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हर पुलिस थाना बनें बाल मित्र पुलिस थाना -डॉ. पण्ड्या

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28 Oct 20
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हर पुलिस थाना बनें बाल मित्र पुलिस थाना -डॉ. पण्ड्या

उदयपुर, राजस्थान राज्य बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष के निर्देशानुसार उदयपुर जिले में बाल तस्करी प्रकरण की जांच के लिए गठित कमेटी के सदस्यों ने बुधवार को सर्किट हाउस में  जिला स्तरीय अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक ली। इस कमेटी में आयोग सदस्य डॉ. शैलेन्द्र पंड्या, श्रीमती नुसरत नकवी व श्रीमती वन्दना व्यास शामिल है।
बैठक के दौरान सदस्यों ने जिले में बाल श्रम एवं बाल तस्करी के प्रकरणों पर चर्चा करते हुए संबंधित विभागों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। डॉ. पंड्या ने सभी विभागों को बाल श्रम की रोकथाम एवं बांल संरक्षण के लिए समन्वित प्रयास करने की बात कही। उन्होंने कहा कि जिला एवं ब्लॉक स्तर पर बाल संरक्षण के क्षेत्र में कार्य कर रहे विभिन्न विभागों, संस्थाओं एवं स्वयंसेवी संस्थाओं को मिलकर यह जिम्मा उठाना होगा, जिससे हमारा उदयपुर बालश्रम से मुक्त हो सके। उन्होंने कहा कि हम सभी को मिलकर उदयपुर को चाइल्ड फ्रेंडली बनाने की आवश्यकता है।
 डॉ. पंड्या ने पुलिस विभाग को चैक पोस्ट पर कड़ी कार्यवाही करने, ट्रेकिंग सिस्टम को प्रभावी बनाने एवं नियोक्ताओं पर निगरानी रखने को कहा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार बालकों के सर्वांगीण विकास एवं उचित संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है और बच्चों के लिए आयोग के पास बजट की कोई कमी नहीं है, बस उस बजट का समुचित उपयोग बालकों के उचित संरक्षण में हो ।
नियमित फोलोअप हो
आयोग सदस्य श्रीमती नुसरत नकवी ने रेक्सयू किये गये बालकों का नियमित फोलोअप करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि ऐसे बालकों पर विशेष नजर रखी जाए। ड्रॉपआउट बालकों को पुनः शिक्षा से जोड़ने या कौशल विकास से जोड़ने के प्रयास किए जाए। साथ ही उन्हें शिक्षा के साथ ऐसे अवसर उपलब्ध कराए जाए जिससे वे पलायन की तरफ न बढ़ सके।
उन्होंने इस दिशा में कार्य कर रहे विभागों एवं संस्थाओं से कहा कि बाल संरक्षण के क्षेत्र में कार्य करने के दौरान यदि कोई समस्या आती है तो आपसी समन्वय से उसका निराकरण करें और न हो तो आयोग को अवगत कराएं, जिससे उचित समाधान हो सके। उन्होंने जिले में पोक्सों एक्ट के प्रकरणों के संबंध में भी समीक्षा की।
स्वास्थ्य एवं पोषण पर दिया जोर
आयोग सदस्य श्रीमती वन्दना व्यास ने जिले में बालकों के स्वास्थ्य एवं पोषण की स्थिति के बारे में समीक्षा करते हुए जनजाति क्षेत्रों में विशेष प्रयास करने पर जोर दिया। उइसके लिए उन्होंने चिकित्सा एवं स्वास्थ्य तथा महिला एवं बाल विकास विभाग को मिलकर कार्य करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जहां कुपोषण की समस्याएं है, वहां विशेष कैम्प आयोजित किए तथा आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका, आशा, एएनएम आदि नियमित टीकारण, पोषण सामग्री का वितरण, दवाइयों का वितरण आदि करें एवं पोषण वाटिकाओं को स्वास्थ्य को बढ़ावा देने संबंधी आयोजन किए जाए।
उन्होंने कहा कि बाल श्रम एवं तस्करी को रोकने के लिए जिला स्तर से लेकर ग्राम स्तर तक के सिस्टम को मिलकर कार्य करना होगा। ग्रामीण स्तर पर टीमें बनाई जाए जो इस दिशा में प्रभावी कार्य कर सके। सदस्यों ने सम्पूर्ण जिले को बाल श्रम से मुक्त बनाने के लिए जागरूकता फैलाने पर विशेष जोर दिया।
इस अवसर पर एडीएम सिटी संजय कुमार ने जिले में बाल संरक्षण के क्षेत्र में किए गए नवाचारों के साथ किए जा रहे कार्यों के बारे में बताया। बैठक में पुलिस, शिक्षा, चिकित्सा, बाल अधिकारिता, किशोर न्याय बोर्ड, यूनिसेफ, सीडब्ल्यूसी, चाइल्ड लाइन आदि ने अपने कार्यो के बारे में आयोग को अवगत कराया। अंत में बाल अधिकारिता विभाग की सहायक निदेशक मीना शर्मा ने आभार जताया।


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