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महाशिवरात्रि पर मंत्रोच्चारण के साथ हुई भगवान शिव की चार पहर की पूजा

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15 Feb 18
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महाशिवरात्रि पर मंत्रोच्चारण के साथ हुई भगवान शिव की चार पहर की पूजा नई दिल्ली : महाशिवरात्रि के अवसर पर यमुना किनारे स्थित पांडव कालीन नीली छतरी मंदिर में प्रात: 5 बजे से ही शिव भक्तों का शिवलिंग की पूजा के लिए ताँता लग गया | शिव परिवार साहित हजारों भक्तों ने भगवान शिव की पूजा की | मंदिर में उपस्थित विद्वान पंडितों ने मनोकामना पूर्ती के लिए श्रद्धालूओं से जल, दूध, घी, दही, शहद , बेल पत्र, फल, फूल, मिठाई भगवान् शिव –पार्वती पर नियमानुसार अर्पित कराये | रात्रि 8 बजे से भगवान शिव की चार पहर की पूजा का सिलसिला प्रारंभ हुआ | मंदिर को फूलों और लईटों से दुल्हन की तरह सजा दिया | शहनाई ने वरन में चार चाँद लगा दिए |
रात्रि 8 बजे से भरी तादाद में वेद पाठी ब्राह्मणों, मंदिर के प्रमुख पंडित व नीली छतरी मंदिर में इयामित रूप से आराधना करने वाले भक्त भगवान शिव की चार पहर की पूजा व रुद्राभिषेक करने बैठ गए | सम्पूर्ण रात्रि में चार बार भगववान शिव का मंत्रोच्चारण के साथ रुद्राभिषेक जल, दूध, घी, दही, शहद , बेल पत्र, फल, फूल, मिठाई और वो सब चीजे जो भगवान शिव को प्रिय है उनके साथ रुद्राभिषेक हुआ | उसके बाद पूजा व आरती हुई | भक्तो को प्रसाद वितरित किया गया |
मंदिर के महंत श्री मनीष शर्मा ने बताया कि शिवरात्रि का महत्त्व वेदों में शिवलिंग की मंत्रोच्चारण के साथ विधि विधान से पूजा करने में ही है | उन्होंने कहा भगवान शिव की आराधना शिव लिंग की पूजा करने में है | नीली त्रि मंदिर का शिवलिंग सिद्धपीठ है जिसे पांडवों के ज्येष्ठ भी युधिथिर ने स्थापित किया था यहाँ पर अश्वमेघ यज्ञ भी कराया था | आज भी यहाँ यज्ञकुंड बना हुआ है और साल में अनेकों बार मनोकामना पूर्ती के लिए यज्ञ, अनुष्ठान आदि कराये जाते है शिव उपसना में महाशिवरात्रि का विशेष महत्त्व है | शिव रात्रि पर व्रत रख, रुद्राभिषेक कर, भगवान शिव को अनेक वस्तुए, अर्पित कर और माँ पारवती को श्रृंगार अर्पित कर भाकर अपनी मनोकामना पूर्ती की प्रार्थना करते है | मोक्ष प्राप्ति के लिए भी शिव उपासना एक आध्यात्मिक मार्ग है |

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