सोनाई डिघी’ में हुसैन साहू का यह चरित्र आज भी सम्माननीय स्थान रखता है। वर्तमान में हमारा देश भारत बुरी तरह से संप्रदायिकता से जूझ रहा है। यह पुतुल नाटक ’सोनाई डिघी’ अपने प्रदर्शन के माध्यम से देश के सभी स्त्री-पुरुषों के बीच प्रेम का संदेश प्रसारित करता है।

समारोह के अंतिम दिन  दिनांक १८ नवम्बर को समकालीन पुतुल थिएटर, दिल्ली के इशारा पपेट थिएटर ट्रस्ट का अनोखे वस्त्र, अंतर्राश्ट्रीय ख्याति प्राप्त निर्देशक-दादी पदमजी एवं समकालीन पुतुल थिएटर, महाराष्ट्र के  सत्यजित रामदास पाध्ये का फंटास्टिक शो, निर्देशक- सत्यजीत पाध्ये तथा पारंपरिक धागा पुतुल शैली में कर्नाटक का धातु , मूषिका कथा , निर्देशक-अनुपमा होस्केरे के प्रदर्शन होगे ।


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