उदयपुर । नारायण सेवा संस्थान के बडी ग्राम स्थित सेवामहातीर्थ में श्रीराम-कृष्ण अवतार कथा एवं अपनों से अपनी बात व दीनबन्धु वार्ता के तीसर दिन बुधवार को संस्थान संस्थापक कैलाश ‘मानव‘ ने कहा कि राम और कृष्ण दोनों ही जीने की कला सिखाते हैं। राजा परिक्षित के सामने जब काल रूपी तक्षक के दंश से मृत्यु की समस्या आ खडी हुई तो शुक्रदेव जी द्वारा राम कथा सुनाने से मृत्यु सुविधा बन गई। कहा भी गया कि जिसने मरना सीख लिया, जीने का अधिकार भी उसी को है। उन्होंने कहा कि राम ने जो किया उसे हम करें और कृष्ण ने जो कहा उससे हम प्रेरणा लें। श्री कृष्ण के जीवन चरित्र का अवलोकन करने से प्रतीत होता हैं कि उनका समूचा जीवन ही संर्घशमय रहा।
कथा के दौरान ही दिव्यांगजन के साथ विचारों को साझा करते हुए अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल ने कहा नारायण सेवा एक ऐसा मंदिर है, जहां लोग दर्द लकर आते है, और खुशिया लेकर लौटते हैं। उन्होंने आगे कहा कि व्यक्ति धनवान आसानी से बन सकता है, परंतु धेर्यवान बनने के लिए उसे मेहनत करनी पडती है। जो व्यक्ति धैर्य धारण कर लेता है, वो बडी से बडी समस्याओं से भी पार पा लेता है।
कार्यक्रम का सीधा प्रसारण संस्कार चैनल पर हुआ जिसका संचालन ऐश्वर्य त्रिवेदी व आदित्य चौबीसा ने किया।
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