उदयपुर, जीवन में कितना भी धन व ऐश्वर्य की संपन्नता हो, लेकिन यदि मन में शांति नहीं तो वह व्यक्ति कभी भी सुखी नहीं रह सकता। वहीं जिसके पास धन की कमी भले हो, सुख सुविधाओं की कमी है, पर उसका मन यदि शांत है तो वह व्यक्ति वास्तव में परम सुखी है। वह हमेशा मानसिक असंतुलन से दूर रहेगा। यह विचार नारायण सेवा संस्थान के बडी ग्राम स्थित सेवामहातीर्थ में श्रीराम-कृष्ण कथा एवं ’दीनबन्धु वार्ता‘ में शुक्रवार को व्यासपीठ से कैलाश मानव ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि सुख का अंत दुख से होता है और दुख का अंत सुख से होता है, क्योंकि सुख में व्यक्ति अकर्मण्य हो जाता है और दुख में अपने कर्तव्य का ध्यान रखते हुए आचरण करता है। कार्यक्रम का सीधा प्रसारण आस्था चैनल पर हुआ। संचालन सुशील कौशिक ने किया।
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