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“सर्वोत्तम गुरुकुल श्रीमद्दयानन्द कन्या गुरुकुल, चोटीपुरा (अमरोहा)”

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29 Mar 19
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“सर्वोत्तम गुरुकुल श्रीमद्दयानन्द कन्या गुरुकुल, चोटीपुरा (अमरोहा)”

आर्यसमाज की विचारधारा से प्रभावित देश भर में कन्याओं के अनेक गुरुकुल चल रहे हैं जहां कन्याओं को वेद-वेदांगों की शिक्षा दी जाती है। इन गुरुकुलों में से एक गुरुकुल है ‘‘श्रीमद्दयानन्द कन्या गुरुकल, चोटीपुरा”। यह गुरुकुल उत्तरप्रदेश राज्य के जनपद अमरोहा में स्थित है। गुरुकुल दिल्ली-मुरादाबाद सड़क मार्ग पर दिल्ली से 117 किमी0 तथा मुरादाबाद से दिल्ली की ओर जाते हुए मुरादाबाद से 40 किमी0 की दूरी पर स्थित है। गुरुकुल रजबपुर कस्बे में है जो कस्बे की उत्तर दिशा में 2 किमी0 दूरी पर है। गुरुकुल से चलभाष पर सम्पर्क के लिए मोबाइल नं0 09412322258 एवं 09719013756 हैं। इस गुरुकुल की स्थापना महाशय श्री हरगोविन्द सिंह जी, चोटीपुरा ने 6 मार्च, सन् 1988 को की थी। गुरुकल का संचालन प्राचार्या डॉ0 सुमेधा एवं आचार्या डॉ0 सुकामा जी कर रही हैं। गुरुकुल में कक्षा पंचम से शास्त्री (बी0ए0) एवं आचार्य पर्यन्त अध्ययन की सुविधा है। गुरुकुल में 870 छात्रायें अध्ययन कर रही हैं जिन्हें 45 शिक्षिकायें अध्ययन कराती हैं। वर्तमान समय में गुरुकुल में निम्न भवन हैं:

 

1- छात्रावास, 2- यज्ञशाला, 3- गोशाला, 4- पाकशाला, 5- अतिथिशाला, 6- सभागार, 7- पुस्तकालय एवं वाचनालय, 8- कार्यालय, 9- शिक्षिका-कक्ष, 10- संगणक-कक्ष एवं 11- पानी की टंकी (Water Tank)

 

                गुरुकुल की शैक्षिक प्रगति की स्थिति यह है कि गुरुकुल का परीक्षा परिणाम शत-प्रतिशल रहता है। विगत परीक्षा में सभी छात्रायें प्रथम श्रेणी में पास हुई हैं। शास्त्री एवं आचार्य परीक्षाओं में 32 छात्राओं ने स्वर्णपदक प्राप्त किये हैं। यह भी बता दें शास्त्री परीक्षा को बी0ए0 के समकक्ष एवं आचार्य को एम0ए0 के समकक्ष मान्यता प्राप्त है। राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (छम्ज्) में 50 छात्रायें उत्तीर्ण हुई हैं जबकि राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा संचालित) में 60 जे0आर0एफ0 उतीर्ण/चयनित हुईं हैं। गुरुकुल की विशिष्ट उपलब्धि यह है कि इसकी एक छात्रा कु0 वन्दना ने भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS-2012) में 8वां रैंक प्राप्त किया है। इस उपलब्धि से यह गुरुकुल गौरवान्वित हुआ है। गुरुकुल की एक अन्य छात्रा कु0 समंगला उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा रानी लक्ष्मीबाई पुरस्कार-2004 से पुस्कृत हुई थी जो ओलम्पिक खिलीड़ी भी रही हैं। गुरुकुल की 3 छात्राओं ने अखिल भारतीय शास्त्रीय स्पर्धा में ‘स्वर्ण श्लाका पुरस्कार’ प्राप्त किया है। 1 छात्रा ने पाणिनीय अष्टाध्यायी स्पर्धा में विजय वैजयन्ती (2006) पुरस्कार भी प्राप्त किया है। हम यहां सन् 2007 से सन् 2017 के मध्य गुरुकुल की छात्राओं के शास्त्रीय स्पर्धा में प्राप्त पुरस्कारों का विवरण तालिका के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं। यह विवरण निम्नानुसार हैः

 

अखिल भारतीय स्पर्धा (राष्ट्रिय संस्कृत संस्थान, दिल्ली)

प्रथम (स्वर्ण पदक)                            - 11        

द्वितीय (रजत पदक)                       - 03

तृतीय (कांस्य पदक)                          - 05

                                कुल पदक             - 19

 

राज्यस्तरीय स्पर्धा (राष्ट्रिय संस्कृत संस्थान, दिल्ली)

 

प्रथम (स्वर्ण पदक)                            - 25        

द्वितीय (रजत पदक)                       - 02

तृतीय (कांस्य पदक)                          - 01

                                कुल पदक             - 28

 

अन्य प्रान्तों (दिल्ली, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, हरियाणा, राजस्थान आदि) में आयोजित प्रतियोगिताओं में प्राप्त पुरस्कार (2006-2017)

 

स्वर्ण पदक                           - 32        

रजत पदक                           - 24

कांस्य पदक                         - 14

                कुल पदक             - 70

 

                गुरुकुल की अनेक छात्राओं ने यजुर्वेद एवं सामवेद सहित वेदांगान्तर्गत व्याकरण एवं अन्य इतिहास आदि के ग्रन्थों को भी कण्ठ किया हुआ है। 25 छात्रओं ने यजुर्वेद-सामवेद स्मरण किया हुआ है। 190 छात्राओं ने पाणिनीय अष्टाध्यायी कण्ठ की हुई है। पंच पाणिनीय उपदेश ग्रन्थों (अष्टाध्यायी, उणादिकोष, लिंगानुशासन, धातुपाठ एवं गणपाठ) भी 14 छात्राओं ने स्मरण किये हुए हैं। 300 छात्राओं को धातुपाठ स्मरण है। 100 छात्राओं को गीता स्मरण है। 10 छात्रायें ऐसी हैं जिन्होंने सत्यार्थप्रकाश एवं संस्कारविधि स्मरण की हुई है। 1 छात्रा ने षडदर्शन स्मरण किये हुए हैं। 6 छात्रओं को अमरकोष स्मरण है। गुरुकुल की दो छात्रायें ऐसी भी हैं जिन्हें रामायण का सुन्दरकाण्ड स्मरण है। छात्राओं की इतनी संख्या में शास्त्रीय ग्रन्थों को स्मरण करना किसी बड़ी उपलब्धि से कम नहीं है। पौराणिक सनातनी बन्धुओं ने तो अतीत में नारियों के वेदों के उचचरण तक पर प्रतिबन्ध लगा दिये थे। उनके लिए कठोर एवं अमानवीय दण्डों का विधान भी किया था। आज भी कुछ लोग इन मान्यताओं को मानते हैं। गुरुकुल की यह जो उपलब्धि है इसका समस्त श्रेय ऋषि दयानन्द, गुरुकुल की आचार्याओं एवं उनकी शिष्याओं को है। गुरुकुल की इन उपलब्धियों ने इसे एक सर्वोत्तम तीर्थ के समान महत्वपूर्ण स्थान बना दिया है। आर्यजगत के विद्वानों एवं अनुयायियों को गुरुकुल के उत्सवों आदि में सम्मिलित होकर यहां की छात्राओं को अपना आशीर्वाद देना चाहिये। इन की आचार्यायें भी आर्यजगत की ओर से अभिनन्दन, शुभकामनाओं एवं धन्यवाद की पात्र हैं।

 

पुरुस्कार एवं सम्मान

 

1-            गुरुकुल की पांच छात्राओं को गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा आयोजित अखिल भारतीय सांस्कृतिक प्रतियोगिता में प्रथम एवं द्वितीय स्थान प्राप्त हुआ है।

 

2-  भारत विकास परिषद् द्वारा आयोजित अखिल भारतीय राष्ट्रीय समूहगान प्रतियोगिता में 10 छात्रायें पुरस्कृत हुई हैं। इन छात्राओं ने हिन्दी एवं उड़िया गीतों में भी प्रथम व द्वितीय स्थान प्राप्त किये हैं।

 

3-            भारत विकास परिषद् की अखिल भारतीय ‘भारत जानों’ प्रतियोगिता के कनष्ठि एवं वरिष्ठ वर्ग की जनपद एवं मण्डल स्तर की प्रतियोगिताओं में गुरुकुल की 10 छात्राओं ने प्रथम स्थान प्राप्त किये हैं।

 

4-  आर्यसमाज सान्ताक्रुज मुम्बई द्वारा ‘मेघावी छात्रा’ के रूप में गुरुकुल की 6 छात्रायें पुरस्कृत की गई हैं।

 

5-  ‘स्वतन्त्रता दिवस’ तथा ‘गणतन्त्र दिवस’ पर जिलाधिकारी एवं जिला पुलिस अधीक्षक, अमरोहा द्वारा ‘विशिष्ट प्रतिभा’ श्रृंखला के अन्तर्गत गुरुकुल की प्राचार्या तथा 10 छात्राओं को ‘जनपद-गौरव’ सम्मान से सम्मानित किया गया है।

 

क्रीड़ा (खेल) क्षेत्र में गुरुकुल की उपलब्धियां

 

                धनुर्विद्या में गुरुकुल की छात्राओं ने राष्ट्रीय एवं अन्तराष्ट्रीय स्तर पर व्यक्तिगत व सामूहिक (टीम) के रूप में अनेक उल्लेखनीय र्कीतिमान बनायें हैं।  गुरुकुल की छात्रायें अभी तक एथेन्स, इंग्लैण्ड, स्पेन, मलेशिया, थाइलैण्ड, बांग्लादेश, श्रीलंका, टर्की, मैक्सिको, चीन, दोहा आदि देशों में आयाजित ओलम्पिक, विश्व कप, एशियन आदि प्रमुख खेलों में देश का प्रतिनिधित्व करती हुई अपनी प्रतिभागिता दर्ज कर चुकी हैं और अनेक बार ‘‘सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर” के सम्मान से भी गौरवान्वित हुई हैं।

 

                धनुर्विद्या में गुरुकुल की छात्राओं को अब तक प्राप्त पदकों का विवरण निम्मप्रकार हैः

 

                                चैम्पियनशिप ----      26

 

                स्वर्ण पदक                           180

                रजत पदक                           160

                कांस्य पदक                         106

                कुल पदक                             446

 

- फरवरी 2007 में गुवाहाटी (असम) में सम्पन्न राष्ट्रीय खेलों में उत्तर-प्रदेश की ओर से प्रतिनिधित्व करते हुए ‘स्वर्णपदक’ प्राप्त कर गुरुकुल की टीम (सुषमा, ममता, पुण्यप्रभा, रेणु) ‘चैम्पियन’ बनी तथा गुरुकुल की यशस्विनी धनुर्धारिणी कु0 सुषमा ने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए व्यक्तिगत चैम्पियनशिप प्राप्त कर गुरुकुल संस्कृति को सम्मानित किया।

 

- ‘अन्तर्विश्वविद्यालय प्रतियोगिता’ में गुरुकुल की छात्राओं ने कई बार अनेक ‘चैम्पियनशिपों’ में ‘स्वर्ण पदक’ प्राप्त किया है। यशस्विनी धनुर्धारिणी कु0 पुण्यप्रभा ने अगस्त 2011 में ‘वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स’ (चीन) में भारत का प्रतिनिधित्व किया था।

 

                योग प्रतियोगिताओं में गुरुकुल की छात्राओं ने अपना परचम फहराया है। अक्टूबर, 2011 में ‘उत्तर प्रदेश राज्य योग चैम्पियनशिप (रायबेरली)’ में दो आयवर्गों में गुरुकुल की छात्राओं ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। ‘प्रान्तीय एवं राष्ट्रीय योग चैम्पियनशिप’ की प्रतियोगिताओं में भी गुरुकुल की छात्राओं ने अपनी प्रतिभागिता करते हुए 7 स्वर्ण, 6 रजत एवं 4 कांस्य पदक प्राप्त किये। योग में गुरुकुल की छात्राओं को प्राप्त पदकों की स्थिति निम्नवत हैः

 

स्वर्ण पदक                           - 16

श्रजत पदक                          - 14

कांस्य पदक                         - 10

कुल पदक                             - 40

 

                गुरुकुल की छात्रायें प्रत्येक वर्ष प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों की जनपद एवं मण्डल स्तरीय सांस्कृतिक तथा क्रीड़ा प्रतियोगिताओं में भाग लेकर अनेक बार सर्वोच्च स्थान प्राप्त कर पुरस्कृत हुई हैं।

 

                गुरुकुल, चोटीपुरा की आचार्या डॉ0. सुमेधा एवं डॉ0 सुकामा जी वेदों के सुप्रसिद्ध विद्वान एवं सामवेदभाष्यकार आचार्य डॉ0 रामनाथ वेदालंकार जी की शिष्यायें हैं। हम भी आचार्य जी के पास जाया करते थे और आर्यजगत से सम्बन्धित प्रायः सभी विषयों पर बात किया करते थे। आचार्य जी से ही हमें गुरुकुल चोटीपुरा के विषय में जानकारी मिली थी। एक बार स्वामी दीक्षानन्द जी ने आचार्य जी को गुरुकुल के उत्सव में साथ चलने के लिये कहा था परन्तु वह जा नहीं सके थे। उन दिनों भी हम लेख लिखते थे। आचार्य जी ने हमारे निवेदन पर अपनी इन शिष्याओं को पत्र लिखकर गुरुकल विषयक कुछ जानकारी हमें भेजने का अनुरोध किया था। वह जानकारी हमें प्राप्त हुए थी। हमने गुरुकुल पर एक लेखा था। वह लेख आर्यसन्देश सहित अनेक पत्रों में प्रकाशित हुआ था। हमें इसके बाद अवसर तो मिले परन्तु हम गुरुकुल जा नहीं सके हैं। अब यदि कभी अवसर मिला तो हम जाने का प्रयत्न करेंगे। गुरुकुल जिस प्रकार से प्रगति कर रहा है, इसी प्रकार उन्नति करते हुए फले-फूले, यही हमारी ईश्वर से प्रार्थना एवं कामना है। ओ३म् शम्।

-मनमोहन कुमार आर्य

पताः 196 चुक्खूवाला-2

देहरादून-248001

फोनः09412985121


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