उदयपुर , झील संरक्षण समिति ने मुख्य सचिव , संभागीय आयुक्त तथा जिला कलेक्टर को पत्र लिख बड़ी झील को पवित्र झील घोषित करने की मांग की है । साथ ही संभाग के समस्त तालाबों में लाभदायक मत्स्य प्रजातियों की पुर्नस्थापना की मांग की है ।
समिति के डॉ तेज राजदान तथा डॉ अनिल मेहता ने पत्र में कहा है कि बड़ी झील में महाशीर मछली के संरक्षण के राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा अप्रेल 2017 में दिए निर्देशों के बावजूद कोई ठोस प्रयास नहीं हुए हैं । बड़ी झील पर मानवीय गतिविधियो के बढ़ने से प्रदूषण बड़ा हैं, इससे महाशीर को जीवित रहने मे कठिनाई हो रही है। साथ ही मछली ठेकेदारो द्वारा महाशीर मछली को भी निकाला जा रहा हैं।
डॉ राजदान व् डॉ मेहता ने कहा कि बड़ी झील का इकोसिस्टम हिमालयी इको सिस्टम के सदृश्य हैं। यदि भविष्य मे कभी हिमालयी इकोसिस्टम को कोई खतरा हुआ तो बड़ी झील एक जीन बैंक का तरह कार्य करेगी। अतः बहुत जरूरी है कि बड़ी झील को संभाल कर, संजोकर संरक्षित रखा जाए।
पत्र में मांग की गई है कि बड़ी झील को पर्यावरणीय पवित्र झील - इको सेक्रेड घोषित किया जाये तथा इस झील व इसके जलग्रहण क्षैत्र को मानवीय गतिविधियो, प्रदूषण कारी गतिविधियो से मुक्त किया जाये । पत्र में कहा गया है कि संभाग के झीलों तालाबों मे कभी लगभग 50 प्रजातियो की मछलियाँ होती थी। वर्तमान मे कुछ ही प्रजातियो की मछलियाँ ही मौजूद हैं। यह इस बात का सूचक है कि हमारे जलस्त्रोत बुरी तरह से प्रदूषित है- अतिक्रमित हैं।
पत्र में मांग की गई है कि मत्स्यकी विभाग संभाग की समस्त झीलों-तालाबों ( पंचायत स्तर तक भी ) मे लाभदायक प्रजातियो की मछलियो की पुर्नस्थापना की कार्ययोजना बनाये तथा जिलापरिषद, नगर विकास प्रन्यास, नगर निगम, नगर परिषदों व नगर पालिकाओ को निर्देशित किया जाये कि योजना के अनुसार वो लाभदायक प्रजातियों की मछलियो की पुर्न स्थापना सुनिश्चित करे ।