उदयपुर, साधारण परिवार एक बड़ी राजनेता बनने वाली श्रीमती किरण माहेश्वरी का अचानक चले जाना भाजपा के लिए नुकसान तो है ही, राजस्थान ने भी एक उभरती नेता को खो दिया। स्त्री होते हुए भी उन्होंने अपनी मेहनत और नेतृत्वशीलता से ऊंचाइयों को छुआ।
यह बात शोक संवेदना प्रकट करते हुए भाजपा विधि प्रकोष्ठ के प्रदेश सहसंयोजक अशोक सिंघवी ने कही। उन्होंने कहा कि स्व. किरण माहेश्वरी स्वभाव से हंसमुख, मिलनसार और हर जरूरतमंद की मदद को तत्पर रहने वाली शख्सियत थीं। कार्यकर्ताओं के सुख-दु:ख में साथ खड़ी नजर आती थीं। यही कारण था कि उन्हें सभी ‘दीदी’ संबोधित करते थे। वे अपनी नेतृत्व क्षमता और मिलनसार व्यक्तित्व के कारण मेवाड़ से राजस्थान की किरण बन गईं। मौजूदा दौर में उन्हें देश की प्रमुख महिला नेता के रूप में देखा जाने लगा था। संवेदनशील, सर्वजन सुखाय - सर्वजन हिताय की सोच रखने वाली, मर्यादाओं को संरक्षित और पोषित करने वाली, मां की तरह अपने कार्यक्षेत्र को परिवार समझने वाली एक उभरती ‘किरण’ को कोरोना का दंश लील गया, जो सिर्फ भारतीय जनता पार्टी के लिए ही नहीं, लोकतंत्र में सर्वजनप्रिय नेतृत्वशीलता के लिए भी अपूरणीय क्षति है।
उनका निधन सिर्फ राजसमंद या मेवाड़ के लिए ही नहीं, अपितु राजस्थान और देश के राजनीतिक नेतृत्व के लिए भी अपूरणीय क्षति है। अपने व्यस्त राजनीतिक जीवन के बीच सामाजिक आयोजनों के लिए समय निकालना भी उनसे सीखा जा सकता है।
विधायक माहेश्वरी के निधन को सिंघवी सहित वरिष्ठ अधिवक्ता प्रवीण खण्डेलवाल, दिनेश गुप्ता, भाजपा विधि प्रकोष्ठ के शहर जिला संयोजक भानु भटनागर, देहात जिला संयोजक विजय ओस्तवाल, जिला सह संयोजक जितेन्द्र जैन, चंद्रभान सिंह, गोपाल पालीवाल, गोविन्द वैष्णव, हितेष वैष्णव, योगेन्द्र दशोरा, महेश बागड़ी, राकेश मोगरा, कमलेश दाणी, बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष महेन्द्र नागदा आदि ने राजस्थान के राजनीतिक नेतृत्व के लिए अपूरणीय क्षति बताया है।