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प्रसार व्याख्यान में इतिहास लेखन की वैज्ञानिक पद्धति अपनाने पर बल.: प्रो. दिलबाग सिंह

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03 Oct 19
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Kapil Verma

उदयपुर पेसिफिक विश्वविद्यालय में सामाजिक विज्ञान एवं मानवीकि महाविद्यालय के इतिहास विभाग के तत्वाधान ‘‘इतिहास लेखन की वैज्ञानिक एवं ऐतिहासिक

प्रसार व्याख्यान में इतिहास लेखन की वैज्ञानिक पद्धति अपनाने पर बल.: प्रो. दिलबाग सिंह

उदयपुर पेसिफिक विश्वविद्यालय में सामाजिक विज्ञान एवं मानवीकि महाविद्यालय के इतिहास विभाग  के तत्वाधान ‘‘इतिहास लेखन की वैज्ञानिक एवं ऐतिहासिक स्त्रोतों के विषय की वैधता‘‘ विषय पर व्याख्यान आयोजित किया गया।

पेसिफिक सामाजिक विज्ञान एवं मानवीकि महाविद्यालय की अधिष्ठाता प्रोफेसर भावना देथा ने बताया कि जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के ख्यातनाम इतिहास के प्रोफेसर दिलबाग सिंह जी ने कहा कि ऐतिहासिक दस्तावेजों के विविध पक्षों को ऐतिहासिक प्रमाणों के आधार पर परीक्षण की आवश्यकता है।

डॉ. दिलबाग सिंह ने कहा आज हमें इतिहास लेखन का स्वरूप राजतंत्रात्मक , औपनिवेशक व यूरोपीय दृष्टिकोण से हटकर राष्ट्रीय दृष्टिकोण से पुनः लेखन की आवश्यकता है।  डाँ सिंह ने कहा मुस्लिम शासकों के दरबारी इतिहास लेखन व अंग्रेजों का  लेखन एकपक्षीय रहे ह। आपने राजस्थान , महाराष्ट्र एवं कश्मीर  राज्यों के इतिहास से संबधित उपलब्ध  अभिलेखीय दस्तावेजों का उपयोग करने पर बल दिया।

    इससे पूर्व अधिष्ठाता पी.जी. प्रोफेसर हेमन्त कोठारी अतिथियों का स्वागत किया । इस अवसर पर वरिष्ठ इतिहासकार प्रोफेसर के.एस. गुप्ता , जनरल ए.के.सिंह जी, प्रो. गिरीशनाथ माथुर, प्रो. जी.एल.मेनारिया, प्रो. दिग्विजय भटनागर, डॉ. मोहब्बत सिंह राठौड, प्रतापसिंह तलाबदा, डॉ. राजेन्द्रनाथ पुरोहित, जयकिशन चौबे, इंद्रसिंह राणावत उदयभानसिंह करजाली, डॉ. मनोज दाधीच, डॉ. सौरभ त्यागी, डॉ. मीनाक्षी , डॉ. लीना शर्मा, डॉ मीनाक्षी मेनारिया डॉ. ईवान, डॉ. शिरिष नाथ माथुर आदि उपस्थित रहे।

संचालन डॉ अजातशत्रु सिंह शिवरती ने किया।

                                      

 


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