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कविता-लाशों का टीला

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09 Jun 21
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-लक्ष्मीनारायण खत्र

कविता-लाशों का टीला

 गांव के बाहर 

शमशान है-

एक रेत का टीला 

डरावनी है इसकी लीला 

दफन है यहां 

शताब्दियों से बेटियां 

यदि बेटी होती पैदा 

नाक पर रखते 

नमक की थैली सदा 

घुट-घुट तड़प-तड़प 

हो जाती हत्या 

क्रूर पिता को 

नहीं आती दया 

माँ! किसे करें 

अपनी पीड़ा बयां।


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