श्रीगंगानगर, शिवपुराण के अनुसार सावन मास में पार्थिव शिवलिंग की पूजा करना अत्यंत पुण्यकारी होता है। इस अवसर पर नन्द वाटिका में आयोजित विशेष प्रवचन में ज्योतिषाचार्य व धर्मशास्त्र मर्मज्ञ पंडित अंगद शास्त्री जी ने पार्थिव पूजन की महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि यह पूजन जीवन में व्याप्त समस्त दोषों का शमन करता है तथा आत्मिक एवं लौकिक उन्नति प्रदान करता है।
उन्होंने कहा कि मृत्तिका से निर्मित शिवलिंग को ‘‘पार्थिव लिंग’’ कहा जाता है और इसका पूजन विशेष रूप से सावन मास, सोमवार एवं प्रदोष काल में करना अति फलदायी माना गया है। यह व्रत और पूजा जीवन की समस्त बाधाओं को हरने वाला तथा मनोकामना पूर्ति करने वाला है।
पार्थिव शिवलिंग का पूजन करने सेः पितृ दोष, ग्रह दोष, कालसर्प दोष का नाश होता है। आर्थिक, मानसिक, शारीरिक कष्ट दूर होते हैं तथा रुद्राभिषेक व महामृत्युंजय मंत्र से अभिषेक करने से दीर्घायु व आरोग्य की प्राप्ति होती है।
शास्त्री जी ने बताया कि महाभारत, स्कन्द पुराण, लिंग पुराण व शिवपुराण में पार्थिव पूजन का विस्तार से वर्णन है। इस पूजन में गंगाजल, बेलपत्र, अक्षत, कुश, चंदन, धूप-दीप, पुष्प आदि से भगवान शिव का पूजन किया जाता है। साथ ही ‘‘ऊॅनमः शिवाय’’ तथा ‘‘रूद्राष्टाध्यायी’’ के पाठ से शिव तत्त्व की कृपा प्राप्त होती है।
अंत में शास्त्री जी ने श्रद्धालुओं को सावन के सोमवारों में पार्थिव पूजन अवश्य करने की प्रेरणा दी और कहा कि इससे शिव कृपा सहजता से प्राप्त होती है तथा जीवन सुख.शांति से भर जाता है