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घरों में लग रहे ताले चोर के लिए नहीं अपनों के लिए-सुधा सागर जी

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18 Oct 21
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घरों में लग रहे ताले चोर के लिए नहीं अपनों के लिए-सुधा सागर जी

कोटा ।  जिस पाप को करने के लिए गुरू से डर लगे तो वह पाप नहीं करना चाहिए। गुरू के दरबार में बहिष्कार हो गया तो कहीं भी जगह नहीं मिलेगी। जैन कुल में जन्म नहीं होगा। गुरू के लिए शीश भी देना पडे तो सस्ता है। ये बात चद्रोदय तीर्थ क्षेत्र चांदखेडी जैन मंदिर खानपुर में चातुर्मास के दौरान चल रहे मंगलकारी प्रवचन में मुनि पुंगव सुधासागर जी महाराज ने व्यक्त किए। सुधा सागर जी ने कहा कि गुरू के लिए हर पाप छोडने के लिए तैयार रहो। उन्होंने पिता पुत्र के सम्बंध में धर्म व दान करने, सास बहु के रिश्तों में विश्वास का अभाव के साथ दान का महत्व बताते हुए कहा कि पिता को दान करने से पहले यदि बेटे से पूछना पडे तो पाप कर्म होगा, सास बहु के लिए ताला लगाए और बहु सास के लिए लगाए तो समझो उस घर का विनाश निश्चित है। धर्म के लिए पिता दान करे और उसके लिए बेटे से पूछना पडे तो समझो छठा काल आ गया। बेटे को अच्छा काम भी पिता व गुरू से पूछकर करना चाहिए। हर बेटे को पिता को धर्म और दान के लिए आजादी देनी चाहिए। उन्होंने दान का महत्व बताते हुए कहा कि कभी भी गुप्त दान नहीं करना चाहिए। गुप्त दान वही करता है जो पाप करता है। किसी भी धर्म व शास्त्र में गुप्तदान का वर्णन नहीं हैं। दान को खुलकर सभी के सामने करना चाहिए। गुप्तदान का अर्थ पाप का दान है। खाना भी कभी  छुपकर नहीं खाना चाहिए, सबके सामने खा सकें वहीं खाना उत्तम है।

दुश्मन के लिए दवा देनी पडे तो देनी चाहिए
सुधा सागर जी ने कहा कि अच्छे लोगों की भी लोग बुराई करते हैं। हमे अपने दुश्मन के लिए दवा देनी पड जाए तो देना चाहिए। डॉक्टर से बीमारी छुपाना और माता पिता से बुराई नहीं छुपानी चाहिए। उन्होंने कहा कि हमे माता पिता को धर्म व दान करने की आजादी देनी चाहिए। वहीं पिता को भी अपने बेटों को धर्म के रास्ते पर लगाना चाहिए। चांदखेडी के अध्यक्ष हुकम जैन काका ने बताया कि मुनि संघ के सानिध्य में चल रहे प्रवचन के दौरान रविवार को दान, पुण्य, विश्वास, कर्म, धर्म और रिश्तों का महत्व बताया। उन्होंने जीवन को सफल बनाने के कई मार्ग बताए। कमेटी के महामंत्री नरेश जैन वैद, कोषाध्यक्ष गोपाल जैन, अजय बाकलीवाल, महावीर जैन, प्रशांत जैन, कैलाश जैन भाल सहित कमेटी के सदस्यों द्वारा कार्यक्रम की भव्यता के लिए किए गए प्रयास अविस्मरणीय हो गए हैं। मुनि श्री के संघ में मुनि महासागर महाराज, मुनि निष्कंप सागर महाराज, क्षुल्लक गंभीर सागर और धैर्य सागर महाराज की उपस्थिति में श्रावकों को धर्म लाभ प्राप्त हो रहा है।


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