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विश्व के सर्वश्रेष्ठ कॉलेज में चित्रांग का हुआ चयन

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14 Jun 18
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विश्व के सर्वश्रेष्ठ कॉलेज में चित्रांग का हुआ चयन उदयपुर। वर्ष २०१४ में आईआईटी-जेईईई में नम्बर वन रेंक लाने के बावजूद लेकसिटी के होनहार छात्र चित्रांग मुर्डिया ने अपने को आईआईटीयन कहलाने के बजाय उसे ड्राप आउट कर कुछ और कहलाना पसन्द करने की सोची और इंजिनियरिंग करने के बजाय अपने लक्ष्य को भौतिक विज्ञान की ओर मोडा और उसके लिये विश्व के सर्वश्रेष्ठ कॉलेजों में से एक अमेंरीका के यूसी बर्कले विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया। उनका चयन उनके अंकों के आधार के साथ-साथ उनके व्यक्तित्व के आधार पर हुआ। इस विश्वविद्यालय में उनका चयन लेकसिटी के होनहार छात्रों के लिये एक मेटिवेशन है।
वे निकट भविष्य में इसी विश्वविद्यालय से उच्च उर्जा कण भौतिकी में डॉक्टरेट करने का स्वप्न लिये हुए है। चित्रांग ने आईआईटी से ड्राप आउट का विकल्प चुनकर यूएस में मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में भौतिकी में स्नातक करना बेहतर समझा। वह इसी वर्ष में भौतिकी और गणित में एक डबल मेजर और अर्थशास्त्र में एक माइनर के साथ एमआईटी से स्नातक की उपाधि प्राप्त कर रहे है। उन्होंने कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले के साथ भौतिकी में एमएस-पीएचडी के साथ आगे बढना चुना है। चित्रांग को हार्वर्ड, कैल्टेक, स्टैनफोर्ड, प्रिंसटन और यूसी बर्कले के शीर्ष स्कूलों में आवेदन करने के बाद शोध फैलोशिप के साथ प्रवेश की पेशकश की गई थी।
वर्ष २०१४ में उदयपुर के छात्र चित्रांग मुर्डिया ने प्रतिष्ठित आईआईटी प्रवेश परीक्षा में शीर्ष पर सफलता पाई थी और एक सर्वश्रेष्ठ छात्र के रूप में के.वी.पी.वाई फैलोशिप, एन.टी.एस.ई छात्रवृत्ति के साथ अंतरराष्ट्रीय भौतिकी ओलंपियाड में पूर्व में ही स्वर्ण पदक प्राप्त इस छात्र के लिये यह निर्णय आश्चर्यचकित नहीं था जब उन्हें आईआईटी-जेईई में ओंल इण्डिया रैंक १ मिला।
चित्रांग तब अपने स्कूल कि तत्कालीन प्रिंसिपल नीरू टंडन द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका को कभी नहीं भूल सकते हैं।
जैसा की आम तौर पर यही देखा जाता है कि टॉपर और अच्छे अंक प्राप्त करने वाले स्टूडेंट अमूमन कम्प्यूटर साइंस चुनते है और चित्रांग ने भी आईआईटी बॉम्बे में कंप्यूटर साइंस लिया। हालांकि, भारत के सर्वश्रेष्ठ इंजीनियरिंग कॉलेज के साथ एक वर्ष बाद वह आईआईटी में सेटअप से असंतोषजनक था।
प्रो टेलेन्ट के विनीत बाया ने बताया कि भौतिकी और शुद्ध विज्ञान के लिए चित्रांग का जुनून उन्हें कुछ नया करने के लिए परेशान कर रहा था। आईआईटी का वातावरण चित्रांग को स्टार्ट-अप और प्रबंधन की ओर अधिक प्रेरित कर रहा था।
चित्रांग के पिता मनीष मुर्डिया ने कहा कि लीग से हटकर फैसला लेने और कैरिअर धारा को बदलने का उनका निर्णय छह महीने के विचार-विमर्श और चर्चा के बाद हुआ था। चित्रांग कहते हैं कि आईआईटी छोडने और एमआईटी को चुनने के अपने फैसले के पीछे भारतीय विज्ञान ओलंपियाड के लिए राष्ट्रीय समन्वयक प्रोफेसर विजय सिंह प्रमुख थे।
चित्रांग ने बताया कि एमआईटी में आवेदन और चयन की प्रक्रिया मुख्य रूप से आईआईटी की आवेदन प्रक्रिया की तुलना में व्यक्तिपरक थी। भारत में सर्वश्रेष्ठ संस्थान में चयन का आधार अंक और रैंक होता है, जबकि अमेरिका मे चयन बहुत विशिष्ट है और यह व्यक्ति के व्यक्तित्व पर आधारित है। अंक और रैंकिंग के अलावा बहुत से निबंध, छात्र का सीवी, विभिन्न क्षेत्रों में रूचि, अकादमिक और बहिर्वाहिक उपलब्धियां, और पिछली पूरी शैक्षिक यात्रा को ध्यान में रखा जाता है। प्रो टेलेन्ट के विनीत बाया इस पूरी यात्रा में एक मार्गदर्शक के रूप में सामने आए।
विनीत बया ने बताया कि एमआईटी में चित्रांग के चयन के परिणामस्वरूप आईआईटी में बिताए गए एक वर्ष का नुकसान नहीं हुआ। उन्होंने भौतिकी (प्रमुख) का चयन किया। इस प्रकार चित्रांग ने आईआईटी से इंजीनियर बनने के बजाय शुद्ध विज्ञान में स्नातक होना चुना। वह आईआईटी बॉम्बे में अपने पहले वर्ष में भी शीर्ष स्थान पर थे।
शर्मीले स्वभाव के चित्रांग ने कहा कि छात्रों को प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित होना चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति के पास अपनी रुचि का एक क्षेत्र होता है, एक जुनून होता है। उनके परिजनों और साथी छात्र समूह का दबाव, मानसिकता, वित्त पोषण की स्थिति और उचित परामर्श और सलाह की कमी उसे अपने लक्ष्य से दूर ले जाती है। चित्रांग का कहना है कि मैं अपने जुनून का पालन करता हूं और खुश रहता हूं तो मुझे खुशी होगी। एक अच्छा करियर वहीं होता है जो आप अपनी पसंद के अनुसार कर रहे होते हैं, अच्छे संस्थानों में प्रशिक्षित होते हैं और आफ जुनून को साझा करने वाले शिक्षकों द्वारा निर्देशित होते हैं।
यूसी बर्कले विश्वविद्यालय को ही चुनने के पीछे चित्रांग ने कारण बताया कि मास्टर्स और डॉक्टरेट का पीछा करते समय कॉलेज चुनने के लिए कुछ पहलुओं पर विचार करने की आवश्यकता है। इसे पूरा करने में कम से कम पांच साल लगते हैं। उन्होंने कहा कि अनुसंधान, वातावरण, पीएचडी के प्रमाण पत्र, सलाहकार, वित्तीय पहलू जैसे कई आधार स्कूल चुनने में ध्यान रखा जाना चाहिए। बर्कले का उनका चयन इसी आधार पर बेस्ट पैरामीटर प्रदान करता था।

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