उदयपुर । विवेक नगर सेक्टर 3 के शिव मंदिर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में अंतिम प्रसंगों की ओर बढ़ते हुए कथा के 28वे दिन पंडित स्कन्द कुमार पंड्या ने कृष्ण - सुदामा के मिलन, पांडव महाप्रयाग ओर श्रीकृष्ण के परमधाम गमन का मार्मिक वर्णन किया।
कथा प्रवक्ता अभिषेक जोशी ने बताया कि श्रीकृष्ण और सुदामा मिलन की झांकी ने प्रसंग को जीवंत कर दिया। द्वारिकाधीश ओर सुदामा के मिलन प्रसंग के साथ ही पंडाल में सुदामा का आगमन हुआ और श्रीकृष्ण ने सुदामा को गले लगा लिया। इस मार्मिक चित्रण के साथ ही " बता मेरे यार सुदामा रे....' भजन पर सभी भक्तो की आंखे नम हो उठी।
कथा के दौरान भगवान श्रीकृष्ण के परमधाम गमन के प्रसंग को जब सुनाया गया तो भक्तो की आंखों से भगवान के बिछोह के दुख से अश्रु की अविरल धारा बहने लगी। प्रसंग का वर्णन करते हुए पंड्या ने कहा कि भगवान अंत समय मे कहा गए ये किसी को पता नही, भगवान तो एक स्वरूप में भागवत गीता में समा गए। श्रीमद्भागवत भगवान श्रीकृष्ण का प्रत्यक्ष स्वरूप है।
इधर शाम को श्रीजगत शिरोमणि मंदिर में भागवत कथा का वाचन करते हुए पं. स्कन्द कुमार पंड्या ने कहा कि सच्चा भक्त वही है जो एक क्षण भी ईश्वर से विभक्त नही रह पाता, ईश्वर के बिछोह सहन नही कर पाता। मनुष्य का सच्चा मित्र धर्म है जो जीते जी भी साथ है, ओर मृत्यु के बाद भी।
आज होगा समापन
आयोजक प्रह्लाद मिश्रा ने बताया कि 13 जुलाई को प्रातः 10 बजे मासपर्यंत चल रही श्रीमद्भागवत कथा का समापन होगा । जिसमे समस्त भक्त श्रीमद भागवत गीता को अपने सर पर रख कर मंदिर परिक्रमा करते हुए लाभ अर्जित करेंगे ।
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