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“मैनेज हो जायेगा“ को बनावें सफलता का मूलमंत्र - प्रो. समिश दलाल

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18 Sep 19
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“मैनेज हो जायेगा“ को बनावें सफलता का मूलमंत्र - प्रो. समिश दलाल

उदयपुर । “व्यवसायियों से प्रायः यह सुनने को मिलता है कि बिजनेस तो अच्छा है लेकिन थोडी मन्दी है। वास्तव में मन्दी केवल लोगों के दिमाग है। मन्दी की अवधारण ज्यादा पढे-लिखे लोगों की समस्या है। मैं यह गारन्टी देता हूं कि अगले १० सालों तक देश में कोई मन्दी नहीं आने वाली है।“

उपरोक्त विचार प्रोफेसर समिश दलाल ने यूसीसीआई में व्यक्त किये।

उदयपुर चेम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्री द्वारा यूसीसीआई भवन के पी.पी. सिंघल सभागार में अपरान्ह ४ बजे देश के जाने-माने विषय विशेषज्ञ प्रोफेसर समिश दलाल के व्याख्यान का आयोजन किया गया। प्रो. समिश दलाल ने आर्थिक मन्दी के दौर में पारिवारिक व्यवसाय को आगे कैसे बढाएं विषय पर प्रतिभागियों को जानकारी दी।

कार्यक्रम के आरम्भ में अध्यक्ष श्री रमेश कुमार सिंघवी ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि व्यावसायिक परिदृष्य में आ रहे बदलाव को देखते हुए पारिवारिक व्यवसाय में भी बदलाव किया जाना आवश्यक है। परम्परागत व्यवसाय में प्रोफेशनल मार्गदर्शन प्राप्त होने पर वे अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं। श्री सिंघवी ने आशा प्रकट की कि इस विषय पर प्रोफेसर समिश दलाल का व्याख्यान प्रतिभागियों के लिये उपयोगी सिद्ध होगा।

उपाध्यक्ष श्री मनीष गलूण्डिया ने प्रोफेसर समिश दलाल का परिचय प्रस्तुत करते हुए बताया कि प्रोफेसर समीश दलाल मुंबई के एस.पी. जैन कॉलेज में मैनेजमेन्ट के एसोसिएट प्रोफेसर हैं और परस्पर संवाद, उद्यमशीलता और नवाचार के क्षेत्र में माहिर हैं। उन्होंने क्वीन्सलैंड विश्वविद्यालय, ऑस्ट्रेलिया से एम.बी.ए. किया है और हार्वर्ड बिजनेस स्कूल और व्हार्टन बिजनेस स्कूल में दो प्रमुख कार्यकारी शिक्षा कार्यक्रमों के माध्यम से अपने कौशल को और बढाया है।

वे पारिवारिक व्यवसायों के मामलों में कई वर्षों का लंबा अनुभव रखते हैं। उन्होंने पारिवारिक व्यवसाय विषय पर ४००० से अधिक छात्रों को पढाया है और ५०० से अधिक भारतीय पारिवारिक व्यवसायों से सम्बन्धित मामलों का अध्ययन करते हुए केस स्टडीज तैयार की हैं। उनकी केस स्टडीज विश्व के सर्वश्रेष्ठ बेस्ट सेलर हैं और उन्हें टेडएक्स पर भी व्याख्यान हेतु आमंत्रित किया जाता है।

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रोफेसर समिश दलाल ने अपने सम्बोधन में जानकारी दी कि हमारी संस्कृति उपभोक्तावादी संस्कृति है। लगातार बढती आबादी को उत्पाद और सेवाओं की भी लगातार जरूरत रहेगी। अव्यवस्थित और जुगाड पर काम करना हमारी संस्कृति है, जो कभी फेल नहीं होती। समय कभी भी व्यवसाय के लिये अनिश्चित नहीं होता और पारिवारिक व्यवसाय सभी तरह के उतार-चढाव झेल सकता है। अपने वर्तमान ग्राहक और सम्भावित ग्राहक को समय देकर उसकी जरुरतों को समझने का प्रयास करें। उद्यमी दूसरे मार्केट के सफल उत्पाद को जरूरत के अनुरूप मोडिफाई करके उपने मार्केट में सफल बनाया जा सकता है।

प्रो. दलाल ने बताया कि पुरानी पीढी को नई पीढी के साथ तालमेल बैठाना तथा नई पीढी के नये विचारों को स्वीकार करना जरूरी है। हमेशा अपनी अगली पीढी को समसयाओं के बजाय समाधान ढूंढने पर फोकस करना सिखावें। उन्होंने प्रतिभागियों से कहा कि अपने काम में सिरीयस होने के बजाय सिन्सीयर होने का प्रयास करें तथा अपने काम का वैकेशन की तरह आनन्द लें।

कार्यक्रम का संचालन मानद महासचिव श्री प्रतीक हिंगड ने किया। कार्यक्रम में लगभग २०० प्रतिभागियों ने भाग लिया।

कार्यक्रम के अंत में वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री हेमन्त जैन ने सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया।


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