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“आचार्य स्वदेश जी द्वारा संचालित श्री विरजानन्द आर्ष गुरुकुल, मथुरा”

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09 Mar 19
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“आचार्य स्वदेश जी द्वारा संचालित श्री विरजानन्द आर्ष गुरुकुल, मथुरा”

आचार्य स्वदेश जी से हमें विगत 40 वर्षों में लगभग तीन बार मिलने का अवसर मिला है। हमने अनुभव किया है कि आप एक सिद्धान्तनिष्ठ एवं सच्चे ऋषि भक्त हैं। विगत अनेक वर्षों से आचार्य जी मथुरा में  ‘‘श्री विरजानन्द आर्ष गुरुकुल” का आचार्यात्व कर रहे हैं। यह गुरुकुल मसानी चौराहे पर स्थित है। गुरुकुल से पत्रव्यवहार का पता है : पत्रालय गायत्री तपोभमि, गोविन्दनगर थाना, मथुरा-281001 उत्तर प्रदेश। सम्पर्क के लिये मोबाइल न0 9456811519 है। गुरुकुल की स्थापना सन् 1990 में हुई थी। गुरुकुल के संस्थापक आचार्य, आचार्य स्वदेश जी हैं। आचार्य स्वदेश जी अष्टाध्यायी महाभाष्य के बहुत प्रेमी है। हमने वर्षों पूर्व इनसे इस विषय में बात की थी। आप गुरुकुल कालवां-हरयाणा के ब्रह्मचारी रहे हैं। पतंजलि योगपीठ के प्रख्यात स्वामी रामदेव जी वहां इनके सहपाठी थे। स्वामी राम देव जी और आचार्य स्वदेश जी की तब की मित्रता वर्तमान में भी कायम है। हमने स्वयं देखा है कि आचार्य स्वदेश जी गुरुकुल के विद्यार्थियों को एक पिता के समान स्नेह देते हैं एवं उनके दुःख में दुःखी हो जाते हैं। आतिथ्य करने में आचार्य जी एक आदर्श व्यक्ति हैंं। हम अनेक बार यहां अकेले व अपने मित्रों के साथ गये हैं। रात्रि शयन भी किया है। बिना नाश्ता व भोजन किये हमें और हमारे मित्रों को आपने आने नहीं दिया। हमारे एक पौराणिक मित्र श्री जी.एस. शर्मा तो इनके आकर्षक व्यक्तित्व एवं व्यवहार से बहुत प्रभावित हुए थे। हम आर्यसमाज का सौभाग्य समझते हैं कि आचार्य स्वदेश जी जैसे आचार्य एवं ऋषि भक्त हमारे पास हैं।

 

                गुरुकुल का संचालन ‘‘श्री विरजानन्द ट्रस्ट, मथुरा” द्वारा किया जाता है। गुरुकुल समय के साथ प्रगति कर रहा है। आचार्य स्वदेश जी का यह गुरुकुल संस्कृत बोर्ड से मान्यता प्राप्त है। यह मान्यता अस्थाई है। यहां आर्ष व्याकरण व शिक्षा का अध्ययन कराया जाता है। वर्तमान में यहां 20 छात्र अध्ययन कर रहे हैं। गुरुकुल के पास अपनी 3 एकड़ भूमि है। वर्षों पूर्व गुरुकुल के मुख्य द्वार के दोनों ओर असामाजिक तत्वों ने अपनी अस्थाई व अवैध दुकाने बना रखी थी। आचार्य स्वदेश जी ने अपने विवेक से इन सभी को वहां से हटाया और अब यह स्थान स्वच्छ एवं दर्शनीय बन गया है। गुरुकुल में ब्रह्मचारियों के लिये 20 कमरे हैं। गुरुकुल परिसर में सत्य प्रकाशन की ओर से एक मासिक पत्रिका ‘‘तपोभूमि” का प्रकाशन होता है। इसके साथ ही यहां से महात्मा प्रेमभिक्षु जी और अन्य कुछ आर्य विद्वानों का साहित्य भी प्रकाशित होता है। गोशाला की व्यवस्था, वेद प्रचार एवं आर्य वीर दल की गतिविधियां भी संचालित की जाती हैं। गुरुकुल से शिक्षित अनेक छात्र आर्यसमाज में उपदेशक, भजनोपदेशक, पुरोहित आदि का कार्य करते हैं। कुछ छात्र सरकारी सेवा में भी नियुक्त हुए हैं। गुरुकुल में अध्ययनरत छात्र पत्रिका के सम्पादन का कार्य करने के साथ वेद प्रचार एवं आर्य वीर दल के शिविरों में भी अपनी सेवायें देते हैं। गुरुकुल की आय का मुख्य स्रोत धर्म प्रमियों की ओर से प्राप्त होने वाला दान है।

 

                गुरुकुल से सुझावों में कहा गया है कि गुरुकुल के ब्रह्मचारियों को मात्र धन कमाने का साधन नहीं बनना चाहिये। जो गुरुकुल अनाथालय के रूप में संचालित हो रहे हैं उनकी अवस्था में सुधार किया जाना चाहिये। ब्रह्मचारियों को अच्छी शिक्षा गुरुकुल से मिले, इस पर ध्यान दिया जाना चाहिये। सरकार पर गुरुकुल शिक्षा बोर्ड बनाने पर दबाव बनाना चाहिये। गुरुकुल के ब्रह्मचारी प्रत्येक क्षेत्र में अग्रणीय हों, ऐसे प्रयत्न किये जाने चाहिये। आचार्या स्वदेश जीग गुरुकुल के आचार्य हैं। गुरुकुल के प्रधान श्री सत्यप्रकाश अग्रवाल हैं। मंत्री श्री बृजभूषण अग्रवाल तथा कोषाध्यक्ष श्री कृष्ण गोपाल गुप्त जी हैं।

 

                आचार्य जी के कार्य गुरुकुल के आचार्यत्व तक सीमित नहीं हैं अपितु वह आर्यसमाज के उच्च कोटि विद्वान एवं नेता है। आपने मथुरा में एक अन्तर्राष्ट्रीय आर्य महासम्मेलन का भी आयोजन कुछ वर्ष पूर्व किया था। गुरुकुल में वार्षिकोत्सवों का आयोजन भी होता है और वेद पारायण यज्ञ भी आयोजित किये जाते हैं। आर्यों को चाहिये कि वह जब भी मथुरा-वृन्दावन भ्रमण के लिये जायें तो इस गुरुकुल में भी अवश्य जायें और यहां आचार्य स्वदेश जी से अवश्य मिलें। ओ३म् शम्।

-मनमोहन कुमार आर्य

पताः 196 चुक्खूवाला-2

देहरादून-248001

फोनः09412985121


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