GMCH STORIES

गाँधी जयन्ती पर राजस्थान के गाँधी की साफगोई

( Read 2101 Times)

03 Oct 22
Share |
Print This Page

गाँधी जयन्ती पर राजस्थान के गाँधी की साफगोई

नई दिल्ली। राजस्थान में मुख्यमंत्री को लेकर अनिश्चितताओं के मध्य राजस्थान के गाँधी कहें जाने वाले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की  साफगोई और सत्य के साथ दृढ़ता के साथ खड़े होने की उनकी राजनीतिक इच्छा शक्ति ने प्रदेश की सियासी राजनीति में कई नए संकेत दे दिए है।

गांधी जयंती पर रविवार को जयपुर के  शासन सचिवालय में राष्ट्रपिता को श्रद्धाजली अर्पित पत्रकारों से बातचीत करते हुए सचिन पायलट के नेतृत्व में हुई बगावत से जुड़ी सभी बातों का खुलासा करते हुए कहा कि संकट में साथ देने वाले और प्रदेश में बीजेपी की साज़िश को फेल कर साथ देने वाले  अपने 102 साथियों को वे कैसे भूल सकते थे। मैंने उन्हें सदैव उनका अभिभावक बनने का वचन दिया था अब वे उन्हें  छोड़कर कहाँ जा सकते है। यही कारण है कि मैंने  कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष पद  का नामांकन भी नही भरा । 
साथ ही गहलोत ने कहाकि प्रदेश के 50 साल के इतिहास में यह पहला मौका हुआ कि हाईकमान के आदेश के अनुरूप एक लाइन का प्रस्ताव हम पारित नहीं करा पाए यह हमारी सबसे बड़ी भूल है। एक लाइन का प्रस्ताव पारित करवाना हमारी परंपरा रही है। मैंने सोनिया गांधी से मिलकर कहा कि सीएलपी लीडर रहते अपनी  जिम्मेदारी को पूरा नही कर पाने पर तहें दिल से माफ़ी माँगी है।

गहलोत ने कहा कि प्रदेश में जो हुआ वह नही होना चाहिए था । 
उन्होंने खुलासा किया कि 
जब कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने विधायकों से जाकर कहा कि आप चलिए। एक लाइन का प्रस्ताव पारित करने का तो कायदा होता है।विधायकों ने डोटासरा से कहा कि हमारे अभिभावक तो दिल्ली जा रहे हैं, हमें किसके भरोसे छोड़कर जा रहे हैं ? 

गहलोत ने जाह कि आप सोच सकते हो जिन्होंने मेरी सरकार बचाई उन  102 विधायकों के भरोसे को मैं कैसे भूल सकता हूं, इसलिए मैंने कांग्रेस अध्यक्ष से माफी मांगना मंजूर किया, मुझे तो संकोच हो रहा था, मैं उन्हें जाकर क्या कहूंगा? लेकिन उन्होंने मेरी बातें ध्यनापूर्वक सुनी।
गहलोत ने कहा कि कई बार कई कारणों से ऐसे दुर्भाग्यपूर्ण फैसले हो जाते हैं। मुझे नहीं मालूम किन हालात में फैसला हुआ, जब विधायक दल की बैठक बुलाकर एक लाइन का प्रस्ताव पारित करना होता है जो नहीं हो पाया  और हमारी बदनामी हुई । गहलोत ने कहा कि मौजूदा परिस्थितियों में हमें राजस्थान में किसी और प्रकार का कोई विवाद नहीं हो ऐसा वातावरण तैयार कर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार को फिर से लाने के लिए एकजुटता के साथ काम करना होगा।

गहलोत ने भाजपा  पर आरोप लगाया कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से घबराकर भाजपा सोशल मीडिया के जरिए राहुल गांधी की छवि खराब करने का काम कर रही है जबकि तमिलनाडु, केरल में भारत जोड़ो यात्रा को अच्छा रिस्पांस मिल रहा है। लोग सड़कों पर आकर राहुल गांधी से अपनी बात कह रहे हैं, लोग सड़कों पर तभी आते हैं जब उन्हें लोकतंत्र में अपनी बात कहनी होती है और इसी से घबराकर बीजेपी राहुल गांधी की छवि खराब करने का काम कर रही है।
गहलोत ने कहा कि भाजपा का बस चले तो अभी भी सरकार गिरा देवें। लेकिन हम ऐसा होने नहीं देगें।भाजपा इन विधायकों से मिली हुई थी। उस वक्त हमसे अलग होकर हमारे कुछ अमित शाह के पास बैठकें कर रहे थे, हमारे कुछ विधायक गए थे। अमित शाह, धर्मेंद्र प्रधान, जफर इस्लाम, सब बैठकर बातचीत कर रहे थे। हमारे विधायकों को हंस-हंस कर मिठाई खिला रहे थे। कह रहे थे कि थोड़ा इंतजार करो। उस वक्त होटल से निकलने के 10 करोड़ मिल रहे थे लेकिन जब राज्यपाल ने विधानसभा का सत्र बुलाने की घोषणा कर दी तों भाजपा विधायकों को 58 करोड़ तक दे रही थी। प्रदेश में उनका बस नहीं चला। 

गहलोत ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष का चुनाव लड़ रहे पार्टी के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे की जीत को तय बताया और कहा कि वे जमीनी नेता है । दूसरी तरफ शशि थरूर भी कुलीन परिवार  से आते हैं लेकिन  उन्हें संगठन के बारे में खड़गे से कम अनुभव है ऐसे में खड़गे की जीत तय है।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि गाँधी जयन्ती पर राजस्थान के गाँधी की इन  सत्य  वचनों और साफ़गोई से तय है कि कांग्रेस हाई कमान गहलोत को ही राजस्थान में कांग्रेस सरकार का नेतृत्व करने की हरि झण्डी दे देगा। हाँ यह देखना होगा कि अनुशासन कमेटी का रुख़ क्या रहेगा और पायलट का प्लेन अब किस दिशा में उड़ान भरेगा।


Source :
This Article/News is also avaliable in following categories : National News , ,
Your Comments ! Share Your Openion

You May Like