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स्थाई लोक अदालत ने नगर परिषद को दिये आदेश

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30 Nov 18
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स्थाई लोक अदालत ने नगर परिषद को दिये आदेश प्रतापगढ| जिला स्थाई लोक अदालत अध्यक्ष की आज की बैठक में न्यायालय परिसर में साफ सफाई एवं अन्य बिन्दूओं के संबंध में प्रस्तुत याचिका पर सुनवाई करते हुए महत्वपूर्ण आदेश जारी किये।
प्राप्त जानकारी अनुसार जन उपयोगी प्रकरण संख्या ४०/२०१८ कुलदीप शर्मा वगैरह बनाम जिला कलक्टर प्रतापगढ में सुनवाई हुई। बार एसोसियेशन के अध्यक्ष गुणवन्त शर्मा की ओर से न्यायालय का द्वार जो पॉक्सो कोर्ट की बिल्डिंग के पास स्थित है, को खोलने का निवेदन किया। इस हेतु आवेदन भी प्रस्तुत किया। इस न्यायालय में प्रवेश हेतु वर्तमान में दो द्वार ह पॉक्सो न्यायालय के पास जो द्वार स्थित है, उसे पूरी तरह से ओपन कर आम रास्ते के रूप में नहीं खोला जा सकता, क्योंकि इससे न्यायालय परिसर में न्यूसेंस बढता है। वहां बैठे स्टाम्प वेण्डर्स, अधिवक्तागण आदि की सुविधा को ध्यान में रखते हुए दरवाजे को खोला जा सकता है, लेकिन लोहे की दो चेन्स निश्चित उंचाई पर बांधी जा सकती है, जिससे आवारा मवेशी, वाहन आदि अनावश्यक रूप से प्रवेश नहीं करें। प्रकरण में याचि कुलदीप शर्मा (अधिवक्ता) का एक अनुतोष न्यायालय में शौचालय/टॉयलेट्स के संबंध में था। स्थाई लोक अदालत इस संबंध में मौका मुआयना कर आगामी पेशी पर उचित आदेश पारित करेगी। याचि कुलदीप शर्मा का एक अनुतोष न्यायालय परिसर में सडकों के निर्माण को लेकर था। इस संबंध में स्थाई लोक अदालत ने चिंतन, मनन और विचार किया। माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्णय ऑल इण्डिया जजेज एसोसियेशन तथा नगर पालिका रतलाम बनाम वृद्धिचन्द तथा अन्य सुसंगत न्याय दृष्टांतों का अवलोकन करने से तथा वर्तमान में माननीय उच्चतम न्यायालय के पत्र दिनांक २० नवम्बर २०१८ द्वारा प्राप्त दिशा निर्देशों के मुताबिक न्यायालय परिसर में सडकों की व्यवस्था अत्यन्त दयनीय और शोचनीय है। बैंच के सदस्यगण अजय कुमार पिछोलिया एवं देवेन्द्र कुमार अहिवासी तथा स्थाई लोक अदालत के समक्ष मौजूद अधिवक्ता संघ के वरिष्ठ अधिवक्तागण ने स्थाई लोक अदालत को बताया कि सडकों का निर्माण वर्ष २००४ में हुआ था। उपस्थित अधिवक्तागण ने जाहिर किया कि चौदह वर्ष गुजर जाने के पश्चात भी इस अवधि में उक्त सडकों के मेंटीनेन्स का कोई प्रयास नहीं हुआ है। न्यायालय परिसर नगर परिषद की स्थानीय सीमा के अन्दर स्थित है तथा नगर परिषद की स्थानीय सीमा के अन्दर होने के कारण यहां सडकों का बनाना, रखरखाव आदि की प्राथमिक जिम्मेदारी नगर परिषद की है।
उक्त आधारों पर स्थाई लोक अदालत ने नगर परिषद को आदेश दिया कि न्यायालय परिसर के अन्दर सडकों का निर्माण करें। सडकों का निर्माण करने में सडकों का आपसी जुडाव भी समुचित तरीके से रखा जावे तथा सडकों की चौडाई लगभग तीस फुट रखी जावे, लेकिन जहां अधिवक्तागण बैठते हैं वहां उनकी सुविधा के मुताबिक रखा जावे। सडकों का निर्माण कार्य सकारात्मक रूप से आज से नब्बे दिवस अर्थात तीन माह की अवधि में पूरा कर लिया जावे।




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