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अन्तर्राष्टीय जर्नल “ साइंस ऑफ़ द टोटल एनवायरनमेंट ” में प्रकाशित तथ्य

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20 Sep 18
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अन्तर्राष्टीय  जर्नल “ साइंस ऑफ़ द टोटल एनवायरनमेंट ” में प्रकाशित तथ्य उदयपुर | विकसित देशों में हुए स्वास्थ्य क्षेत्र विकास , औध्योगिकरन व् रसायनों पर आधारित जीवन शैली के कारण वंहा उत्सर्जित होने वाले गंदे पानी में जिस प्रकार के विषैले प्रदूषक तत्वों की उपस्थिति है, वैसी ही सांद्रता भारत में उदयपुर जैसे कई शहरों के गंदे पानी में भी है Aपर्यावरण व् मानव स्वास्थ्य के लिए ये प्रदूषक तत्व अत्यंत घातक है A
प्रसिद्ध अन्तर्राष्टीय पर्यावरण शोध जर्नल “ साइंस ऑफ़ द टोटल एनवायरनमेंट ( एल्सविअर)” में हाल ही प्रकाशित शोध “ इमर्जिंग कोंटामिनेंट्स इन अ रिवर रीसीविंग वेस्टवाटर फ्रॉम एन इंडियन अर्बन सेंटर “ में यह तथ्य प्रस्तुत किये गए हैं A
शोध ऑस्ट्रेलिया के कोमनवेल्थ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च आर्गेनाईजेशन( सीएसआईआरओ) व् वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी तथा उदयपुर के विद्या भवन पॉलिटेक्निक व् वोलकेम पर्यावरण लेब के वैज्ञानिकों के साझे में हुआ A
शोधकर्ता डॉ माइक विलिअम्स, , डॉ अनिल मेहता, डॉ बसंत माहेश्वरी ,डॉ राइ कूकणा, डॉ एस के यादव , डॉ बी एल टेलर के संयोजकत्व में विद्या भवन, वोलकेम,सीएसआईआरओ के प्राध्यापकों , विद्यार्थियों ने तीन वर्ष तक उदयपुर की झीलों व् आयड नदी के पानी पर अनुसन्धान किया गयाA
अनुसन्धान में आयड नदी में विभिन्न फार्मेसुटिकल दवाइयों के सक्रिय तत्वों की उच्च सांद्रता पाई गई A इनमे चार एंटीबायोटिक सहित पंद्रह अन्य रसायन सम्मिलित है Aइसी प्रकार शारीरिक व् पौरुशता बढ़ोतरी व, गर्भ निरोधक इत्यादि स्टेरॉयड दवाइयों के छह होरमोन रसायन , अवसाद रोधी दवाइयों के रसायन ,रोजमर्रा उपयोग के साबुन , शेम्पू, डीओ, क्रीम डीटरजेंट, डिशवाशर में पाए जाने वाले रसायन , प्लास्टिक में उपस्थित खतरनाक बिस्फिनोल ए, कीट – मच्छरों को भगाने मारने वाले तत्व एवं ओद्योगिक रसायन पाए गएA
यह प्रदूषक पर्यावरण के लिए तो विषैले है ही, इंसानों में केंसर, थायरोइड खराबी, नपुसंकता , बांझपन जैसी कई बीमारियाँ पैदा करते हैंA Aएंटीबायोटिक दवाइयों की उपस्थिति इन दवाइयों से प्रतिरोधाकता निर्मित करती है जिससे ये दवाइयां बेअसर होने लगती है A
डॉ अनिल मेहता ने बताया कि शोध के तहत रंगसागर , पिछोला, फतेहसागर , चिकलवास, बेदला पुलिया, पुला , आलू फेक्ट्री ( गुमानिया वाला ) , आयड शमशान (महासतिया के सामने ), एफसीआई-डिस्टलरी, पुलिया ,कलडवास , भोइयो की पचोली, सूखा नाका तथा उदयसागर से पानी के नमूने लिए गए व् जाँच की गई A
मेहता ने बताया कि पूला के पश्चात भोइयो की पचोली तक विषैले तत्वों व् दवाइयों के तत्वों में क्रमिक बढ़ोतरी का पैटर्न है जिनमे मिर्गी व् अन्य स्नायू रोगों में प्रयुक्त होने वाले कार्बोमाजेपाईन, वेनलाफेक्सिन ,ह्रदय रोगों के इलाज में ली जाने वाली डीलटीजेम, हाईडरोक्लोरोथियाजाईड,श्वसन रोग सम्बंधित डाईफेनहाईड्रामाइन, इम्यून सिस्टम की साइकलोफोस्फामाइड, संक्रामक रोगों में दी जाने वाली एज़ीथ्रोमाईसिन, सल्फामेथाज़ोक्सोल, दर्दनिवारक डाकलोफेनाक,इबुप्रोफेन
इत्यादि सम्मिलित है A
पूला से उदयसागर तक जाते जाते स्टेरॉयड दस गुणा, रोजमर्रा के रसायन पच्चीस गुणा, तथा ओद्योगिक रसायन सौ गुणा बढे पाए गए Aपुला से भोईयों की पचोली तक स्टेरॉयड होरमोन एनड्राजन , एस्ट्रोजेन की सांद्रता बढ़ने के क्रम में है A
मेहता ने कहा कि नागरिकों द्वारा दवाइयों के अत्यधिक उपभोग सहित उदयपुर के विभिन्न हस्पताल , नर्सिंग होम व् कतिपय दवाइयां बनाने वाली कंपनियों का गन्दा पानी से भी इन तत्वों की आयड में मात्रा बढ़ रही है A वंही, दुधारू पशुओं से भी एस्ट्राडिओल, स्ट्रेडोयल बढ़ रहे हैं A
पिछोला , फतेहसागर में यद्यपि आयड की तुलना में कुल प्रदूषक सूक्ष्म तत्वों की सांद्रता कम है , लेकिन रंगसागर में कलडवास , सुखा नाका , उदयसागर की तरह ही बेन्जोट्रायजोल रसायन है Aपिछोला, फतेहसागर , रंगसागर व् पुला के बाद आयड के पानी में अमोनियम आयन की उपस्थिति तुलनात्मक स्थिति में पाई गई जो सीवरेज प्रदुषण का संकेत है Aइसी प्रकार कैफीन की सांद्रता भी झीलों व् आयड नदी में किसी विकसित देश के समकक्ष ही पाई गई
पाए गए मुख्य रसायन , दवाइयां , होरमोन : एज़ीथ्रोमाईसिन,बेन्जोट्राइअजोल,,बाईकलटामाइड, कैफीन,कार्बामेज़ेपाईन,क्लेरीथ्रोमाईसिन,साइक्लोफोस्फामाइड, डाईक्लोफेनाक,डीट,डेसीप्रामाइन,डील्टियाजेम, ग्लिबेंक्लामाइड डाईफिनाड्रामाईन,फुरोसेमाइड, हाईडरोक्लोरोथियाजाईड ,इबुप्रोफेन, केटोप्रोफेन,मेलोक्सिकेम,मेथोट्रेक्सेट, मिथाइलबेन्जोट्राइअजोल,नेप्रोकसेन, पिंडोलोल, प्रोप्रेनोलोल, सेरटालीन, सोर्टेलोल, सल्फामेथाज़ोक्सोल, ट्रामाडोल, ट्राईमथोप्रिम, वेनलाफेक्सिन वेरापामिल, एनड्रास्टेरोन, डाइहाइड्रोटेस्टोरेसटोरोन, एस्ट्रोन, एस्ट्राडिओल, टेस्टोरेसटोरोन, बिस्फिनोल ए, ट्राइक्लोसेन


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