उदयपुर / प्रख्यात इतिहासकार प्रो. टी के माथुर ने कहा कि इतिहास और विरासत के आधार पर पर्यावरण जिन्दा है सम्पूर्ण राजस्थान विशेषकर मेवाड का इहिहास इतना शक्तिशाली है कि यहा पर आने वाला पयर्टक आपने आप को गौरानवित समझता था। पर्यटन उद्योगो को बढावा दिये जाये एवं इससे होने वाले नुकसान एवं भविष्य में विरासत के नुकसान पर चिन्ता व्यक्त करते हुऐ कहा कि जबतक पर्यटन सरक्षण की समितियों एवं पर्यटन संवर्धन की सरकारी नितियों में विषय विशेषज्ञों को नहीं जोड जायेगा तबतक पर्यटन सरंक्षण नहीं हो पायेगा। अपने मंदिरों स्मारको दुर्गो को धर्म एवं शिक्षा का ज्ञान बताया। पुष्कर का उदाहरण देते हुए अब इन सालों में इन उदेश्यों के साथ साथ शान्ति के लिये राजस्थान की यात्र करने लगें है। अवसर था सोमवार को जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के संघठक इतिहास एवं संस्कृति विभाग की और से आयोजित राजस्थान में पर्यटन संरक्षण एवं धरोहर संरक्षण आयोजित व्याखान में कही। अध्यक्षता प्राचार्य प्रो. सुमन पामेचा विभागाध्यक्ष प्रो. निलम कौशिक प्रो. गिरीशनाथ माथुर डॉ. राजेन्द्र पुरोहित डॉ. विष्णुमाली डॉ हेमेन्द्र चौधरी ने भी विचार व्यक्त किये। संचालन डॉ. हेमेन्द्र चौधरी ने किया धन्यवाद डॉ ममता पूर्बीया ने दिया।
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