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आत्म निर्भर भारत हमारी सरकार का फोकस बना, जिसके ईर्दगिर्द सभी आर्थिक नीतियां तय की जा रही हैं-डॉ. हर्ष वर्धन

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15 Jan 21
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आत्म निर्भर भारत हमारी सरकार का फोकस बना, जिसके ईर्दगिर्द सभी आर्थिक नीतियां तय की जा रही हैं-डॉ. हर्ष वर्धन

नई दिल्ली (नीति गोपेन्द्र भट्ट) | केन्द्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान और स्वास्थ्य तथा परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने आज स्वराज्य पत्रिका और वेदांता द्वारा आयोजित आत्म निर्भर भारत विषय पर वेबिनार को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि आत्म निर्भर भारत हमारा फोकस बन गया है, जिसके ईर्दगिर्द सभी आर्थिक नीतियां तय की जा रही है।  हमारी सरकार अमीरों और गरीबों के बीच अंतर कम करने पर फोकस कर रही है और सभी भारतीय नागरिकों को समान अवसर प्रदान कर रही है, जिसका अर्थ है-अन्तयोदय।

केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि आत्म निर्भर भारत के  अनुसार देश को गरीबी के चंगुल से मुक्त कराने की योजना है और न केवल रोटी, कपडा, मकान सभी भारतीयों तक पहुंच अपितु उनके जीवन में गुणात्मक परिवर्तन लाना सुनिश्चित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि देश में 24 घंटे बिजली देने, सभी को पेयजल सुनिश्चित करने, आवास, सामाजिक सुरक्षा और रोजगार तथा अच्छे स्वास्थ्य के लिए बेहतर भोजन की व्यवस्था का भी काम किया जा रहा है।

कोविड महामारी से उत्पन्न चुनौती का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने वैक्सीन कैंडीडेट और संबंधित प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए काम किया। मिशन कोविड सुरक्षा के तहत भारतीय कोविड-19 वैक्सीन विकास मिशन से हमने तेजी से वैक्सीन विकास पर फोकस किया। इसके लिए प्री-क्लीनिकल विकास, क्लीनिकल ट्रायल, विनिर्माण और वैक्सीन के लिए विनियामक मंजूरी में सुविधा प्रदान की गई।

केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि कोविड-19 का वैक्सीनेशन अभियान भी मेक-इन-इंडिया से ऊर्जावान है। हमने देश भर में कोविड चेन भंडारण मूल्यांकन कराया और कोविड चेन उपकरण की आपूर्ति की जा रही है, ताकि अंतिम छोर के कोल्ड चेन स्थलों तक क्षमता को मजबूत बनाया जा सके।

डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि कोविड-19 महामारी ने अनुसंधान और विकास संस्थानों, अकादमिक और उद्योग कार्य  को उद्देश्य, समन्वय और सहयोग को साझा करने के लिए मिलकर काम करने हेतु अवसर प्रदान किया।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग और इसके स्वायत्त संस्थानों ने महामारी से उत्पन्न विभिन्न चुनौतियों से संबंधित अनुसंधान और विकास तथा नवाचार के समाधान के महत्वपूर्ण प्रयास किए। इसके अलावा भविष्य में महामारी के फैलाव का पूर्वानुमान लगाने के लिए 20 प्रमुख वैज्ञानिकों का राष्ट्रीय कार्य बल गठित किया गया। उन्होंने कहा कि जैव प्रौद्योगिकी विभाग और बीआईआरएसी पिछले 10 महीनों से महामारी का मुकाबला करने के लिए प्रभावी हस्तक्षेप विकसित करने के काम कर रहे हैं। इसके अलावा वैक्सीन, निदान और थेरापियोटिक्स के क्षेत्र में 120 परियोजनाओं को मदद दी जा रही है।

नेशनल बायोमेडिकल रिसोर्स इंडिजेनाइजेशन के अंतर्गत 200 भारतीय विनिर्माता पंजीकृत हैं। यह मेक-इन-इंडिया पहल है, जिसके अंतर्गत 15 प्रमुख मॉलिक्यूलर बायोलॉजी तत्व और रसायन बनाए जा रहे हैं। इसके अलावा जैव प्रौद्योगिकी विभाग लगभग 15 वैक्सीन कैंडीडेट को विकास में मदद दे रहा है। इनमें से तीन क्लीनिकल ट्रायल स्टेज में हैं और लगभग दो एडवांस प्री-क्लीनिकल डेवलपमेंटल स्टेज में हैं।

डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि पांच कोविड-19 बायोरिपॉजिटरी स्थापित की गई हैं और इनमें 40,000 सैम्पल सुरक्षित हैं, जो कि बायोमेडिकल अनुसंधानकर्ताओं के लिए उपलब्ध है। उन्होंने यह भी कहा कि नई कागज आधारित निदान किट फेलुदा कोविड की जांच के लिए विकसित की गई है। टाटा संस ने इस प्रौद्योगिकी को ले लिया है और वे शीघ्र इसका निर्यात शुरू करेगा। 


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