नयी दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने हमेशा ‘दल से बड़ा देश’ के सिद्धांत में विश्वास किया और यही कारण था कि उन्होंने विपक्ष में रहते हुए भी एक बार संयुक्त राष्ट्र में देश का प्रतिनिधित्व किया और कश्मीर पर पाकिस्तान के मंसूबे को नाकाम किया। यह वाकया 1994 का है, जब विपक्ष में होने के बावजूद तत्कालीन प्रधानमंत्री पी वी नरसिंह राव ने अटल बिहारी वाजपेयी को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग भेजे गए प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व सौंपा।
दरअसल, 27 फरवरी 1994 को पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग में इस्लामी देशों समूह ओआईसी के जरिए प्रस्ताव रखा। उसने कश्मीर में हो रहे कथित मानवाधिकार उल्लंघन को लेकर भारत की निंदा की। संकट यह था कि अगर यह प्रस्ताव पास हो जाता तो भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के कड़े आर्थिक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ता। इन हालात में वाजपेयी ने भारतीय प्रतिनिधिमंडल का बखूबी नेतृत्व किया और पाकिस्तान को विफलता हाथ लगी।
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