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तालाब की महिमा

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26 May 21
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-लक्ष्मीनारायण खत्री

तालाब की महिमा

सदियों पुराना है तालाब 

इसका वास्तु है नायाब 

पूर्वजों की है यह विरासत 

प्यासों को करता है तृप्त

आज भी है यह खरे 

वर्षा पानी से है भरे 

पाल के ऊपर है देव श्रृंगार 

पणिहारियो के पायल की झंकार 

पेड़ों की है यहां छावं

पशु पक्षियों का है पड़ाव

अमृत है यहां हवा 

हर मर्ज की दवा 

तालाब है गांव की शान 

जीवन की है यह मुस्कान।


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