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“देश की आजादी के बाद मानव निर्माण की उपेक्षा हुई हैः प्रो. नवदीप कुमार”

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31 Dec 19
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“देश की आजादी के बाद मानव निर्माण की उपेक्षा हुई हैः प्रो. नवदीप कुमार”

आर्यसमाज राजपुर देहरादून के प्रथम वार्षिकोत्सव के समापन दिवस रविवार 29 दिसम्बर, 2019 को श्रोताओं को सम्बोधित करते हुए आर्य विद्वान एवं डीएवी महाविद्यालय के सेवानिवृत्त प्रोफेसर डा. नवदीप कुमार जी ने कहा कि आर्यसमाज के सत्संग में उपस्थित होने का अवसर सौभाग्य से प्राप्त होता है। मैं यहां आकर स्वयं को सौभाग्यशाली अनुभव कर रहा हूं। यहां की एक विशेषता यह है कि यहां प्रदुषण नहीं है और वातावरण शान्त है। यहां उपस्थित सभी श्रोता वक्ताओं की बातों को तन्मय होकर सुन रहे हैं। यहां देश और समाज के निर्माण व उन्नति की बातें हो रही हैं। उन्होंने कहा कि अंग्रेजों से सन् 1947 में आजादी मिलने के समय से कहा जाता है कि देश का निर्माण हो रहा है। जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय बना। भाखडा नागल डाम को भी देश के निर्माण से जोड़ा जाता है। श्री नरेन्द्र मोदी जी के शासन में भी अनेक प्रकार के निर्माण हो रहे हैं। हमारा मंगल यान मंगल ग्रह पर पहुंच गया है। चन्द्रमा पर भी जाने की तैयारी चल रही है। इन्हें प्रगति का सूचक बताया जाता है।

                डा. नवदीप कुमार जी ने कहा कि देश की आजादी के साथ ही एक विडम्बना भी हुई। हमने भवन व डाम आदि तो बनाये परन्तु हम मानव का निर्माण करना भूल गये या मानव निर्माण की जाने व अनजाने में उपेक्षा की है। मानव निर्माण का प्रमुख साधन शिक्षा है। इस पर सबसे अधिक बल दिया जाना चाहिये था। डा. नवदीप जी ने कहा कि शिक्षा व्यवस्था की नितान्त उपेक्षा हुई है। उन्होंने कहा कि प्रथम शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद को बनाया गया था। मंत्री बनने के बाद वह अरब देश की यात्रा पर पहुंचे थे। वहां एक अनुसंधानकर्ता युवक ने उनसे पूछा था कि भारत की संस्कृति अति प्राचीन है। कृपया वेद, रामायण, महाभारत, गीता और फिलासफी के बारे में कुछ बताईये। शिक्षा मंत्री बोले थे कि मैं इनके बारे में कुछ नहीं जानता। मैं आपको कुरान के बारे में बता सकता हूं। डा. नवदीप कुमार जी ने कहा कि शिक्षा का शीर्षासन वहीं से आरम्भ हुआ। उनके अनुसार अब तक एक भी योग्य व्यक्ति शिक्षा मंत्री नहीं बना है।

                विद्वान वक्ता डा. नवदीप कुमार जी ने ऋषि दयानन्द और उनके शिक्षा विषयक विचारों की चर्चा की। उन्होंने कहा कि जब देश परतन्त्र था तो देशवासी देश की स्वतन्त्रता की कामना करते थे। हमारे क्रान्तिकारी यह आशा करते थे कि जब देश स्वतन्त्र होगा तो मानव निर्माण के काम पर बल दिया जायेगा। हमारे देश के हजारों क्रान्तिकारी इसी कारण देश की आजादी के लिये अपना जीवन होम कर चुके थे। डा. नवदीप कुमार जी ने कुछ प्रमुख क्रान्तिकारियों रामप्रसाद बिस्मिल, चन्द्रशेखर आजाद, भगतसिंह, राजगुरु, सुखदेव आदि के नामों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि क्रान्तिकारियों की संख्या सैकड़ों में है। यह सब चाहते थे कि स्वतन्त्र भारत एक चरित्रवान देश बने। आजादी के बाद भौतिक प्रगति तो हुई परन्तु चारित्रिक उन्नति की उपेक्षा की गई जिसके कारण देश में अनेकानेक समस्यायें उत्पन्न हुईं।

                डा. नवदीप कुमार जी ने कहा कि बच्चे का निर्माण माता के गर्भ सहित विद्यालय में होता है। विद्वान वक्ता ने युवक युवतियों के चरित्र निर्माण की विस्तार से चर्चा की। उन्होंने पूछा कि क्या वर्तमान समय में विद्यालयों का गुरु छात्र-छात्राओं को माता के समान अपने गर्भ में धारण कर उन्हें वह ज्ञान व पोषण प्रदान करता है जो उसे अपने गुरुओं से प्राप्त हुआ तथा जो इस देश की प्राचीन परम्परा थी? बालकों व युवक-युवतियों के जीवन व चरित्र का निर्माण विद्यार्थियों को आचार्य द्वारा माता के समान अपने गर्भ में धारण करने से बनता है जिसका आधुनिक शिक्षा व्यवस्था में नितान्त अभाव है। प्रो. नवदीप कुमार जी ने कहा कि जब तक विद्यालयो़ं के शिक्षक स्वयं चरित्रवान व संस्कृति के वाहक न हों, वह अपने विद्यार्थियों के जीवन को चरित्र व सदाचार से युक्त नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि शिक्षकों की नियुक्ति अखिल भारतीय स्तर के चरित्रवान तथा देश की संस्कृति से परिचित युवाओं के द्वारा होनी चाहिये थी। शिक्षकों में विद्वता के साथ उनका चरित्र, आचरण, शील तथा कर्तव्यनिष्ठा की परीक्षा भी की जानी चाहिये थी।

                डा. नवदीप कुमार जी ने कहा कि शिक्षकों की नियुक्ति एवं पाठ्यक्रम का निर्धारण सभी कुछ शार्टकट से हुआ। युवक युवतियों सहित शिक्षकों के चरित्र, अनुशासन-प्रियता तथा आचरण के मापदण्ड तय नहीं किये गये। युवाओं को केवल डिग्रियां बांट दी गई। आरम्भ से ही शिक्षकों का जान-पहचान, उनकी जाति व सामाजिक-प्रभाव के आधार पर चयन कर लिया जाता रहा है। युवक व युवतियां बड़ी-बड़ी बातें व वायदें करके चयन समिति के सदस्यों को बेवकूफ बनाया करते रहे हैं। श्री नवदीप कुमार जी ने कहा कि एक शिक्षक लगभग 40 वर्ष की नौकरी करता है। वह युवकों के चरित्र निर्माण में एक दिन का भी योगदान नहीं करते। वह देश व समाज को बेवकूफ बनाते हैं। उन्होंने कहा कि सभी शिक्षकों के साथ यह दुर्गति लगी हुई है। बच्चे ज्ञान प्राप्ति व चरित्र निर्माण के लिये नहीं अपितु परीक्षा में पास होने के लिये पढ़ाई करते हैं। उन्होंने अपने लगभग 40 वर्षों के अध्यापन के अनुभव के आधार पर बताया कि आज स्थिति यह है कि बी.ए. व एम.ए. पढ़े व्यक्ति हिन्दी में एक पैराग्राफ भी ठीक से नहीं लिख पाते। एक पैराग्राफ में चार-पांच गल्तियां मिलती हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षकों का भी यही हाल है।

 

                प्रो. नवदीप कुमार जी ने सीबीएसई के निर्देशों की चर्चा भी की जिसमें शिक्षकों को क्रोध का व्यवहार न करने की सलाह दी गई है। नवदीप कुमार जी ने कहा कि बच्चे शिक्षकों से प्रश्न पूछते हैं। शिक्षक को उनका उत्तर पता नहीं होता। वह प्रश्न पूछने वाले बच्चों पर क्रोधित होते हैं। इस कारण वह बच्चों को कक्षा में प्रश्न पूछने के लिये मना कर देते हैं और उसे अलग से अपने पास आने को कहते हैं जिससे अपनी अयोग्यता को छिपा सकें। प्रो. नवदीप कुमार जी ने कहा कि जब कक्षा में विद्यार्थी अपने शिक्षक से प्रश्नोत्तर करते हैं तब ज्ञान की वृद्धि होती है। आजकल के शिक्षक बच्चों को ठीक से न पढ़ाकर उन्हें परीक्षा में पास होने के शार्टकट बताते हैं। कहते हैं कि इन प्रश्नों व अनुक-अमुक अध्याय को तैयार कर लो तो पास हो जाओगे जबकि उनको पूरी पुस्तक पढ़ानी चाहिये।

 

                डा. नवदीप कुमार जी ने श्रोता आर्य सज्जनों को प्लेटों के विचार भी बताये। उन्होंने कहा कि युवकों की जैसी शिक्षा होगी वैसा ही उन युवकों का चिन्तन व विचार बनेंगे। जैसे देश में युवक होंगे वैसी ही राजनीति होगी। उन्होंने कहा कि इस शिक्षा व्यवस्था के चलते देश के सत्तर वर्ष बीत गये हैं। इसी प्रकार की शार्टकट शिक्षा, चिन्तन प्रणाली और राजनीति देश में चली है। प्रो. नवदीप कुमार जी ने शिक्षा व्यवस्था की अनेक खामियों एवं इसमें होने वाली अनेकानेक अनियमितताओं पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि ऐसी स्थिति में राष्ट्र का निर्माण नहीं हो सकता। डा. नवदीप कुमार जी ने देश के संविधान की भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि देश के बड़े बड़े लोगों ने संविधान की प्रशंसा की है। इस संविधान को विश्व का सर्वश्रेष्ठ संविधान माना जाने लगा। डा. नवदीप जी ने डा. सम्पूर्णानन्द जी के विचार भी श्रोताओं को बतायें। उन्होंने कहा कि डा. सम्पूर्णानन्द जी ने कहा था कि भारत के सविधान में भारतीयता व भारत नाम के कहीं दर्शन नहीं होते। नवदीप जी ने कहा कि नेहरु व उनके साथी ऋषि दयानन्द और वेदों को प्रतिक्रियावादी कहते थे। उन्होंने कहा कि शताधिक क्रान्तिकारियों के जीवन का बलिदान व्यर्थ चला गया। उनके स्वप्नों एवं भावनाओं को देश के संविधान तथा देश की राजनीति व शिक्षा व्यवस्था में स्थान नहीं मिला। नवदीप जी ने एक जज महोदय के विचारों से भी श्रोताओं को अवगत कराया जिन्होंने टिप्पणी करते हुए कहा था कि देश के पूरे प्रशासन में भ्रष्टाचार व्याप्त हो गया है। नवदीप जी को जो समय दिया गया था वह पूरा हो चुका था। अतः उन्होंने यहीं पर अपनी वाणी को विराम दिया। श्रोताओं ने उनके विचारों को ध्यान से सुना व उनकी सराहना की।

 

                आर्य उप प्रतिनिधि सभा, देहरादून के प्रधान श्री शत्रुघ्न कुमार मौर्य ने भी श्रोताओं को सम्बोधित किया। उन्होंने कहा कि आज भी आर्यसमाज प्रासंगिक है और हमेशा रहेगा। उन्होंने इसके अनेक कारण बताये। उन्होंने कहा कि देश में आध्यात्मिकता का प्रचार करने सहित देश से अज्ञान व अन्धविश्वासों को दूर करने तथा समाज में व्याप्त मिथ्या प्रथाओं व कुरीतियों को समाप्त करने का कार्य करने के लिये आर्यसमाज सदैव प्रासंगिक रहेगा। उन्होंने कहा कि देश व समाज के जो आदर्श हैं, उन्हें अभी पूरा किया जाना है। हम उन आदर्शों को भूल चुके हैं व उनसे बहुत पीछे हैं। उन्होंने कहा कि हमारी शिक्षा बच्चों को सत्य बोलना व सत्य का आचरण करना नहीं सिखाती। इस कार्य में हम असफल हैं। उन्होंने कहा कि देश में जो वातावरण है उसमें हमारी धर्म व संस्कृति पर घोर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। हमें इसकी रक्षा की चिन्ता है। इसलिये भी आर्यसमाज की आवश्यकता है व रहेगी। श्री मौर्य ने कहा कि देश में जो अच्छे व बुरे काम होते हैं, उन पर आर्यसमाज को अपनी प्रतिक्रिया देनी चाहिये और बुराईयों का डट कर खण्डन और विरोध करना चाहिये। श्री मौर्य जी ने मोदी सरकार के नागरिक संशोधन कानून सहित कश्मीर से धारा 370 को हटाने तथा एन.आर.सी. लागू करने का समर्थन किया। उन्होंने 3 जनवरी 2020 को नगर में एक जागरुकता यात्रा निकालने की जानकारी भी दी। ओ३म् शम्।

-मनमोहन कुमार आर्य

पताः 196 चुक्खूवाला-2

देहरादून-248001

फोनः 9412985121


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