कोटा । सम्मेद शिखर तीर्थ को पर्यटन स्थल बनाने की घोषणा वापस लेने की मांग को लेकर आज कोटा का जेनर समाज का जन सैलाब कोटा की सड़को पर उमड़ा। रेली लगभग डेढ़ किमी लंबी थी जिसमे बड़ी तादात में महिलाएं भी शामिल हुईजो भजन गाते हुए, हाथों में तख्तियां लेकर चल रही थी। बाद में कलेक्ट्रेट चौराहे पर सभा की। जहां मुनि शुद्धसागर ने संबोधित किया।सकल जैन समाज के लोगों का कहना है कि झारखंड की पूर्व सरकार की अनुशंसा पर भारत सरकार द्वारा जारी गजट नोटिफिकेशन के तहत सम्मेद शिखर तीर्थ को पर्यटन स्थल बनाने की घोषणा की है। इससे जैन समाज में आक्रोश है। सम्मेद शिखर जैनियों का तीर्थ है। जैनियों की पवित्र भावना है, वहां जूते चप्पल नहीं ले जाते, वहां खाना पीना अलाव नहीं है। जब तक वंदना नहीं करते।इस तीर्थ से समाज के लोगो की पवित्र भावना जुड़ी है । उसको पर्यटन स्थल बनाने का विरोध करने आए हैं। हमारी मांग है कि सरकार पर्यटन स्थल घोषित करने की घोषणा को वापस लें और इसे निरस्त करें। यह तीर्थ जैनियों का है इसे जैनियों का ही रहने दें। हम किसी भी कीमत पर इसे पर्यटन स्थल घोषित नहीं होने देंगे हम अहिंसक जैन समाज है। हिंसा पर उतरने मजबूर ना किया जाए।
जैन समाज के संतो और नेताओं ने सरकार को चेतावनी दी कि झारखंड सरकार ने कानून को रद्द नहीं किया तो बड़ा आंदोलन किया जाएगा। जैन समाज के नेता विमल जैन पंकज मेहता, अमित धारीवाल ने भी सरकार को चेतावनी दी कि जैन समाज के लोगो ने कलेक्ट्री चौराहे पर प्रदर्शन करने के बाद जिला कलेक्टर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर जापान सौंपा। ज्ञापन में लिखा की "पारसनाथ पर्वतराज" को वन्य जीव अभ्यारण्य, पर्यावरण पर्यटन के लिए घोषित इको सेंसिटिव जोनके अन्तर्गत जोनल मास्टर प्लान व पर्यटन मास्टर प्लान, पर्यटन/धार्मिक पर्यटन सूची से बाहर किया जाए।
पर्वतरा को बिना जैन समाज की सहमति के इको सेंसिटिव के अन्तर्गत वन्य जीव अभ्यारण्य का एक भाग ओर तीर्थ माना जाता है लिखकर तीर्थराज की स्वतंत्र पहचान व पवित्रता"पारसनाथ पर्वतराज" और मधुबन को मांस मंदिरा बिक्री मुक्त पवित्र "जैन तीर्थस्थल घोषित किया जाए।
पर्वतराज की वन्दना मार्ग को अतिक्रमण, वाहन संचालन व अभक्ष्य सामग्री बिक्री मुक्त कर यात्री पंजीकरण, सामान जांच हेतु CRPF व स्कैनर, CCTV कैमरे सहित दो चैक पोस्ट चिकित्सा सुविधा सहित बनाये जाऐ। पर्वतराज से पेड़ो को अवैध कटान, पत्थरों का अवैध खनन और महुआ के लिए आग लगाना प्रतिबंधित हो।नष्ट करने वाली झारखण्ड सरकार की अनुशंसा पर केन्द्र वन मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचनार क्र. 2795 (ई) दिनांक 02 अगस्त 2019 को अविलम्ब रद्द किया जाय।
जैन तीर्थकरों और अनंतर संतों की मोक्षस्थल श्री सम्मेद शिखर जी "पारसनाथ पर्वतराज", गिरिडिह (झारखण्ड) की स्वतंत्र पंचहान, पवित्रता और संरक्षण हेतु रविवार 11 दिसम्बर 2022 को विश्व जैन संगठन (पंजी) द्वारा आयोजित देशव्यापनी "श्री सम्मेद शिखर जी बचाओ आन्दोलन" के समर्थन में विशाल सभा व रैली में निकाली गई।