उदयपुर । क्षेत्रीय अनुसंधान एवं प्रसार सलाहकार समिति संभाग चतुर्थ-अ की बैठक अनुसंधान निदेशालय के सभागार में दिनांक १४ व १५मार्च, २०१९ को कृषि अनुसंधान केन्द्र, अनुसंधान निदेशालय, उदयपुर में आयोजित की गई।
महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के कुलपति प्रोफेसर जे. पी. शर्माने बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा कि कृषकों की समस्याओं को विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के साथ विचार विमर्ष करने तथा इन समस्याओं पर अनुसंधान कर पुनः कृषि विभाग के द्वारा किसानों को जानकारी देने में इस बैठक का महत्वपूर्ण योगदान है। प्रोफेसर शर्मा ने बताया कि हरित क्रांति के बाद कृषि तकनीकों के क्षैत्र में खासतौर पर बीज, मशिन तथा रिमोट संचालित तकनीकों में व्यापक बदलाव आया है। उन्होंने बताया कि पिछले दशक में तकनीकी हस्तान्तरण अन्तराल ज्यादा था, लेकिन अब किसान ज्यादा जागरूक होने से तकनीकी हस्तान्तरण ज्यादा गति से हो रहा है। उन्होंने बताया कि नई तकनीकों से खेती में टिकाऊपन लाया जा सकता है।
डॉ. ए.के. मेहता, अनुसंधान निदेषक ने बैठक को सम्बोधित करते हुए विष्वविद्यालय में चल रही विभिन्न परियोजनाओं की जानकारी दी तथा कहा कि वैज्ञानिकों को किसानों की समस्याओं के आधार पर अनुसंधान करना चाहिये ताकि किसानों को अधिक से अधिक फायदा मिल सकें। साथ ही उन्होनेंघ्घ्घ् घ्घ्घ्घ् घ्घ् प्रथम पंक्ति प्रदर्षन में कृशि मषीनीकरण को बढावा दिया जाना चाहिए। इससे कृशि मषीनीकरण के लिए प्रौद्योगिकी के उचित हस्तान्तरण में मदद मिलेगी। उन्होंने सभी वैज्ञानिकों और सरकारी अधिकारियों के बेहतर समन्वय और निगरानी के लिए जोर दिया।
डॉ. स्नेहलता माहेष्वरी, निदेषक, प्रसार षिक्षा ने बताया कि घ्घ्घ्घ् में महिलाओं की अहम् भूमिका है। कृशि विज्ञान केन्द्रों द्वारा स्वयं सहायता समूह तथा किसान समूहों को बढावा देकर और तकनीकी प्रषिक्षण आयोजित कर तकनीकी प्रसार पर जोर दिया जा रहा है।
इस बैठक में क्षेत्रीय अनुसंधान निदेषक डॉ. एस. के. षर्मा ने कृशि संभाग चतुर्थ अ की कृशि जलवायु परिस्थितियों तथा नई अनुसंधान तकनीकों के बारे में प्रकाष डाला।
इस बैठक में संयुक्त निदेषक कृशि विभाग, भीलवाडा श्री आर. जी. नायक तथा भीलवाडा, चित्तौडगढ, राजसमन्द एवं उदयपुर के उप निदेषक कृशि एवं अन्य अधिकारी, ग्राह्य अनुसंधान केन्द्र, चित्तौडगढ एवं एमपीयूएटी के वैज्ञानिकों ने भाग लिया।
बैठक के प्रारम्भ में श्री आर. जी. नायक, संयुक्त निदेषक कृशि विभाग, भीलवाडा ने गत खरीफ में वर्शा का वितरण, बोई गई विभिन्न फसलों के क्षेत्र एवं उनकी उत्पादकता के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होनें संभाग में विभिन्न फसलों में खरीफ २०१८ के दौरान् आयी समस्याओं को प्रस्तुत किया तथा अनुरोध किया कि वैज्ञानिकगण इनके समाधान हेतु उपाय सुझावें।
बैठक को डॉ. सुमन सिंह, निदेषक, छात्र कल्याण, डॉ. ऋतु सिंघवी, अधिश्ठाता, गृह विज्ञानमहाविद्यालय तथा डॉ. आई. जे. माथुर, ने भी संबोधित किया।
इस बैठक में विभिन्न वैज्ञानिकों व अधिकारियों द्वारा गत खरीफ में किये गये अनुसंधान एवं विस्तार कार्यो का प्रस्तुतीकरण किया गया तथा किसानों को अपनाने हेतु सिफारिषें जारी की गई।