GMCH STORIES

जब कोई पूछे तुमसे

( Read 3682 Times)

16 May 19
Share |
Print This Page

अंकिता जैन

जब कोई पूछे तुमसे 

जब कोई पूछे तुमसे

जब कोई पूछे तुमसे 
कि कैसे हो
तो बता देना उस सिक्के के बारे में
जो पड़ा है तलहटी में
किसी पवित्र नदी की
किसी दुआ के भार में
करता हुआ अनदेखा
अपनी जंग लगती देह को
और 
भुला दिए गए अपने प्रति नेह को

जब कोई पूछे तुमसे
कि कैसे हो
तो सुना देना उस कौवे की कहानी
जिसे कहा जाता है मनहूस
उड़ा दिया जाता है छतों से
माना जाता है प्रतीक
बुराई का
और 
जो भुलाता चला आ रहा है अनंत से
अपने साथ होता छल,
गिरा दिए जाते हैं जिसके अंडे
उसी के घर से
एक ऐसे समजात द्वारा
जिसके गीत माने जाते हैं कोई मीठी नज़्म
मगर जिनमें दबे हैं कहीं
उस कौवे के
ताज़े-हरे ज़ख्म

अगर कोई पूछे तुमसे
कि कैसे हो
तो दिखा देना उस आदमी को
किसी लोकल ट्रेन, किसी चौराहे, या किसी बाज़ार में 
बेचते हुए दुआएँ
और 
छुपाते हुए अपना असल
नपुंसकता की खोल में
जिसे लील गई लाचारी, 
भूख, या माँ-बाप की बीमारी
और जो पी गया घूंट में मिलाकर
अपने पौरुष को
किसी कड़वे घोल में

जब कोई पूछे तुमसे
कि कैसे हो
तो मुस्कुरा देना
क्योंकि पूछने वाले इंसान नहीं 
खोलियाँ हैं
एक बड़े शहर की झुग्गी बस्तियों में
अप्रवासी घास सी उगी
खरपतवार हैं
जिन्हें अपने हालातों पर
अपनी बेबसी पर
अपनी गरीबी
और लाचारी पर
हँसना और रोना एक सा लगता है,
और जिन्हें अपने सवाल "कैसे हो" पर
मिला आपका जवाब 
उस हँसने और रोने के बीच का लगता है।


Source :
This Article/News is also avaliable in following categories : Literature News
Your Comments ! Share Your Openion

You May Like