श्रीगंगानगर । उत्तर पश्चिम रेलवे में पहली बार भारत निर्मित सबसे शक्तिशाली माल वाहक इंजन दौड़ा। शुक्रवार को यह इंजन दिल्ली मंडल के पाटली स्टेशन से जयपुर मंडल के रेवाड़ी स्टेशन पर पहुंचा और जयपुर मंडल के विद्युतीकृतखंड में रेवाड़ी से रींगस होते हुए मालगाड़ी को लेकर शुक्रवार-शनिवार रात 02.50 पर फुलेरा स्टेशन पहुंचा।
उत्तर पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी श्री अभय शर्मा के अनुसार उत्तर पश्चिम रेलवे में पहली बार 12000 हॉर्स पावर क्षमता लोकोमोटिव (इंजन) के द्वारा मालगाड़ियों का संचालन किया जायेगा, जो कि भारत में निर्मित अब तक का सर्वाधिक क्षमता का लोकोमोटिव है। इस लोकोमोटिव का उत्पादन मेक इन इंडिया कार्यक्रम के अंतर्गत मधेपुरा इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव फैक्ट्री तथा। एएलएसटीओएम प्राइवेट लिमिटेड के संयुक्त प्रयास से किया गया है। इस इंजन के साथ भारत 10 हजार से ज्यादा होर्स पावर वाले इंजन उत्पादन की तकनीक वाला दुनिया का 6वाँ देश बन गया हैं। इस इंजन की मालवाहक क्षमता पूर्ववर्ती से दोगुनी है। इस लोकोमोटिव को 100 केएमपीएस सामान्य गति व 120 केएमपीएस गति से अपग्रेड करके चलाया जा सकता है। इस प्रकार की उच्च हॉर्स पावर के लोकोमोटिव भारतीय रेलवे में माल गाड़ियों की औसत गति तथा भारवाहक क्षमता को बढ़ाने में सहायक होंगे। डब्ल्यूएजी 12 बी लोकोमोटिव एक 3 फेज इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव हैं, जिसमे ऊर्जा संरक्षण हेतु रिजेनरेटिव ब्रैकिंग प्रणाली का उपयोग किया गया है। इस लोकोमोटिव की लम्बाई 35 मीटर हैं एवं इसमे 1000 लीटर हाई कंप्रेसर कैपेसिटी के 2 एमआर टैंक लगाए गए है, जो लॉन्ग हॉल लोड को भी सुगमता से चलाने में सक्षम है।
श्री शर्मा ने बताया कि इस लोकोमोटिव के कैब का डिजाइन अत्याधुनिक है एवं इसे कार्य दक्षता को संज्ञान में रखते हुए लोको पायलट के लिए काफी सुविधाजनक बनाया गया है। यह लोकोमोटिव पूर्णत वातानुकूलित है एवं केंद्रीकृत न्युमेटिक पैनल लगाया गया है। इस लोकोमोटिव की विश्वसनीयता अधिक है क्योकि यह लोकोमोटिव 2 लोकोमोटिव (एक मास्टर लोको एवं एक स्लेव लोको) से मिलकर बना है। मास्टरलोको में किसी तरह की खराबी की परिस्थिति में स्लेव लोको की पावर से कार्य किया जा सकता है जिससे लोकोमोटिव बदलने की आवयकता नही पडती है। ग्रेडीयंट (चढाई वाले) सेक्शनों में इस की भारवाहक क्षमता उच्चस्तरीय है। 1.150 केग्रेडीयंटपर 6000 टन लोड बगैर बैंकर लोको लगाये मालगाडी चलायी जा सकती है।दोनो लोको (मास्टर एवं स्लेव लोको) में जाने के लिए अन्दर से ही रास्ता बनाया गया है, जिससे लोको पायलट को लोकोमोटिव (इंजन) से नीचे नही उतरना पड़ता है, जिससे ट्रबलशूटिंग में लोकोपायलट को सुगमता रहती है। लोकोमोटिव काडिजाइन इस प्रकार से किया गया है की केब से ही लोकोपायलट सभी ऑपरेशन कर सकता है व किसी प्रकार का फाल्ट आने पर ट्रबल शूटिंग केब में ही बैठकर किया जा सकता है। एक लोकोकेब से दूसरा लोको आइसोलेट (बंदध् न्यूट्रल) किया जा सकता है। लोड कम होने की दशा में एक लोको को आइसोलेट कर एक लोको से ही कार्य किया जा सकता है। लोकोमोटिव काट्रॅक्टिवएफर्ट 706 किलोन्यूटन है जो कि उच्च होने के कारण स्टालिंग होने की संभावना कम रहती है।