नई दिल्ली । उपराष्ट्रपति ने देश में चिकित्सा पर्यटन के प्रसार की सराहना करते हुए कहा कि इससे विदेशियों को तो बेहतर इलाज की सुविधा मिल जाती है, लेकिन विडंबना है कि अपने नागरिकों को बेहतर इलाज की सुविधा नहीं मिलती। नायडू ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए उम्मीद जताई कि प्रत्येक नागरिक को बेहतर दायित्वबोध के साथ चिकित्सा सुविधा मिले। उन्होंने कहा, ‘‘हमारी चिकित्सा सेवाओं की यह विडंबना ही है कि एक तरफ भारत में दूसरे देशों से इलाज के लिए आने वाले मरीजों के कारण चिकित्सा पर्यटन तेजी से बढ़ा है, हालांकि इलाज की वैसी सुविधाएं अनेक भारतीयों की पहुंच से दूर हैं। हमें इस स्थिति से बाहर आना होगा। हमें गुणवत्तापूर्ण स्वास्य सेवाएं विकसित करनी होंगी।’ नायडू ने एम्स में विश्वस्तरीय चिकित्सा सेवाओं की सहूलियत के लिए एम्स प्रशासन की तारीफ करते हुए कहा, ‘‘सिर्फ आप (चिकित्सक) ही बीमार मानवता को रोगमुक्त बना सकते हैं। सिर्फ आप ही लोगों की जिंदगी के साल बढ़ा सकते हैं और मुझे उम्मीद है कि भविष्य में इसके लिए चिकित्सा सुविधाओं को उन्नत, आसान, जवाबदेह और प्रभावशाली बनाया जाएगा।’नायडू ने युवा डॉक्टरों से चिकित्सा सेवा के नैतिक मूल्यों को सदैव जेहन में रखने का आह्वान करते हुए कहा कि वे प्रत्येक मरीज की आर्थिक पृष्ठभूमि को ध्यान में रखे बिना पूरी शिद्दत से उसका इलाज करें। उन्होंने देश में ही विश्वस्तरीय चिकित्सा तकनीक और उपकरणों के निर्माण को बढ़ावा देने की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि इससे न सिर्फ विदेशी मुद्रा की बचत होगी, बल्कि उपकरणों की कीमत भी कम होगी। उपराष्ट्रपति ने चिकित्सा सेवाओं के मामले में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच व्याप्त अंतर का भी जिक्र करते हुए कहा कि बेहतर स्वास्य सुविधाएं विकसित कर इस अंतर को खत्म किया जा सकता है।
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