विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर राजकीय सार्वजनिक मण्डल पुस्तकालय, कोटा में ग्रीन लाइब्रेरी संकल्पना” को साकार करते हुए विविध गतिविधियाँ आयोजित की गईं। कार्यक्रम की शुरुआत पौधरोपण से हुई, जिसमें पर्यावरण प्रेमियों, पाठकों एवं पुस्तकालय स्टाफ ने भाग लिया। साथ ही, पर्यावरणीय जागरूकता को बढ़ावा देने हेतु पर्यावरण विषयक पुस्तकों की विशेष प्रदर्शनी लगाई गई।
इस अवसर पर आयोजित “हम पेड़ नहीं कटने देंगे” विषयक संवाद कार्यक्रम में पर्यावरण संरक्षण के प्रति समर्पित अनेक विशिष्ट अतिथियों ने अपने विचार साझा किए। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे रमेश चौहान, प्रदेशाध्यक्ष, विश्व पर्यावरण संरक्षण मिशन, राजस्थान ने कहा - "पुस्तकालय जैसे बौद्धिक केंद्रों से यदि पर्यावरण संरक्षण की आवाज़ उठती है, तो यह समाज में चेतना लाने का सशक्त माध्यम बनता है। अगली पीढ़ी को सुरक्षित पर्यावरण देना हमारी ज़िम्मेदारी है।" मुख्य अतिथि पर्यावरणविद श्री राजू गुप्ता ने कहा - "प्रकृति के साथ संतुलन ही जीवन का मूल है। पेड़ों को बचाना केवल एक दायित्व नहीं, बल्कि भविष्य की सुरक्षा है।"
विशिष्ट अतिथि पर्यावरण प्रेमी श्री बिगुल कुमार जैन ने कहा - "पुस्तकालयों में हरियाली लाकर हम ज्ञान के साथ-साथ जीवन को भी समृद्ध कर सकते हैं। ‘ग्रीन लाइब्रेरी’ जैसी पहलें आज की सबसे बड़ी ज़रूरत हैं।" अति विशिष्ट अतिथि पर्यावरणविद डॉ. रमेश अग्रवाल ने अपने संबोधन में कहा - "आज पर्यावरण संकट वैश्विक स्तर पर सबसे बड़ी चुनौती है। ऐसी स्थिति में पुस्तकालयों का हस्तक्षेप स्वागतयोग्य है। यदि हर पुस्तकालय 'हरित पुस्तकालय' बने तो यह न केवल जागरूकता का केंद्र होगा, बल्कि पर्यावरणीय सुधार की शुरुआत भी यहीं से होगी। नई पीढ़ी को प्रकृति के प्रति संवेदनशील बनाना ही इस समय की मांग है, और यह कार्य पुस्तकालयों के माध्यम से सशक्त रूप से किया जा सकता है।"
संभागीय पुस्तकालयाध्यक्ष डॉ. दीपक कुमार श्रीवास्तव ने अपने प्रेरणास्पद उद्बोधन में कहा - "पुस्तकालय अब केवल पुस्तकों तक सीमित नहीं रह गया है, यह समाजिक चेतना, सतत विकास और पर्यावरणीय दायित्वों का मंच बन चुका है। ‘ग्रीन लाइब्रेरी’ की संकल्पना के तहत हमारा उद्देश्य है कि पुस्तकालय प्रकृति के संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाए।"
इस सफल आयोजन में डा. शशि जैन ने कार्यक्रम प्रभारी की भूमिका निभाई, जबकि रामनिवास धाकड़ ने कार्यक्रम समन्वयक के रूप में योजनाओं को क्रियान्वित किया। रोहित नामा एवं श्री अजय सक्सेना ने कार्यक्रम प्रबंधन में अहम योगदान दिया। पुस्तक प्रदर्शनी, पौधरोपण और संवाद सत्र की झलकियाँ उपस्थित पाठकों के लिए अत्यंत प्रेरणादायक रहीं।