
उदयपुर, जिस मनुष्य ने जन्म लेकर भगवान विष्णु का ध्यान नही किया उनका सत्संग नही किया तो उसका जीवन व्यर्थ है। विष्णु पुराण के माध्यम से परमात्मा के चरित्र का दर्शन होता है। भगवान विष्णु ही मृल स्वरूप है, उनके ध्यान मात्र से ही सभी धर्मा का अर्थ समझ आ जाता है। प्रतिपल मृत्यु की तरफ बढ़ते जीवन को सफल करना है तो हरि का ध्यान ही एक मात्र रास्ता है। हरि कथा ही कथा है बाकी सब व्यथा है। विष्णु पुराण के सम्बन्ध मे यह वर्णन श्री नारायण भक्ति पंथ के प्रवर्तक संत लोकेशानन्द महाराज ने श्री नारायण भक्ति पंथ मेवाड़ द्वारा भुवाणा स्थित आईजीटी गार्डन मे आयोजित श्री विष्णु पुराण कथा के पहले दिन कथा का महात्मय बताते हुए नारायण भक्तों को कही।
श्री विष्णु पुराण के विभिन्न प्रसंगों का किया वर्णन
कथा आयोजक लोकेश कुमावत ने बताया कि संत लोकेशानन्द ने कथा के पहले दिन पाराशर ऋषि द्वारा मैत्रेयी मुनि को श्री विष्णु पुराण कथा सुनाने के वर्णन के दौरान माता लक्ष्मी के प्राकट्य की कथा, माँ लक्ष्मी की माता ख्याति, माँ लक्ष्मी के चारों पुत्रों का वर्णन और पतिव्रत धर्म के वर्णन के साथ ही विश्वामित्र की तपस्या, विश्वामित्र की हजारों वर्षो की तपस्या के सामने वशिष्ठ के सत्संग की एक घडी के भारी होने की कथा सुनाई। कथा के पहले ही दिन कथा स्थल पर हजारों भक्तों ने कथा का श्रवण किया और साथ ही कथा के बीच श्री नारायण के भजनों पर संगीतमयी प्रस्तुतियों पर किर्तन कर प्रभु भक्ति मे लीन हो उठे।
भव्य शोभायात्रा से नारायणमयी हुआ शहर
कथा आयोजन जितेश कुमावत ने बताया कि श्री विष्णु पुराण कथा के प्रारंभ से पूर्व पुला स्थित चाारभुजा मंदिर से गाजे- बाजे के साथ पूर्ण भक्तिमयी माहौल मे भगवान विष्णु की भव्य शोभायात्रा निकाली गई। शोभायात्रा मे सबसे आगे गजराज की सवारी के पीछे अश्वारूढ़ भक्त नारायण पताका लिये चल रहे थे, वहीं 5 ऊँट गाडिय़ो मे छोटे-छोटे बच्चें भगवान विष्णु के 23 अवतारों के रूप मे नजर आये। शोभायात्रा मे महिलाएं लाल चुंदड और पुरूष श्वेत वस्त्र पहनकर सिर पर केसरिया साफा बांधे श्री नारायण भजनों पर नाचते झूमते और प्रभु भक्ति मे लीन नजर आये। शोभायात्रा मे विशेष रथ पर भगवान विष्णु की शैषशय्या प्रतिमा के साथ संत लोकेशनन्द महाराज विष्णु पुराण ग्रंथ को लेकर संग चले। शोभायात्रा के कथा स्थल पहुँचने पर पूर्ण विधि विधान और मंत्रोच्चार के साथ भगवान की प्रतिमा को भव्य मंच पर बिराजित कर कथा प्रारंभ की गई।
आयोजक योगेश कुमावत ने बताया कि पहले दिन की कथा मे मुख्य अतिथि के रूप मे नगर निगम महापौर चन्द्र सिंह कोठारी, पंथ के मेवाड़ के अध्यक्ष बी.एस. कानावत, पूर्व आरपीएसई चेयरमैन गोविन्द टांक, डॉ. प्रदीव कुमावत, पूर्व सभापति युधिष्ठर कुमावत सहित कई गणमान्य अतिथि मौजूद रहे।
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