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आज की राजनीति में गद्दारो को पुरस्कार वफादारों को मिलने लगा है तिरस्कार

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27 Jul 21
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आज की राजनीति में गद्दारो को पुरस्कार वफादारों को मिलने लगा है तिरस्कार

अजीब सियासी बदलाव है , गद्दारों को सज़ा की जगह पुरस्कार , वफादारों को पुरस्कार की जगह तिरस्कार ,,यही चला तो हो जायेगा हमारी विरासत , हमारी संस्कृति का अंतिम संस्कार , जी हाँ ,,  इन सात सालों में बहुत कुछ गिरा , लेकिन नेताओं का चरित्र , ,खरीद फरोख्त , ब्लेकमेलिंग , दल बदल ,, और ऐसे लोगों  को मंत्री पद , ज़िम्मेदार पद देने जैसी लगातार घटनाओं को लेकर, यह चरित्र ,,   बेहिसाब गिरा है ,, और इसीलिए गिरावट के मामले में , सत्तर सालों पर यह सात साल भारी है , जबकि विकास के मामले में , यह सात साल सत्तर सालों के मुक़ाबिल मुंग में सफेदी  की तरह भी नहीं है ,, जी हाँ दोस्तों , मेरा  भारत महान ,, सारे  जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा , स्वाभिमानी हिंदुस्तान , शाइनिंग इण्डिया , विश्व गुरु था , रुपया उच्च स्तर पर था , कल्याणकारी योजनाओं की भरमार थी , ,लेकिन अब , ठेकेदारी प्रथा है , नीलामी है , कीमतों में बढोत्तरी है , सब्सिडी खत्म है , पेट्रोल की क़ीमते सातवें आसमान पर है , रूपये की गिरावट , की क्या हालत है , हर अर्थशास्त्री जानता है , सरकार प्रबंधन फेल्योर है , जासूसी , फिर जासूसी की घटनाये आम है , किसानों की स्थिति देश से छुपी  नहीं है , बदले की कार्यवाही के तहत जो कुछ भी हो रहा है ,वोह खुद सुप्रीम कोर्ट ने , राजद्रोह के मुक़दमे की सुनवाई के दौरान , इस धारा को को हटाने के मामले में , अपना इरादा जता दिया है, , शिक्षा का स्तर , चिकित्सा का स्तर , रोज़गार के अवसर , कृषि उत्पादों की गुणवत्ता ,, विकास दर के आंकड़े , सीमाओं पर सुरक्षा की ज़िम्मेदारियाँ , और बस ,, अख़बारों , चेनल्स पर , भटकजनों की दास्ताने , ना रोटी की बात , ना रोज़गार की बात , ना सुशासन की बात , ना देश के विकास की बात , बस , राजद्रोह , सत्तर साल में क्या किया , तुमने भी तो ऐसा किया था , तू हिन्दू , तू मुसलमान , तू पाकिस्तान चले जा , जुमलों की अजीब कहानी है , लव जिहाद , तो मोब लिंचिंग ,, मंदिर , मस्जिद , शिद्द्त से है ,, खेर सरकारें है , सरकारें अपनी तरह से काम करती है , लेकिन चुनी हुई सरकारों को गिराती नहीं , रिश्वत खोरी को बढ़ावा देकर , तोलमोल के नाम पर , आया राम गया राम को बढ़ावा देकर , चुनी हुई सरकारें गिराना , अपनी सरकारें बनाना , तोड़ फोड़ , फिर उन्हें पुचकारना , उन्हें अहम पदों पर , बैठाना , बगावत के स्वर जिसके है , उसे डोरें डालकर , एजस्ट करना , यह लम्बी कहानियां है , बढे उदाहरण है , लेकिन इससे देश के हालात अंतरर्राष्ट्रीय स्तर पर बिगड़ रहे है , इस छवि को बचाने के लिए अभी भी हमे सभी को मिलकर , कोई कारगर क़दम उठाना चाहिए ,,, देश में सत्तर साल की सियासत में  कांग्रेस भी रही , जनता पार्टी भी रही , भाजपा भी रही , भाजपा का समर्थन भी रहा ,, लेकिन इन सब के बाजवूद , ,उस वक़्त का शासन , इन सब से कई हज़ार गुना बेहतर , सैद्धांतिक , गरीबों का जनहितकारी , किसानों के लिए हितेषी रहा ,, अब ना किसान खुश , ना व्यापारी खुश , ना आम इंसान खुश , ना छात्र खुश , ना अध्यापक खुश , अस्पतालों की व्यवस्था , दवाओं का प्रबंधन , ऑक्सीजन का प्रबंधन , महामारी से संघर्ष कर , देश को बचाने की क्षमतावान बुद्धि हमने देख ही ली ,, कोरोना जैसी गंभीर बीमारी में ,टीकों को लेकर , जो कीमतों का विभाजन हुआ था , अगर राजस्थान के अशोक गहलोत , इस मामले में बगावत नहीं करते , संघर्ष नहीं करते , सुप्रीमकोट नहीं जाते , सुप्रीमकोर्ट केंद्र सरकार द्वारा , वेक्सीन उत्पादक कम्पनी से , हुए , केंद्र सरकार , राज्य सरकार , निजी अस्पतालों के एक ही उत्पादित वेक्सीन की , कीमतों में ज़मीन  आसमान के फ़र्क़ के मामले सवाल उठाकर , सभी रिकॉर्ड तलब नहीं करती , तो केंद्र सरकार बैकफुट पर नहीं आती और अगर ऐसा  नहीं होता , तो देश की जनता के टेक्स की मेहनत की कमाई में से , अट्ठारह हज़ार करोड़ रूपये , अतिरिक्त ,  वैक्सिंग कम्पनी के पास , हराम मोत में चले जाते , , ऐसी एक घटना नहीं ,  सैकड़ों , घटनाये है , क़िस्से है , फ़िज़ूलखर्चिया है ,, , बैंकों के लोन , उनकी माफ़ी , उसी कम्पनी को , क़र्ज़ माफ़ी के बाद , प्रभावशाली व्यक्ति के नाम नीलामी की बोली में देना फिर , उसी फेल्योर कम्पनी , के नाम पर , बैंकों से क़र्ज़   दिलवाने के क़िस्से अनेक है ,, खेर यह तो हुई देश की बातें , देश के हालातों की बातें , अब हम देश की नैतिकता की बात करने , जो खिलाफ बोले , उसे मसल दो , कुचल दो , छापे पढ़वा दो , जांचे शुरू करवा दो , प्रताड़ित करना शुरू कर दो , अभी हाल ही में दैनिक भास्कर का एपिसोड , इसके पहले ,ऍन डी टी वी का एपिसोड , और ना जाने कितने एपिसोड , देश ने देखे  है ,  इतना सब भी देश , देश के लोग सह लेते , पेट्रोल , डीज़ल की रोज़  कीमतों में वृद्धि दुगुनी कीमतों के लगभग लाकर खड़ी करने पर भी कोई ऐतराज़ नहीं , रसोई गैस , रोज़   मर्रा रसोई में काम आने वाले खाद्य पदार्थों की बेशुमार क़ीमत वृद्धि को भी देश बर्दाश्त कर ले , सीमाओं की सुरक्षा के खर्च के लिए , यह सब हो तो ठीक है , लेकिन सीमाओं की सुरक्षा पर, , छोटा सा ड्रोन आये , विस्फोट करे , चला जाए , फिर ड्रोन आने लगे , हमारी सेना को , ड्रोन गिराना पढ़ें ,, यह दुश्मन की साज़िश के खिलाफ चाक चौबंद व्यवस्था में ,, थोड़ी बहुत लापरवाही तो है ,, ,  इतना सब भी हो तो ठीक ,,  क्योंकि हमारे जांबाज़ सिपाही , फौजी , अपनी जान पर खेलकर , भारत माँ की रक्षा कर रहे है , दुश्मन को उनकी औक़ात याद दिला रहे है , चीन हो , पाकिस्तान हो , जो भी हो , उस  दुश्मन को भारत के वीर जवानों से खतरा है , हमारे जवानों की हिम्मत के आगे उनके घुटने पहले भी टिके है , आगे भी , उनकी कोई भी चाल , हमारे यह सेना के जवान , बर्दाश्त नहीं करेंगे , और उन्हें सबक़ सीखा देंगे ,,   देश में , अब  , सियासी चालबाज़ियों में , गद्दारों को पुरस्कार , वफादारों का तिरस्कार , ब्लैकमेलरों ,  को  ऊँचे ओहदे ,  ,मंत्री पद ,, वगेरा वगेरा मिलने की  नयी परम्परा से , वही , देश में , बागियों , जिन्हे हम डकैत कहते है , उनकी बगावत , या डकैती की  पुरानी मिलती जुलती कहानियां सच होने लगी है , एक सरकार जो चुनी हुई है , जिसके पास बहुमत के आंकड़े है , उनमे बगावत पैदा करना , लालच पैदा करना , खरीद  फरोख्त के साथ , या तो दल बदल , या फिर , बहुमत को कम करने के लिए , चुनी हुई सरकार के विधायक पदों से इस्तीफा देकर , सरकार को अल्पमत करना , फिर , भाजपा से चुनाव लड़ कर ,जीतना , मंत्री बनना , विधायक बनना , किसी मंत्री दर्जे का चेयरमेन बनना , वगेरा वगेरा , मालामाल के क़िस्से तो सभी जानते ,है  राजस्थान और , झारखंड  , महाराष्ट्र में तो ऐसे लोग पकडे गए ,, लेकिन फिर भी बगावत तो बगावत है , कई राज्यों ,में  यह गंदगी रही ,है और अब इन सात सालों में   ,, ऐसे बागी कहो , दल बदल कहो , गद्दार कहो , उनका खौफ , पार्टियों में बढ़ा है , जैसे पहले , बागी लोग , सिस्टम  हो , या फिर ज़िम्मेदार लोग हों , उनको डरा  धमकाकर , उन्हें नुकसान पहुंचाने का डर बताकर , अपनी मन मर्ज़ी चला लेते थे वही अब ,  आज की सियासत में सर उठा रहे है , पार्टी में नाराज़गी हुई , मनमर्ज़ी नहीं चली , तो पार्टी छोड़कर जाने की धमकी , पार्टियों के नेताओं से मन मर्ज़ी पद , मंत्री पद , की ज़िद ,  बगावती तेवर ,  बगावत  की  सज़ा की जगह उन्हें पुरस्कृत करने की परम्परा , फिर अगर ऐसा नहीं हो तो ,  सरकार गिरेगी , दल बदल लेंगे , इस्तीफा देकर , सरकारों को नुकसान पहुंचाएंगे और दूसरे दल में जाकर , उसकी सरकार बनवाएंगे , उस दल में वैचारिक भारी मतभेद के बाद भी जिस नेता की यह लोग गाली गलोच से  भी ज़्यादा , बुराई सार्वजनिक रूप से करते देखे गए , उसी नेता के अधीनस्थ , ज़िंदाबाद के साथ  उनके गुणगान करते हुए , मंत्री दर्जा पद ले लेंगे , मंत्री बन जाएंगे , दूसरे मन  चाहे काम करवाने लग जाएंगे , यह देश के सिद्धांतों के खिलाफ है  ,  देश  में  लोकतंत्र  की यह हत्या , , ब्लेकमेलिंग सियासत की पो बाराह ,,  आया राम गयाराम को भयंकर मन माने पुरस्कार की परम्परा , जो शुरू हुई है , वोह देश , देश की सियासत , देश की लोकतान्त्रिक प्रणाली , देश की सियासी पार्टियों , चुनावी व्यवस्थाओं देश के विकास , अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा के लिए , खतरनाक है , नुकसानदायक है ,, देश के राजनितिक चरित्र में ही जब गिरावट आ जाए , तो राजा बनकर शासन चलाने के चरित्र , चाल  चलन ,  के मामले ,में जनता  क्या उम्मीद कर सकती है  ,,  अपने दम पर चुनाव  जीतो ,,  अपने नेतृत्व में , बेहतर से बेहतर जनहितकारी काम करो , जनता को अपनी योजनाओं के साथ , अपनी तरफ आकर्षित करो , , हिन्दू , मुस्लिम , तू गद्दार , तू वफादार , तू राष्ट्रभक्त , तू देश छोड़ कर चले जा , वगेरा वगेरा छोड़कर , राष्ट्रहित की योजनाओं को गरीबों के हित की योजनाए चलाएं , जो वायदे किये है , वोह पूरी तरह से निभाओ , मूल्य नियंत्रित करो , , ,खाध पदार्थों में मिलावट के खिलाफ अभियान चलाओ , जमाखोरों , कम्पनी बनाकर ,भागने वालों , सहारा कम्पनी जैसे , कई लोग ऐसे है , जो आज भी , देश के  लाखों , लाख लोगों के करोड़ों करोड़ नहीं , अरबों रूपये अटका कर बैठे है , हर राज्य में , हर ज़िले में ,सहारा कम्पनी की वजह से हज़ारों खातेदार , खून के आंसू रो रहे है , किसी की बेटी की शादी रुकी हुई ,है  तो किसी के इलाज , किसी के मकान का ख्वाब पूरा नहीं हो सका है , ,देश को चरित्रवान बनाओ , ताज्जुब इस पर ,है के चरित्रवान होने का दम्भ भरने वाले लोग , संस्कारों की दुहाई देने वाले लोग , ऐसी खरीद फरोख्त , सरकारें , गिराने , बनाने , इस्तीफों के खेल , इधर से उधर आया राम गयारामों को , तिरस्कार की जगह पुरस्कार , बेशुमार पुरस्कार जैसी बेहूदा हरकतों पर , कोई जुबां नहीं खोलते है  , तो फिर ऐसे लोगों को कैसे संस्कारवान , कैसे सैद्धांतिक हम कहें ,, आप ही बताइएं , ,


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