GMCH STORIES

कविता-बुढ़ापा

( Read 5843 Times)

02 Jun 21
Share |
Print This Page
कविता-बुढ़ापा

अंग-अंग में आई थकावट 

जीवन की चाल में रुकावट

चेहरे पर झुर्रियों का डेरा 

अनेक बीमारियों ने घेरा 

नजर से हारा बेचारा 

लाठी हाथ मे बनी सहारा 

अनुभव की है खान 

समाज में बड़ा सम्मान 

गीता का वाचन करते 

योग और ध्यान लगाते 

ज्ञान के दाता 

अपनों के है विधाता 

करो अब इनकी सेवा 

पावो जिंदगी का मेवा।


Source :
This Article/News is also avaliable in following categories : Literature News
Your Comments ! Share Your Openion

You May Like