सिनेमाई पर्दे पर हीरो के रूप में नजर आना लाखों लोगों का सपना होता है। लेकिन हर किसी का सपना पूरा नहीं होता है। कई लोग पूरी जिंदगी स्ट्रगल करते गुजार देते हैं, तो कई स्ट्रगल के फेज में ही हिम्मत हार जाते हैं। फिर होता है किसी का सपना साकार। मगर, अभी हाल ही में यूपी में रिलीज भोजपुरी फिल्म ‘गुंडा’ के अभिनेता विनोद यादव की कहानी कुछ अलग और रोचक है। आपको बता दें कि यह फिल्म यूपी में जबरदस्त रेस्पांस के दूसरे वीकेंड में भी दर्शकों के बीच खूब पसंद की जा रही है, जिसमें लोग विनोद यादव की अदकारी के कायल हो गए हैं।
लेकिन विनोद यादव के बरेली से मुंबई का सफर एक्साइटिंग करने वाला है। साल 2013 में बिजनेस के सिलसिले में विनोद गोरखपुर से बरेली चले आये और नौकरी करने लगे। वैसे यहां आज उनका अपना बिजनेस चलता है। बरेली में उनका एक पैरा मेडिकल इंस्टीट्यूट है। इसी को लेकर अक्सर विनोद दिल्ली आते - जाते थे। फिर 8 महीने पहले यानी साल 2018 में वे अपने दोस्त के साथ मुंबई गए।
मुंबई दौरे पर एक दिन लोखंडवाला स्थित अंदाज काफी कैफे में दोस्तों के साथ कॉफी पी रहे थे। अनायस उनकी गॉसिप में फिल्मों पर होने लगी, तब विनोद यादव ने अपने दोस्तों को बताया कि किस्मत वाले ही हीरो बनते हैं। ये हर किसी के बस की बात नहीं है। फिल्मी स्टार के परिवार वालों के लिए सिनेमा में आना आसान होता है, आम लोगों के लिए नहीं। विनोद बताते हैं, तब यह उनकी फीलिंग थी कि कोई आम घर का लड़का मुंबई आकर हीरो नहीं सकता है।
इसे किस्मत कहें या कुछ और। उसी कैफे में चर्चित फिल्म निर्माता सिकंदर खान बैठे थे, जिन्होंने उनकी बातें ध्यान सुनी। उसके बाद वे उठकर विनोद के पास आये और उन्हें फिल्म के लिए ऑफर कर दिया। विनोद से पूछा के उनको हीरो बनना है। तब विनोद को लगा कोई मजाक रहा है। हालांकि उस वक्त सिंकदर खान ने विनोद को कार्ड दिया और कहा कि जब लगे कि फिल्मों में काम करना है तो वे इस नंबर पर फोन कर ले।
विनोद को लगा कि कोई भी यूं खड़ा होकर कैसे कह सकता है कि हीरो बनना है। यह सोच कर विनोद ने कार्ड तो रख लिया, लेकिन फोन नहीं किया। फिर दो दिन बाद सिंकदर खान की ओर से कॉल आया। फिर टिकट उन्हें भेजा गया। मगर अभी भी विनोद को विश्वास नहीं हुआ। मगर जब फिल्म ‘गुंडा’ के लेखक सुरेंद्र मिश्रा ने उन्हें कहानी सुनाई और कांट्रैक्ट साइन कराया, तब जाकर उन्हें लगा कि वे फिल्म में हैं। फिर फिल्म शुरू हुई, जहां सेट पर उन्हें कई परेशानियां हुई। क्योंकि वे अब फिल्म में हीरो थे, लेकिन उनका किसी से जान पहचान नहीं था।
विनोद कहते हैं कि ऐसे में उन्हें बहुत परेशानी हुई। फिल्म में लीड एक्ट्रेस अंजना सिंह हैं, जिनसे वे कभी मिले नहीं थे। तो अंडरस्टेंडिंग में समय लगा। उन्होंने खूब मेहनत की और फिल्म पूरी हो गई। जब फिल्म रिलीज की बारी आई, तो वे नर्वस थे। लेकिन जैसे ही फिल्म रिलीज हुई, लोगों के रिएक्शन आने शुरू हुए। तब जाकर उन्हें लगा कि अब वे हीरो बन गए हैं। आज उनके पास कई फिल्में लाइन अप हैं, जिसमें सिकंदर खान की भी दो फिल्में हैं। पहली फिल्म से मिले सक्सेस से वे काफी खुश हैं। जो शख्स फिल्मों को लेकर नकारात्मक फील रखता था, वह आज बरेली की गलियों में स्टार है।