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‘ मोहिनी – मुकुल ‘की स्मृति में विविध आयोजन

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10 Dec 18
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 ‘  मोहिनी – मुकुल ‘की स्मृति में विविध आयोजन उदयपुर | जीवोत्थान प्रकाशनालय संस्थान धाम उदयपुर के संरक्षक यादवेन्द्र महर्षि जीवोत्थान के नेतृत्व में ‘स्व मोहिनी –स्व मुकुल’ स्मृति के अन्तर्गत स्व. कन्हैयालाल ‘मुकुल ‘एवं उनकी पत्नी स्व. मोहिनी कूँवर (देवी) के कृतित्व व व्यक्तित्व पर साहित्यिक संगोष्ठी, सुगम जनोपयोगी कुछ पुस्तकों की प्रदर्शनी तथा प्रतिभोत्थान के कार्यक्रम किये गये। स्व श्री मुकुल ठाकरडा जिला डूँगरपुर के तत्कालीन राजपुरोहित परिवार स्व पं. गोतमलाल शर्मा व स्व श्री मती वृद्धि देवी के प्रथम पुत्र के ख्याति प्राप्त तथा भीलूडा जिला डूँगरपुर में राजकीय शिक्षक पदोपरि सेवारत् साहित्याचार्य शास्त्रीद्वय , साहित्यरत्न तथा त्रिविशारद आदि योग्यताधारी थे। हिंदी, संस्कृत, ज्योतिष, कर्मकाण्ड, शिल्प, वास्तु, हस्त – सामुद्रिक शास्त्र, व्याकरण न्याय , धर्मशास्त्र, वेद ,आयुर्वेद ( वेदांग ), खगोल विज्ञान के धुरंधर ज्ञाता, अंग्रेजी , ऊर्दू, गुजराती राजस्थानी भाषाविद् तथा वागडी, मेवाड़ी मालवीय बोलियों के व्याकरण प्रेमी व्यक्तित्व थे। संस्कृत व हिंदी के आशु कवि रहे, खगोल, ज्योतिष, ब्रह्मकर्म, साहित्य की उनकी तैयार कई ग्रंथ हैं। सादा जीवन उच्च विचार के साथ सदैव क्रियाशील रहे। उनका रचित व विशेष संकलित विविध साहित्य अप्रकाशित है। वागड के वाचस्पति कहलाने योग्य स्व श्री मुकुल की सेवाओं से कई व्यक्तियों को परामर्श व लाभावसर प्राप्त हुए।जिनके कारण आज की कई समाजों में उन्हें ससम्मान याद किया जाता है।स्व श्री मती मोहिनी कूँवर एवं स्व श्री मुकुल की ज्येष्ठा सुपुत्री श्रीमती विजयादशमी धर्मपत्नी श्री तुलसीराम जोशी, पुत्र क्रमशः स्व गजेंद्र प्रसाद, गिरिराज जी, यादवेंद्र, हर्षवर्धन, हेमंत कुमार द्विवेदी, संतोष तथा भगवती प्रसाद व सपरिवार विविध सेवार्थी रहे हैं। वरदराज:, मखमयूख , आदि विविध साहित्यिक ग्रंथ ज्ञानोपयोगी हैं। स्व श्री मती मोहिनी कूँवर आध्यात्मिक व परिवार सेवाओं की प्रतिमूर्ति रहीं। स्व श्री मुकुल व स्व मोहिनी देवी की स्मृति में जीवोत्थान संस्थान में उनके कृतित्व एवं व्यक्तित्व पर संगोष्ठी तथा साहित्यिक प्रदर्शनी का आयोजन किया गया।।जिसमें यादवेन्द्र महर्षि जीवोत्थान द्वारा विरचित मेधा, मेघा, मेधामेघम्, श्री मुकुल – पादपेंद्रः, श्री प्रतापोत्थानः,श्रीरामनाथार्कोदयः, श्रीमोदीसप्तदशी भाग द्वय, संजीवनी, साक्षरता – दीपिका, जाग्यों होनानों हूरज, ये दिन वे दिन, मुकद्दर , अधूरे अरमान, विवेकानन्दामृतमम्, ईष्टरत्नाकरः, स्मृति – सुमन, सुसांकलितम्, जीवोत्थान – पंचावली, खब्रह्ममानिनी, जीवोत्थानमाला, शिक्षार्थी प्रदीपक, महामहिम विशेषांक, संस्कृतोत्थान, कविकुलगुरुकालिदासः, माघे सन्ति त्रयो गुणाः, तथा कई पर्वोत्सवों पर प्रकाशित विशेषांकों, जीवोत्थान प्रकाशनालय संस्थान से जीवोत्थान पाक्षिक समाचार पत्रिका के कई अंकों , पोलियो भारत-छोडो विशेषांक, विधिक पारिजात, चरितायन आदि कुछ पुस्तकों की प्रदर्शनी तथा समीक्षा का भी आयोजन किया गया। यादवेन्द्र महर्षि जीवोत्थान ने अतिथियों का स्वागताभिनंदन किया तथा प्रासंगिक व्यक्तित्व पर अपने विचार व्यक्त किये। अध्यक्ष जीवोत्थान।
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