6 पैंथरों का किया शिकार
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12 May 15
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उदयपुर। पेंथर का शिकार कर उनकी खालों की तस्करी करने के मामले में अन्तरराष्ट्रीय तस्कर और शिकारियों को स्पेशल टीम व पुलिस ने संयुक्त कार्यवाही करते हुए गिरफ्तार कर लिया। इनकी गिरफ्तारी से कुम्भलगढ़ वन्य अभ्यारण्य से अब तक 6 पैंथरों का शिकार करना सामने आया है। यही नहीं इन पेंथरों के शिकारियों का अन्तरराष्ट्रीय तस्कर संसारचंद और उसके परिवार से तथा उनके बिचौलियों से सीधा सम्पर्क होने के भी पुख्ता साक्ष्य मिले है।
हाथीपोल थाने में पत्रकारों से बातचीत करते हुए सोमवार को पुलिस उप अधीक्षक भूपाल सिंह ने बताया कि कुंभलगढ़ वन्य अभ्यारण्य के केलवा के निकट वन क्षेत्र करधर बावजी में पैंथरों का शिकार कर खाल निकालने वाले शिकारी अटडूमबा केलवा निवासी रमेश पिता मानाराम भील व किशन पुत्र बधाराम भील को इनके गांव से स्पेशल टीम ने गिरफ्तार किया। वहीं इन शिकारियों के अन्तरराष्ट्रीय तस्कर कुंभा सदर हांसी हिसार हरियाणा निवासी सत्यभान उर्फ सत्यवान पुत्र जोथराम बावरी से सम्पर्क थे। ये खाल उतार कर सीधे उसे बेचते और वह कुख्यात तस्कर संसारचंद के मार्फत अन्तरराष्ट्रीय बाजार में बेचते थे। इस मामले में पूर्व में रिमांड पर चल रहे जीतू उर्फ जीताराम की निशानदेही से हरियाणा से सत्यभान उर्फ सत्यवान को गिरफ्तार किया। यूं खुला घटनाक्रम
हाथीपोल थानाधिकारी राजेश शर्मा एवं स्पेशल टीम प्रभारी गोवर्धन सिंह भाटी द्वारा गत दिनों शिक्षा भवन चौराहे पर धायफल सायरा निवासी प्रभुलाल पिता हरलाल ब्राह्मण औरा भूताला गोगुंदा निवासी गणेश पुत्र देवीलाल नागदा को मोटरसाइकिल पर दो पेंथरों की खाल को बेचने की फिराक में घूमते गिरफ्तार किया था। इनसे पूछताछ के बाद बिचौलिए कोडाकरा केलवा निवासी जीताराम उर्फ जीतू पुत्र मोहन भील तथा शंकर पिता भूराराम गमेती को गिरफ्तार किया था। जिनसे पूछताछ में आगे का खुलासा हुआ।
मास्टर माइंड सत्यभान
थानाधिकारी राजेश शर्मा ने बताया कि हिसार से गिरफ्तार सत्यभान इस पूरे गिरोह का मास्टर माइंड है। वह कहने को तो शाल व कम्बल बेचने का फेरी लगाकर व्यवसाय करता है, लेकिन वास्तव में वह सेंचुरी और जंगलात वाले क्षेत्रों को तलाशता है और वहां पर पेंथरों का पता लगाता है। उसके बाद उस क्षेत्र में रहने वाले आदिवासियों की लालसा को तलाशता है, जो आदिवासी पैसों के लालच में आ जाते है ऐसे आदिवासियों को मुफ्त में कम्बल व शॉल देकर पेंथर का शिकार करवाता है। वह इसी तरह अटडूमबा में तीन वर्ष पूर्व कम्बल बेचने के लिए आया और उनसे दोस्ती कर ली। मात्र दो हजार के लिए मार देते थे पैंथर को
स्पेशल टीम प्रभारी भाटी ने बताया कि शिकारी रमेश और किशन को एक पैंथर का शिकार करने के एवज में मात्र 2 हजार रूपए मिलते थे। अन्तरराष्ट्रीय तस्कर के सहयोगी सत्यभान बावरी ने अब तक इस क्षेत्र से शिकार किए गए चार पेंथरों की खालों के लिए इन शिकारियों से मात्र दो-दो हजार रूपए ही दिए है। वहीं बिचौलिए जीताराम को मात्र 2 से 3 हजार रूपए कमीशन मिलता था। वहीं आरोपी सत्यभान इन खालों को 40 से 50 हजार रूपए में आगे बेचता था।
डिप्टी ने बताया कि इन शिकारियों द्वारा पूर्व में खालों को जीताराम के माध्यम से सत्याभान को बेचा था।
जिसमें से दो खालों के पैसे नहीं दिए थे। इसी को लेकर जीताराम और सत्यभान के बीच विवाद हो गया था और जीताराम ने भी नया खरीददार ढूंढने का तय किया था। इसी कारण यह पूरा गिरोह पकड़ में आया है। सत्यभान का पूरा परिवार सम्पर्क में था संसारचन्द्र से
सत्यभान का भाई बलवान अजमेर में करीब पांच वर्ष पूर्व ट्रेन में दो खालों के साथ गिरफ्तार हुआ था। उस समय अजमेर पुलिस को आरोपी ने इन खालों को मालवा का चौराहा निवासी भूरा गमेती से लाना बताया था। यही नहीं जयपुर के माणकचंद थाना क्षेत्र से व्यापारी कोल्हापुर महाराष्ट्र निवासी इ.पी. सिंह को गिरफ्तार किया और उसके कब्जे से पेंथरों के पंजे बरामद किए तब उससे पूछताछ की तब उसने बताया कि यह अन्तरराष्ट्रीय तस्कर संसारचंद और उसकी पत्नी रानी, बेटा आकाश, उसका सहयोगी सत्यभान और सत्यभान के साढू सुभाष से लेकर आया था। इस मामले में इन सभी को भी गिरफ्तार किया गया।
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