उदयपुर। तेरापंथ भवन में चातुर्मास के लिए विराजित मुनि संजय कुमार ने कहा कि तपस्या भाग्यशाली ही कर सकता है। किसी प्रलोभन या आकांक्षा के लिए तपस्या नहीं करनी चाहिए। आत्म पवित्रता के लिए ही तपस्या होनी चाहिए। वे संघ की श्राविका हेमलता चव्हाण के मासखमण (३१ दिन) की तपस्या पर तप अभिनंदन समारोह को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि तप के दौरान आवेश या आवेगपूर्ण नहीं रहकर शांत रहना चाहिए। तप से सतगुण की वृद्धि होती है। तमो और रजो गुण को बढाना नहीं चाहिए। तपस्या से पापकर्म समाप्त हो जाते हैं।
मुनि प्रसन्न कुमार ने कहा कि तप, व्रत, रोजे की परंपराएं सभी धर्मों में हैं। किसी में आंशिक तो किसी में कठोरता से होती है। जैनों में अन्न-जल भी छोड देते हैं। ३१ दिन तक सिर्फ पानी के सहारे रहना बहुत कडी तपस्या है। ऐसी महात्माओं के कारण ही संसार में शांति अमन है।
प्रकाश मुनि ने कहा कि तप के साथ सौदेबाजी न हो। स्वार्थ नहीं जुडे। परमार्थ भावना से जुडें। उन्होंने आहार विज्ञान के प्रयोग भी करवाये।
मुनि धैर्यकुमार ने गीत प्रस्तुत किया। हेमलता का जीवन परिचय उषा चव्हाण द्वारा दिया गया। सभा, महिला मंडल एवं युवक परिषद अध्यक्षों द्वारा अभिनंदन पत्र, सहित्य से तपस्वी बहन का सम्मान किया । संचालन महिला मंडल अध्यक्षा सुमन डागलिया ने किया।