उदयपुर। नारायण सेवा संस्थान के बडी ग्राम स्थित सेवामहातीर्थ में चल रही श्रीराम-कृष्ण अवतार कथा, अपनों से अपनी बात व दीनबन्धु वार्ता कार्यक्रम में मंगलवार को कैलाश ‘मानव‘ ने कहा कि आत्मतत्व को जान लेना ही परमात्मा को भी जान लेना है। माया, मोह, क्रोध, लोभ आदि मानसिक रूग्णता ही हैं। इनसे बाहर निकलने के लिए इच्छाओं और कामनाओं का जब त्याग करेंगे, ईष्वर स्वतः हमारी अनुभूति में होंगे।
दिव्यांगजन के साथ विचारों को साझा करते हुए उन्होंने कहा कि जीवन में सदा प्रसन्न रहना चाहिए। दूसरों को खुष रखने में ही जीवन की सार्थकता हैं। दिव्यांगता को कभी भी अपनी कमजोरी न बनने दें।
कार्यक्रम का सीधा प्रसारण संस्कार चैनल पर हुआ। संचालन महिम ने किया।