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जहां सद्बुद्धि होती है, वहीं सतयुग का वास होता है

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10 Nov 18
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जहां सद्बुद्धि होती है, वहीं सतयुग का वास होता है उदयपुर । चरित्र तभी शुद्ध होगा जब मन शुद्ध हो,जब चरित्र शुद्ध होगा तो ईश्वर कि प्राप्ति सहज हो जाएगी। अगर ज्ञान मार्ग से व्यक्ति भटक जाए तो उसका जीवन निरर्थक बन जाता है।यह बात नारायण सेवा संस्थान की ओर से इंदौर में सप्तदिवसीय भागवत कथा के पहले दिन शुक्रवार को व्यासपीठ से डॉ. संजय कृष्ण सलिल ने कही। उन्होंने कहा कि श्रीमद भागवत कथा हमें कलयुग के प्रभाव से बचाती है। जहां सदबुद्धि है, वहां सतयुग और जहां दुर्बुद्धि है, वहां कलयुग का निवास होता है। हमारे जीवन में जो बुराईयां हैं वे भागवत कथा श्रवण से दूर होगी। वासनाओं के रहते भी प्राणी कभी प्रभु का सिमरन एवं सुख प्राप्त नहीं कर सकता। वासनाओं का त्याग ही परम सुख की प्राप्ति व मोक्ष देने वाला है। कार्यक्रम का सीधा प्रसारण संस्कार चैनल पर किया गया। संचालन निरंजन शर्मा ने किया।

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