GMCH STORIES

अमिट रहेगा संत लोंगोवाल का बलिदान

( Read 4570 Times)

19 Aug 18
Share |
Print This Page
अमिट रहेगा संत लोंगोवाल का बलिदान पंजाब ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण भारत की माटी को प्रणम्य बनाने में अकाली आन्दोलन के प्रमुख एवं चर्चित सिख संत महापुरुष हरचंद सिंह लोंगोवाल का पंजाब समस्या के समाधान में अमूल्य योगदान है, वे अखण्ड भारत एवं आदर्श एवं संतुलित समाज रचना के प्रेरक थे। वे धार्मिकता एवं राजनीति के समन्वयक महानायक थे। उन्होंने सिख राजनीति को नये आयाम दिये, घोर अन्धकार की स्थितिया में वे एक रोशनी बनकर सामने आये।
हरचंद सिंह लोंगोवाल का जन्म 2 जनवरी 1932 को पटियाला रियासत, वर्तमान में पंजाब के संगरूर जिले के एक छोटे से ग्राम गिदरैनी में एक साधारण परिवार में हुआ। वे पंजाब में चल रहे आतंकवाद एवं हिंसा की जटिल स्थितियों के बीच सन् 1980 में अकाली दल के अध्यक्ष थे। वे सिख समुदाय के बीच ‘संतजी’ के रूप में जाने जाते थे। उन्होंने संत जोधसिंहजी के मार्गदर्शन में सिख धर्मशास्त्र और सिख ग्रंथों का गहन अध्ययन किया और सिख संगीत का अभ्यास भी किया, इस तरह सिख धर्मगुरु बने। चूंकि उनके गुरु अकाली आंदोलन से जुड़े थे, इसलिये युवा हरचंद सिंह को उस समय राजनीतिक गतिविधियों नेे भी प्रभावित किया था। अपने गुरु से मिले आध्यात्मिक-धार्मिक प्रशिक्षण एवं तत्कालिन राजनैतिक परिस्थितियों ने उन्हें आन्दोलित किया। यही कारण है कि उन्होंने पंजाब की व्यापक हिंसा एवं आतंकवाद की स्थितियों के बीच शांति, सद्भाव एवं अहिंसा को प्रतिष्ठित करने के व्यापक प्रयत्न किये। पंजाब की सर्वव्यापी उथल-पुथल में नित नए राजनीतिक समीकरण बन-बिगड़ रहे हैं, हिंसा एवं आतंक के भयानक दृश्य भारत की एकता एवं अखण्डता को विखंडित कर रहे थे, ऐसे जटिल दौर में सबकी नजरे संत लोंगोवाल पर टिकी रहती थी।
संत लोंगोवाल का सक्रिय राजनीतिक जीवन जून 1964 में शुरू हुआ, जब उन्होंने हिमाचल प्रदेश में पोंटा साहिब की ऐतिहासिक स्थल पर सिख अधिकारों के लिए प्रदर्शन का नेतृत्व किया। 1965 में वे संगरूर जिले के अकाली दल के अध्यक्ष बने और शिरोमणि अकाली दल की कार्यकारी समिति के सदस्य बने। 1969 में वे पंजाब विधानसभा के लिए अकाली उम्मीदवार के रूप में चुने गए। 1980 में उन्हें अकाली दल का अध्यक्ष बनाया गया। उन्होंने सिख अधिकारों एवं उनकी समस्याओं के समाधान के लिये व्यापक संघर्ष किया। केन्द्र सरकार की सिख विरोधी नीतियों को लेकर संत लोंगोवाल ने तत्कालिन प्रधानमंत्री श्रीमती गांधी के साथ बातचीत की लेकिन यह वार्ता निराशाजनक रही।
पंजाब में आतंकवादी गतिविधियां बढ़ती ही जा़ रही थी, 1984 में आतंकवादियों ने स्वर्ण मन्दिर परिसर पर कब्जा कर लिया था। अनेक अकाली एवं सिख नेता, दर्शनार्थी एवं धार्मिक श्रद्धालु मन्दिर में फंस गये थे, जिनमें संत लोंगोवाल, एसजीपीसी प्रमुख गुरचरण सिंह टोहरा, जरनल सिंह भिंडरवाला और हजारों तीर्थयात्री थे। इन सबको आतंकवादियों से मुक्त कराने के लिये सेना ने ऑपरेशन ब्लू स्टार के रूप में बड़ी कार्रवाई की, 4-6 जून 1984 के बीच सेना का ऑपरेशन हुआ था। मंदिर में भिंडरवाला और उनके अधिकांश अनुयायियों की मौत हो गई थी। लेकिन संत लोंगोवाल उन सिख नेताओं में से एक थे जिन्हें बचाया गया था।
मार्च 1985 में, अकाली पार्टी के नेतृत्व को नए प्रधानमंत्री राजीव गांधी के आदेश के तहत जेल से रिहा किया गया। स्थिति में सुधार और सिख मांगों के लिये वार्ता का माहौल निर्मित करने के प्रयास होने लगे। लेकिन पंजाब समस्या के समाधान दिशा में कोई सार्थक पहल नहीं हो पा रही थी, इन स्थितियों में अनेक माध्यमों से संत लोंगोवाल को समझौते के लिये प्रेरित करने के उपक्रम होते रहे। लेकिन आचार्य तुलसी ने पंजाब में शांति बनाए रखने के लिए अनेक साधु-साध्वियों के वर्गों को पंजाब भेजा, जिनमें मुनि विनयकुमार ‘आलोक’ अनेक खतरों के बीच भी शांति प्रयासों में जुटे थे। उन्होंने आतंकवाद की परवाह न करके साहस के साथ लोगों को अहिंसा और शांति का संदेश दिया। उस समय आचार्यश्री तुलसी का चातुर्मासिक प्रवास आमेट- राजस्थान में था। उन्हें पंजाब की समस्या विचलित किए हुए थी, वे इस समस्या का समाधान चाहते थे। उन्होंने अपने शांतिदूत शुभकरणजी दसाणी को एक संदेश देकर अकाली दल के अध्यक्ष संत हरचंदसिंह लोंगोवाल के पास भेजा। उस समय की परिस्थितियां ऐसी थीं कि अकाली नेता किसी भी स्तर पर किसी से बात करने को तैयार नहीं थे, लेकिन आचार्यश्री तुलसी के संदेश ने संत लोंगोवाल को प्रेरित किया और वे 9 जुलाई 1985 को आमेट आए। संत लोंगोवालजी के साथ वरिष्ठ अकाली नेता सुरजीतसिंह बरनाला, बलवंतसिंह, रामू वालिया आदि भी थे।
संत लोंगोवालजी और अकाली नेताओं का आमेट पहुंचना देश के लिए बहुत बड़ी घटना थी। मैं उन दिनों आचार्य तुलसी के जनसम्पर्क अधिकारी के रूप में सक्रिय था। मेरे प्रयासों से समाचारपत्रों एवं टीवी आदि में विस्तार से इस घटना को प्रसारित किया गया। संत लोंगोवालजी आमेट में दो दिन रूके। पंजाब समस्या को सुलझाने एवं शांति-स्थापित करने के विविध पहलुओं पर उन्होंने बन्द कमरे में खुलकर आचार्यश्री तुलसी के साथ चर्चा की। उन चर्चाओं में मुझे भी बन्द कमरे में बन रहेे इतिहास को देखने-समझने का दुर्लभ अवसर मिला। मैंने देखा संत लोंगोवाल आचार्यश्री तुलसी के अहिंसक व्यक्तित्व एवं आध्यात्मिक तेज से बहुत अधिक प्रभावित हुए और सार्वजनिक रूप से उन्होंने घोषणा की-‘‘हम आतंकवाद के विरोध में हैं। आतंकवादी लोगों के साथ हमारा कोई संबंध नहीं है। यदि केंद्रीय सरकार हमारी भावना का मूल्यांकन करे तो समस्या सुलझ सकती है।’’ आचार्यश्री तुलसी ने लोंगोवालजी से कहा-‘‘हमारा मिलन पंजाब में शांति का निमित्त बने, यह मेरी भावना है। आपको इस संदर्भ में सरकार से बात करनी चाहिए। मेरा अभिमत है कि यह कोई ऐसी समस्या नहीं है, जिसका हल न निकाला जा सके।’’ लोंगोवालजी ने खिन्न स्वरों में कहा-‘‘मैं इंदिरा गांधी से इस संदर्भ में अनेक बार मिल चुका हूं, लेकिन उनका रवैया सकारात्मक नहीं रहा।’’ आचार्य तुलसी ने कहा-‘‘तब इंदिराजी थीं, अब राजीव है। मां और बेटे के चिंतन एवं कार्य करने के तरीके में अंतर हो सकता है। अतः आपको एक बार और प्रयत्न करना चाहिए।’’ आचार्य तुलसी के चिंतन को स्वीकार कर लोंगोवालजी राजीव गांधी से मिलने का मन बना लिया। वे 24 जुलाई 1985 को राजीव गांधी से मिले और पंजाब समस्या पर समझौता हो गया। राजीव-लोंगोवाल समझौते ने पंजाब ही नहीं बल्कि भारत की जनता को शुभ सुकून दिया। जोगी की जटा की भांति उलझी हुई पंजाब समस्या एक झटके में सुलझ गयी। यह समझौता राष्ट्रीय एकता, समन्वय, सद्भाव और शांति की दिशा में महत्वपूर्ण कदम था। लोकतंत्रीय मुल्क की एकता और अखण्डता की रक्षा के लिये संत लोंगोवाल ने अपनी संतता एवं सूझबूझ का जो परिचय दिया, भारतीय इतिहास कभी इस योगदान को भुला नहीं सकेगा। समझौता होने के बाद राज्य में लोकतांत्रिक प्रक्रिया प्रारंभ हुई तथा राज्य विधानसभा के चुनाव संपन्न हुए। पंजाब समझौते पर हस्ताक्षर करने के एक महीने से भी कम समय में संत लोंगोवाल की 20 अगस्त 1985 को गोली मार कर हत्या कर दी गयी। उन्होंने पंजाब समझौता करके सिख धर्म के गौरव को नयी ऊंचाई दी, इस हेतु अमर शहीद संत लोंगोवाल का बलिदान सदियों तक अमिट रहेगा।
Source :
This Article/News is also avaliable in following categories : National News
Your Comments ! Share Your Openion

You May Like