देह शिवा बर मोहे ईहे, शुभ कर्मन ते कभुं न टरूं
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21 Dec 15
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देह शिवा बर मोहे ईहे, शुभ कर्मन ते कभुं न टरूं
न डरौं अरि सौं जब जाय लड़ौं, निश्चय कर अपनी जीत करौं,
अरु सिख हों आपने ही मन कौ, इह लालच हउ गुन तउ उचरों,
जब आव की अउध निदान बनै, अति ही रन मै तब जूझ मरों ॥२३१॥
माँ भवानी,
मुझे यह वरदान दो की मैं शुभ कर्मों से कभी भी टलूँ नहीं। जब युद्ध में जाऊँ तो शत्रु से डरूँ नहीं और संकल्प के साथ अपनी विजय प्राप्त करूँ। मैं अपने मन को यही सिखाऊं, बस यही एक लालच दूँ की माँ मैं अपने जीवन में तेरा गुणगान करूँ।
और मेरे जीवन के अंतिम दिन आएँ तो युद्ध भूमि में पराक्रम से संघर्ष करते करते ही अंतिम साँसे लूँ।
पंडित दीनदयाल स्मृति संस्थान
पंडित दीनदयाल स्मृति संस्थान की स्थापना 7 जनवरी 1988 को सीकर में हुई जहाँ से दीनदयालजी ने हाई स्कूल पास किया था। इसके संस्थापक सचिव श्री घनश्याम तिवाड़ी हैं जो कि उस समय सीकर से विधायक थे। संस्था का सीकर में माज़ी साहब का कुआँ स्थान पर एक भवन है जो इसका पंजीकृत कार्यालय है।
वर्तमान कार्यक्रम
2 अक्टूबर 2015 को, श्री घनश्याम तिवाड़ी, जो कि तत्समय संस्थान के सचिव थे, पर भारतीय जनता पार्टी के सांगानेर विधानसभा क्षेत्र में हुए प्रशिक्षण शिविर में सुनियोजित हमला हुआ जिसमें उनके हाथ में फ़्रैक्चर आ गया था। इस हमले के बाद ये संकल्प लिया गया कि संस्कारित कार्यकर्ताओं के निर्माण के लिए प्रदेश भर में पंडित दीनदयाल उपाध्याय और भारत के अन्य श्रेष्ठ राजनीतिक दर्शनों का प्रचार-प्रसार किया जाए। संयोग से देश भर में पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्मशताब्दी वर्ष भी मनाया जा रहा है। ऐसे में हमारी संस्था भी थोड़ा योगदान इस दिशा में कर इन कार्यक्रमों के माध्यम से कर पाएगी ऐसा हमारा मानना है।
2 अक्टूबर के बाद से पिछले दो-ढाई महीनों में माननीय तिवाड़ीजी इस संकल्प को लेकर कई जिलों तथा स्थानों पर में अपना प्रवास कर चुके हैं। इनमें भरतपुर, जोधपुर, सवाई माधोपुर, कोटा, करौली, दौसा, सीकर, झनझुनु, जयपुर ग्रामीण के कई क्षेत्र, पाली, जैतारण आदि प्रमुख हैं।
इन कार्यक्रमों को और अधिक संगठित स्वरूप देने के लिए संस्था के संस्थापक सदस्यों ने 10-11-2015 को मुझे सचिव की ज़िम्मेदारी सौंपी है। जिसके अंतर्गत पहला कार्यक्रम “राज्यस्तरीय प्रतिनिधि सम्मेलन” हम इस 24 दिसम्बर को बिडला सभागार में करने जा रहे हैं। इसके लिए प्रदेश भर से चयनित प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया गया है। इसके लिए पूर्व में एक बैठक हो चुकी जिसमें राज्य के सभी जिलों से प्रतिनिधि उपस्थित थे। इसकी व्यवस्था और सुरक्षा के लिए 19 दिसम्बर को दीनदयाल वाहिनी का भी गठन किया गया है। 22 दिसम्बर को स्वागत समिति की बैठक रखी गयी है।
इस कार्यक्रम के बाद राज्यभर से आए प्रतिनिधि अपने-अपने जिलों में इस कार्यक्रम को आगे ले जाएँगे। ये कार्यक्रम वर्ष भर चलते रहेंगे।
दीनदयाल वाहिनी का गठन
जयपुर में 19 दिसम्बर को, तिवाड़ीजी के जन्मदिवस पर “दीनदयाल वाहिनी” का गठन किया गया है। इस वाहिनी को इस कार्यक्रम के बाद और विस्तार दिया जाएगा। जयपुर शहर के प्रत्येक मंडल में इसकी कार्यकारिणी का गठन किया जाएगा। साथ ही राज्य भर में दीनदयाल वाहिनी का गठन किया जाएगा और राज्य के प्रत्येक ज़िले में कार्यकारिणी बनायी जाएगी। वाहिनी युवकों को स्वच्छ राजनीति की प्रेरणा भी देगी और आवश्यकता पड़ने पर न्याययहित और राज्यहित में संघर्ष भी करेगी।
वाहिनी के युवा कार्यकर्ता जिन्हें “दीनदयाल सेनानी” का नाम दिया गया है राज्य में मुख्य रूप से निम्नलिखित चार बिंदुओं पर काम करेंगे -
1) दीनदयाल की पार्टी को दलालों की पार्टी नहीं बनने देंगे। इसके लिए एक अभ्यास वर्ग चला कर राज्य के राजनीतिक कार्यकर्ताओं को दीनदयाल जी के दर्शन में प्रशिक्षित किया जाएगा। उसके आधार पर यह सर्वे किया जाएगा कि क्या आपके विधायक, मंत्री और मुख्यमंत्री दीनदयाल जी के दर्शन के आधार पर सरकार की नीतियाँ बना रहे हैं या नहीं?
2) कार्यकर्ता का खोया आत्मसम्मान लौटाने का काम। कार्यकर्ता विचार का वाहक है। कार्यकर्ता मुफ़्त का मज़दूर नहीं है। जो नेता विचार की सेवा करते हैं कार्यकर्ता उनको शक्ति प्रदान करता है। उसका काम पार्टी या विचार के नाम पर सत्ता हथियाने और सत्ता की दलाली करने वालों की बिना राज्य के हितों का विचार किए आदेश पालना का नहीं है। दीनदयाल सेनानी राज्यभर के कार्यकर्ता का खोया आत्मसम्मान लौटाने का काम करेंगे।
3) न्याययहित और राज्यहित के लिए राजनीतिक संघर्ष। दीनदयाल सेनानी राज्य की जनता का दुःख-दर्द और तकलीफें जानेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि राज्य की जनता को न्याय मिले और उसका दुःख-दर्द दूर हो। इसके लिए अगर इन सेनानियों को राजनीतिक संघर्ष भी करना पड़ा तो करेंगे।
4) दीनदयालजी के दर्शन से प्रेरणा लेकर तिवाड़ीजी के सामाजिक समरसता और आर्थिक न्याय के आंदोलन को जन-जन तक ले जाने का कार्य किया जाएगा। सामाजिक समरसता और आर्थिक न्याय का मुद्दा और दर्शन क्या है इस विषय में राज्य की जनता को जागरूक किया जाएगा।
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