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कटु वचन बढाते हैं संघर्ष : प्रसन्न मुनि

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31 Aug 19
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कटु वचन बढाते हैं संघर्ष : प्रसन्न मुनि

उदयपुर। तेरापंथ भवन में शुक्रवार को पर्युषण के चौथे दिन वाणी संयम दिवस पर मुनि प्रसन्न कुमार ने कहा कि बोलना एक कला है। आदमी कितनी ही ऊंची पोस्ट पर हो, कितना ही पढा लिखा हो, बडा नेता हो या समाज सुधारक। विनम्र और मधुरभाषी होना जरूरी है। कम पढा लिखा व्यक्ति भी मधुर वाणी से प्रभाव छोड देता है।

उन्होंने कहा कि भाषा पर हमारा नियंत्रण होना चाहिए। वाक शैली में जादुई प्रभाव होता है। वशीमंत्र से प्रभावी वाकपटुता होती है। व्यक्तित्व विकास में भाषा परिमार्जन पर बल दिया जाता है। देशों की भाषा आपसी मैत्री भाषा संवाद के आधार पर होती है। समाज, परिवार में भाषा को कटुता पर महाभारत हो जाती है। साम्प्रदायिक दंगे भाषा की चूक से होते हैं। राजा, नेता, समाज नेताओं और धर्म गुरुओं को भाषायी ज्ञान लेना चाहिए।

मुनि श्री ने कहा कि शास्त्रों में ४ में से भाषा और व्यवहार भाषा विचार कर बोलने की हिदायत दी गयी है। असत्य और मिश्र भाषा नहीं बोलनी चाहिए। चलते समय लगा हुआ कांटा निकाला जा सकता है लेकिन कटु वचन से दिल में लगा कांटा निकालना बहुत मुश्किल है। जन्म जन्म के वैर भाव को आमंत्रण देता है। उन्होंने भगवान के जीवन चरित्र और और जैन मानव इतिहास का चित्रण किया।

सभाध्यक्ष सूर्यप्रकाश मेहता ने बताया कि आचारांग सूत्र का पाठ, पर्युषण अनुष्ठानों तैले, चौले और अठाई की तपस्या की बहार आ गयी है।

मुनि धैर्य कुमार ने गीत के माध्यम से वाणी पर संयम रखने संबंधी बातें बताई। करने की महत्ता बताई। महिला मंडल अध्यक्ष सुमन डागलिया ने बताया कि महिला मंडल की बहनों ने मंगलाचरण किया।

तेयुप अध्यक्ष अभिषेक पोखरना ने बताया कि सामायिक दिवस पर कल सुबह १३०० से अधिक अभिनव सामायिक की गई। श्रावक-श्राविकाओं ने अच्छी उपस्थिति दर्ज कराई।


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