कोटाराजस्थान सरकार के रवैया से कोटा का विधि महाविद्यालय की मान्यता खतरे में नजर आ रही है।राजस्थान सरकार के रवैया से कोटा में निजी विधि महाविद्यालय पनप रहे हैं। कोटा विधि महाविद्यालय के जमीन की बात करें तो वह भी पर्याप्त नहीं है। कोटा विधि महाविद्यालय में प्रवेश करने के बाद नए छात्रों को विधि मां विद्यालय होने की फीलिंग ही महसूस नहीं होती ऐसा लगता है कि किसी सरकारी प्राथमिक विद्यालय में आ गए हो। कोटा विधि महाविद्यालय का प्रवेश द्वार ही कच्चा पड़े होने के कारण चारों तरफ खास और झाड़ियां उगी हुई है। बिल्डिंग में प्रवेश करने के बाद सामने एक हाल और साइड पर 24 कमरे बने हुए नजर आते हैं। विधि महाविद्यालय के प्राचार्य के रूम में प्राचार्य के साथ और दो-तीन लोग काम करने वाले बैठे हुए नजर आते हैं। ना तो प्रिंसिपल रूम का डेकोरम नजर आता है न ही स्टाफ पूरा नजर आता है। सरकार विधि महाविद्यालय के प्राचार्य से अधूरी व्यवस्थाओं से विधि महाविद्यालय चलवाना चाहती है और कोई कमी रहती है तो उसके लिए प्रिंसिपल को जिम्मेदार ठहराने का काम कर रही है। कोटक विधि महाविद्यालय को एक तो कम जमीन आवंटित की गई और उसे पर उसकी बाउंड्री वॉल भी नहीं कराई गई। विधि महाविद्यालय की परिसर में ना तो छात्रों की वाहनों के खड़े होने की पार्किंग है और ना ही उनके लिए खेल का मैदान है। परिसर में गहरे गड्ढे झाड़ियां और चारों तरफ घांस हुई है। विधि महाविद्यालय की बिल्डिंग की बात करें तो उसमें अभी से ही दरारें आ चुकी हैं। प्राचार्य विधि महाविद्यालय की प्राचार्य के प्रयासों से शासन मंत्री शांति धारीवाल ने विधि महाविद्यालय में तीन कमरे बनाने की मदद की है वही विधि महाविद्यालय की बाउंड्री भारतीय जनता पार्टी की विधायक चंद्रकांता मेघवाल सहयोग से चल रही है। राजस्थान सरकार विधि महाविद्यालय के लिए अगर 60 लाख का बजट पास कर देती तो विधि महाविद्यालय के बहुत सारे काम हो जाते जिससे उसकी मान्यता मिलने में कोई भी परेशानी नहीं आती। विधि महाविद्यालय की मान्यता के लिए जिन की नॉम्स आवश्यकता होती है ईमानदारी से उन नॉम्स को कोटा का विधि महाविद्यालय पूरा नहीं कर पा रहा है। प्राचार्य तब व्यवस्था सुधारेगा जब उसको धन, साधन और कर्मचारी उपलब्ध कराए जाएंगे।
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