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नंदी गौशाला जनसहभागिता योजना को लेकर बैठक सम्पन्न

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21 Jun 18
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नंदी गौशाला जनसहभागिता योजना को लेकर बैठक सम्पन्न उदयपुर | मुख्यमंत्री की बजट घोषणा 2018-19 के क्रम में नंदी गौशाला जन सहभागिता योजनान्तर्गत जिले में नंदी गौशाला खोलने के संबंध में गौशाला, संस्थाओं, भामाशाह, गणमान्य नागरिक, दानदाता व पशुप्रेमियों की बैठक अतिरिक्त जिला कलक्टर सी आर देवासी की अध्यक्षता में बुधवार को कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित हुई। इस मौके पर अतिरिक्त जिला कलक्टर (शहर) सुभाषचन्द्र शर्मा भी मौजूद थे। इसके लिए गौशालाओं एवं संस्थाओं से 10 जुलाई तक आवेदन मांगे गये हैं।

श्री देवासी ने बताया कि सार्वजनिक स्थल और सड़कों पर बढ़ते निराश्रित गौवंश व नन्दियों की समस्या से राहत देने के लिये जिलें में नन्दी गौशाला के लिए सरकार की ओर से 50 लाख रुपयो की आर्थिक सहायता दी जाएगी। नन्दी गौशाला खोलने वाली स्वयंसेवी संस्था या गौशाला द्वारा 30 फीसदी काम करके उसका सत्यापन कराने पर यह सहायता राशि प्रदान की जाएगी। नन्दी गौशाला खोलने के लिये संस्थाएं पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक कार्यालय से सम्पर्क कर सकती है। नन्दी गौशाला की क्षमता 500 या इससे अधिक सांड व बैलों की होगी।

श्री देवासी ने बताया कि जिले में प्रशासन की ओर से गिर्वा पंचायत समिति की नाई ग्राम पंचायत के चोकडि़या ग्राम में 300 बीघा जमीन पर गौशाला निर्माण के प्रस्ताव सरकार को प्रेषित किये गये है।

बैठक में विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने सुझाव दिया कि न्यूनतम 25 बीघा भूमि की उपलब्धता के नियम में शिथिलता दी जानी चाहिए। जिले का अधिकांश क्षेत्र पहाड़ी क्षेत्र होने से 25 बीघा भूमि मिल पाना संस्थाओं एवं गोशालाओं के लिए मुश्किल है। इस पर एडीएम ने राज्य सरकार को पत्र लिखकर आग्रह करने का आश्वासन दिया।

पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. ललित जोशी ने बताया कि मुख्यमंत्री की हर जिलें में नन्दी गौशाला खोलने की घोषणा वर्ष 2018-19 के क्रम में नन्दी गौशाला खोलने की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी हैं जिसमें सांड, बैल और नर बछड़ो के रख रखाव व पालन पोषण की व्यवस्था की जाएगी। इस नन्दी गौशाला का संचालन वे ही संस्थाएं या गौशाला कर सकेगी जिनके पास स्वयं के स्वामित्व की भूमि या सक्षम स्तर से 10 साल के लिये लीज पर भूमि उपलब्ध होगी।

नन्दी गौशाला संचालन करने वाली स्वंयसेवी संस्था या गौशाला राजस्थान गौशाला अधिनियम 1960 या राजस्थान सोसायटी अधिनियम 1958 के तहत रजिस्टर्ड होना जरूरी है।
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