एडिलेड । आत्मविास से लबरेज भारतीय क्रि केट टीम आस्ट्रेलिया के खिलाफ बृहसपतिवार से शुरू हो रही टेस्ट सीरीज में उतरेगी तो उसका लक्ष्य विदेशी सरजमीं पर अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाने का कलंक धोने और 70 बरस में पहली बार यहां सीरीज जीतने का होगा। दक्षिण अफ्रीका में भारत को टेस्ट सीरीज में 1-2 और इंग्लैंड में 0-4 से पराजय झेलनी पड़ी। विराट कोहली की टीम अब आस्ट्रेलिया में चार टेस्ट मैचों की सीरीज जीतकर विदेश में ‘‘फ्लाप शो’ का कलंक मिटाना चाहेगी। दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज के रूप में खुद को स्थापित कर चुके कोहली के लिए करिश्माई कप्तान कहलाने का भी यह सीरीज सुनहरा मौका है। आस्ट्रेलियाई सरजमीं पर भारत ने अब तक 44 टेस्ट खेलकर सिर्फ पांच जीते हैं। पिछले 70 साल में 11 दौरों पर भारत ने दो बार सीरीज ड्रा कराई। पहले सुनील गावस्कर की कप्तानी में 1980-81 और फिर सौरव गांगुली के कप्तान रहते 2003-04 में। भारतीय टीम आक्रामक क्रि केट खेलना चाहेगी लेकिन 12 खिलाड़ियों में हनुमा विहारी और रोहित शर्मा की मौजूदगी संकेत है कि 20 विकेट लेने के लिए पांच गेंदबाजों को उतारने की रणनीति में बदलाव होगा। चोटिल हरफनमौला हार्दिक पंड्या की गैर मौजूदगी से टीम का संतुलन बिगड़ा है। दूसरी ओर आस्ट्रेलिया भी गेंद से छेड़खानी मसले में प्रतिबंध झेल रहे स्टीव स्मिथ और डेविड वार्नर की गैर मौजूदगी में कमजोर लग रही है।
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