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निर्वाचन आयोग नवम्बर माह तक करवा सकता है राजस्थान विधानसभा की दो खाली सीटों के लिए उपचुनाव

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24 Jul 21
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-नीति गोपेंद्र भट्ट-

निर्वाचन आयोग नवम्बर माह तक करवा सकता है राजस्थान विधानसभा की दो खाली सीटों के लिए उपचुनाव

भारत निर्वाचन आयोग राजस्थान विधानसभा की दो खाली सीटों के लिए उप चुनावों के लिए शीघ्र ही तिथियोंकी घोषणा कर सकता है। यदि कतिपय कारणों से फ़िलहाल ऐसा नही होता है तों सामान्य परिस्थितियाँ रहनेपर नवम्बर माह तक यह उप चुनाव हो सकते है ।

देश और प्रदेश में कोविड-19 के   सुधरते हालातों और तीसरी लहर के आसन्न खतरे से पहले निर्वाचन आयोगइन उप चुनावों  को करवाना चाहेगा । इसमें जीतने वाले विधायकों का कार्यकाल  दिसम्बर 2023  में होने वालेराजस्थान विधानसभा चुनाव तक यानि ढाई वर्ष तक रहेगा। 

दुर्भाग्य से राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत केबिनेट के क़द्दावर मंत्री मास्टर भँवर लाल मेघवाल(सुजानगढ़-चुरु) के अलावा  प्रदेश के चार विधायकों का कोरोना संक्रमण के कारण असामयिक निधन होगया ।इससे प्रदेश में उप चुनावों  की नौबत पैदा हुई । दिवंगत विधायकों में कांग्रेस के दो विधायक कैलाशत्रिवेदी (सहाड़ा-भीलवाड़ा) और गजेन्द्र सिंह शक्तावत (वल्लभ नगर-उदयपुर) तथा बीजेपी के भी दो विधायकश्रीमती किरण माहेश्वरी (राजसमन्द) और गोपाल लाल मीणा (धरियावद-प्रतापगढ़,उदयपुर संभाग ) का निधनहुआ है।  

राज्य की चार विधानसभा में से तीन विधानसभा क्षेत्रों में उप चुनाव हो गए है जिनमें दो सीटों पर कांग्रेस औरएक सीट पर भाजपा विजयी रहीं है। इन उप चुनाव परिणामों में सहानुभूति लहर की स्पष्ट छाप दिखाई दी औरदिवंगत विधायकों के परिवारजन कैलाश त्रिवेदी (सहाड़ा-भीलवाड़ा) की पत्नी गायत्री देवी त्रिवेदी , श्रीमतीकिरण माहेश्वरी (राजसमन्द) की पुत्री दीप्ति माहेश्वरी  और मास्टर भँवर लाल मेघवाल (सुजानगढ़-चुरु) केपुत्र मनोज मेघवाल विधायक चुने गए।

नियमानुसार भारत निर्वाचन आयोग  खाली सीटों पर  छह महीने में उप चुनाव कराता है लेकिन इस बारवैश्विक महामारी कोरोना की असाधारण परिस्थितियों के बावजूद पिछलें दिनों हुए पश्चिम बंगाल और चारअन्य राज्यों में हुए  विधानसभा चुनावों  की काफी निन्दा हुई थी जिसकी वजह से निर्वाचन आयोग अबकी बारअतिरिक्त सावधानी बरत रहा लगता है। 

हिसाब से  प्रदेश के उदयपुर जिले की वल्लभनगर रिक्त सीट पर छह माह में उपचुनाव होने चाहिए थे जिसकासमय  इस माह जुलाई में पूरा हो रहा है । इस मध्य पिछलें मई में उदयपुर संभाग के प्रतापगढ़ जिले की  धरियावद विधायक के निधन से एक और सीट खाली हो गई है ।हालाँकि छह माह के हिसाब से यहाँ नवम्बरमाह तक उप चुनाव होने चाहिए। लगता है कि चुनाव आयोग प्रदेश की दोनों खाली हुई सीटों पर एक साथ उपचुनाव करवा सकता है । देश के अन्य राज्यों में भी ऐसे उप चुनाव होने है । संभवतः इसलिए आयोग ने अभीतक चुनाव कार्यक्रम घोषित नहीं किया है। फिर निर्वाचन आयोग की प्राथमिकता अगले वर्ष उत्तर प्रदेश सहितकुछ अन्य प्रदेशों में विधानसभा चुनावों की तैयारियाँ करना है।

 

असल में उप चुनावों की तारीखों की घोषणा नई दिल्ली से भारत निर्वाचन आयोग करता है । राजस्थान कीराजसमंद, सहाड़ा व सुजानगढ़ विधानसभा चुनावों की तारीख तय करते समय  वल्लभनगर का नाम नहीं आनेसे सभी को आश्चर्य हुआ था । जबकि जिला निर्वावन विभाग उदयपुर ने सभी तैयारियां पूरी कर ली थी  लेकिनवल्लभनगर का नाम नहीं आने पर उदयपुर के निर्वाचन विभाग के अधिकारी व इस कार्य में जुटे कर्मचारी संशयमें पड़ गए थे ? निर्वाचन कार्यालय से लेकर कलक्ट्री में यह चर्चा थी कि वल्लभनगर में चुनाव कराने कीघोषणा इस सूची में क्यों आई। भाजपा-कांग्रेस नेताओं ने भी जयपुर दिल्ली तक तक फोन किए

। वल्लभनगर विधायक गजेन्द्र सिंह शक्तावत का निधन 20 जनवरी 2021 को हुआ और उससे 6 महीने केअंदर-अंदर चुनाव कराए जाने थे।

अब राजस्थान के वल्लभनगर और धरियावाद विधानसभा उप चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां तेज होगई है। कांग्रेस के दिवंगत विधायक गजेन्द्र सिंह शक्तावत के परिवारजन मुख्यरूप से उनकी पत्नी प्रीति इससीट के प्रबल दावेदार है । कांग्रेस में शक्तावत परिवार के अलावा कई दावेदार है पर अभी खुलकर सामने नहींआए है । दरअसल गजेन्द्र सिंह शक्तावत  को सचिन पायलट ग्रूप का माना जाता था। जबकि गजेन्द्र सिंह केपिता दिवंगत गुलाब सिंह शक्तावत गहलोत के मंत्रिमंडल में गृह मंत्री रहें और उनके विश्वस्त थे। वे मोहन लालसुखाडिया हरिदेव जोशी शिव चरण माथुर हीरालाल देवपुरा आदि लगभग सभी मुख्यमंत्रियों के कार्यकाल मेंमहत्वपूर्ण पदों पर रहे।

 

भाजपा के दावेदारों ने भी उप चुनाव के लिए अपने नाम आगे किए हैं। किसान मोर्चा अध्यक्ष धनराज अहीर, भाजपा नेता आकाश वागरेचा, डेयरी चेयरमैन डा. गीता पटेल, कानोड़ से महावीर दक, विधानसभा प्रभारी वपूर्व प्रत्याशी उदयलाल डांगी कानोड़ से पूर्वा पालिकाध्यक्ष अनिल शर्मा आदि ने बैठक कर रणनीति तैयार कीहै। वैसे वल्लभनगर में महावीर वया सहित अन्य कई कार्यकर्ता टिकट की दावेदारी कर रहे है।

इधर, भाजपा से अलग होकर जनता सेना दल बनाने वाले और पिछले से पिछला विधानसभा चुनाव जीतनेवाले जनता सेना के नेता रणधीर सिंह भींडर कांग्रेस और भाजपा के अंतर्कलह में यह सीट निकालने के जुगाड़में है। यहाँ से वे स्वयं अथवा उनकी पत्नी के चुनाव लड़ने की सम्भावनाएँ है। गजेन्द्र सिंह शक्तावत के निधन केबाद हुए नगर निकायों के चुनाव में उनके दल को मिली विजय से वे बहुत उत्त्साहित है।

रणधीर सिंह भींडर विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता और मेवाड़ में भाजपा के क़द्दावर नेता गुलाब चन्द कटारियाके घोर विरोधी है । इसी कारण उन्होंने भाजपा को तोड़ अपनी नई पार्टी जनता सेना का गठन किया औरवसुन्धरा राजे के मुख्यमंत्री काल में जनता सेना के विधायक भी रहें। रणधीर सिंह भींडर के रिश्ते वसुन्धरा राजेसे बहुत घनिष्ठ हैं।

अब देखना होगा कि क्या गहलोत-पायलेट तथा वसुन्धरा-कटारिया  ग्रूप के मध्य चल रही खिंचतान काफ़ायदा उठाते हुए  रणधीर सिंह भींडर  की जनता सेना पार्टी वल्लभ नगर सीट पर एक बार फिर कब्जाजमायेंगीं? अथवा भाजपा और जनता सेना के टकराव में कांग्रेस पिछलें चुनाव की तरह अपनी विजय कोदोहरायेगी। इसीप्रकार अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित धरियावद सीट पर जीतने वाले दल के लिएदक्षिणी राजस्थान के गुजरात से सटे उदयपुर संभाग के आदिवासी वोटों पर अपनी जनाधार की ताक़त कोतोलने का अवसर मिलेगा । 


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