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कहानियों में स्थाई और प्रेरक भाव जीवन को संस्कारित करते हैं - विजय जोशी 

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16 May 25
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कहानियों में स्थाई और प्रेरक भाव जीवन को संस्कारित करते हैं - विजय जोशी 

कोटा अखिल भारतीय साहित्य परिषद्, चित्तौड़ प्रांत के द्वारा भीलवाड़ा महानगर इकाई के तत्वधान में "प्रांतीय कथा-संगोष्ठी एवं सम्मान" समारोह का आयोजन रविवार को आदर्श विद्या मंदिर, शास्त्री नगर, भीलवाड़ा में किया गया।
समारोह के प्रथम उदघाटन एवं तकनीकी सत्र कथा - संगोष्ठी में मुख्य वक्ता कथाकार एवं समीक्षक विजय जोशी ने कहानी सृजन एवं दायित्व विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि - "कहानी अपने परंपरागत उजास में पारिवारिक संस्कारों को संरक्षित, पल्लवित और समृद्ध करती है। इसका सृजन समाज को दिशा प्रदान करता है। कहानी में कहन को सरल और उद्देश्य को स्पष्ट रख कर दिशाबोधक एवं संप्रेषणीय बनाना प्रत्येक कहानीकार का दायित्व है। इसके लिए सजग दृष्टि, अनुशीलन करने की प्रवृत्ति और विषय को समझने और अभिव्यक्त करने का कौशल विकसित करना होगा तब ही कहानियों में संवेदना का कथा संसार दिखाई देगा जो अपने भीतर समाये प्रेरणा के पुंज को दिखाएगा। " 
अपने उद्बोधन में विजय जोशी ने परिषद के गीत के चारों बंदों की प्रत्येक तीसरी पंक्ति क्रमशः मातृ - भू की दिव्य छवि का भव्य रुपाकर हो, आदिकवि के मूल्य अपनी, दृष्टि के आधार हों, आत्मविस्मृत चेतना में, प्राण का संचार हो तथा प्रेय की प्रतिमा गढ़ेंगे श्रेय का संचार हो को उद्धरित करते हुए इनकी वर्तमान कहानी लेखन में प्रासंगिकता की सूक्ष्म विवेचना करते हुए मानवीय संवेदना तथा प्रकृति के सान्निध्य और उसके स्थाई एवं प्रेरक प्रभावों को उभारते हुए इनसे जीवन को संस्कारित करते हैं अनुशासित कथा लेखन करने की आवश्यकता पर अपनी ही कुछ कहानियों के उदाहरणों से विश्लेषित किया। यही नहीं कहानियों में इन्हीं स्थाई और प्रेरक भावों से जीवन को संस्कारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका को प्रतिपादित किया। उन्होंने वर्तमान कुटुम्ब व्यवस्था में ऐसी ही कहानियों के योगदान पर विवेचन करते हुए सारगर्भित विचार प्रस्तुत किए।  
इस सत्र के मुख्य अतिथि शिक्षाविद एवं प्रदेश संयोजक प्रज्ञा प्रवाह डॉ. सत्यनारायण  कुमावत ने वैदिक साहित्य और उपनिषदों से उदाहरणों द्वारा कहानियों में सकारात्मक विमर्श पर अपने सारगर्भित विचारों से उपस्थित लेखक और श्रोताओं को दिशा प्रदान की। अध्यक्षता करते हुए  नगर विकास न्यास भीलवाड़ा के पूर्व अध्यक्ष लक्ष्मीनारायण डाड ने अपने उद्बोधन में समाज की दिशा देने वाले कहानी साहित्य का सृजन करने की आवश्यकता पर बल दिया। 
सम्मान एवं समापन सत्र के मुख्य अतिथि भीलवाड़ा के माननीय सांसद श्री दामोदर जी अग्रवाल ने वर्तमान सन्दर्भों में प्रेरक और समाज को दिशा देते हुए राष्ट्र के प्रति समर्पण की भावना को विकसित करने वाले लेखन की आवश्यकता बताई। अध्यक्षता करते हुए अ.भा.सा.प. चित्तौड़ प्रांत के प्रांतीय अध्यक्ष एवं वरिष्ठ कवि - साहित्यकार विष्णु शर्मा 'हरिहर' ने लेखन में प्रेरणात्मक विचारों के साथ सीखने और समझने की प्रवृत्ति के विकास को उभारने पर बल दिया। मुख्य वक्ता अ.भा.सा.प. राजस्थान के प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ. रवीन्द्र उपाध्याय ने कहानी के तत्वों को उदाहरण सहित व्याख्यायित किया।
परिषद् के राजेन्द्र गौड़ ने आयोजित की गई कहानी लेखन प्रतियोगिता के बारे बताया। समारोह में चयनित 75 कहानीकारों को प्रमाण पत्र, स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। भीलवाड़ा नगर इकाई अध्यक्ष दीन दयाल जोशी ने स्वागत उद्बोधन एवं कैलाश पारीक ने क्रमशः धन्यवाद ज्ञापित किया तथा सत्रों का संचालन क्रमशः साहित्य मंत्री एवं वरिष्ठ साहित्यकार रेखा स्मित एवं प्रान्त कोषाध्यक्ष पंकज झा ने किया।
 


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