स्टेशन निवासी व लॉ फर्म कोटा के संस्थापक एवं समाजसेवी मनोज जैन (अधिवक्ता) की 80 वर्षीया माताजी श्रीमति कुसुम जैन जी का बुधवार सुबह कोटा के एमबीएस अस्पताल में निधन हो गया। मनोज जी मूलतःअशोक नगर (म.प्र.) के रहने वाले है,पर काफ़ी समय से वह अपने पिता श्री केवलचंद जैन जी के साथ कोटा में ही रह रहे थे । मनोज जी को घर से मिले संस्कार के कारण वह अपनी कानूनी प्रेक्टिस के बाद जब भी समय मिलता था,वह साथ साथ सामाजिक कार्यों से जुड़े रहते थे ।
एक माह पहले भी इनके सहयोग से जैन मंदिर स्टेशन पर निशुल्क चिकित्सा शिविर व शाइन इंडिया फाउंडेशन के सहयोग से नेत्रदान जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया था । परिवार के सभी लोग नेत्रदान-अंगदान के प्रति काफ़ी सजग है,स्वंय कुसुम जी ने अपने पति व पुत्रों को भी कह रखा था कि जब भी मेरा अंतिम समय आता है,तो नेत्रदान जरूर करवा देना,कम से कम मेरी आँखो से किसी को रौशनी तो मिलेगी ।
परंतु जैसे ही सुबह माँ की मृत्यु हुई,तो इन सब बातों का ख्याल नहीं रहा । माँ की मृत्यु के बाद सबसे पहले पिता को संभाला,उसके बाद पैतृक गाँव अशोक नगर में रह रहे अपने भाईयों,मित्रों व क़रीबी रिश्तेदारों को माँ के निधन की सूचना दी । उसके बाद तुरंत अशोक नगर निकलने की तैयारी शुरू कर दी । जाने से पहले,उन्होंने अपने क़रीबी मित्रों को माँ के निधन व स्वंय के अशोक नगर निकलने की सूचना व्हाट्सएप पर डाल दी । यह सूचना उसी समय शाइन इंडिया फाउंडेशन के सदस्यों को भी मिली ।
उसके बाद मनोज जी को संपर्क किया,तो वह घर से माँ के पार्थिव शरीर को लेकर अशोक नगर के लिये रवाना हो चुके थे । संस्था सदस्यों ने उनसे अनुरोध किया कि यदि आप बीच राह में 10 मिनट का समय दें,तो नेत्रदान का नेक कार्य सम्पन्न हो सकता है। मनोज जी ने जैसे ही नेत्रदान का शब्द सुना,उनको अपनी माँ की बात ध्यान आ गयी,पिता जी उनके साथ कार में ही थे,उनसे सहमति लेने के बाद उन्होंने संस्था सदस्यों को कहा कि यदि सब काम 10 मिनट में हो जाता है तो,क्या बाराँ रोड पर रुक कर यह प्रक्रिया बीच राह में हो सकती है ।
संस्था सदस्यों ने तुरंत आने का कह कर,पुलिस अधीक्षक परिसर में नेत्रदान प्रकिया करने का निर्णय लिया । इसके लिये संस्था सदस्यों ने पुलिस अधीक्षक श्री दीपक भार्गव जी से आज्ञा ली । आई बैंक के तकनीशियन के साथ संस्था सदस्यों की टीम एस पी ऑफिस परिसर में पहुँची, फिर वही 10 मिनट में ही नेत्रदान प्रक्रिया पूरी हुई । पुलिस विभाग के स्टाफ़ ने भी मौके पर पूरी प्रकिया को देखा, उनको भी यह भ्रम था कि नेत्रदान की प्रक्रिया अस्पताल में ही सम्पन्न होती है। नेत्रदान की प्रक्रिया के बाद संस्था सदस्यों ने शोकाकुल परिवार को प्रशस्ति पत्र भेंट किया । ज्ञात हो कि,मनोज जी ने सपत्निक देहदान का संकल्प शाइन इंडिया फाउंडेशन के साथ भरा हुआ है। संस्था सदस्यों ने मनोज जी और उनके पिता केवलचन्द जी का आभार प्रकट करते हुए कहा कि,शोक की घड़ी होने पर भी परिजनों का यह प्रयास बेहद अनुकरणीय है,व शहर वासियों के लिये प्रेरणादायक है ।