कोटा । कोटा षहर की षिवसागर कॉलोनी निवासी ममता की गृहस्थी की गाडी अच्छी भली चल रही थी। अचानक समय ने करवट ली और कोरोना महामारी ने दो महिने पूर्व उसके पति मनोज प्रजापति को परिवार से छिन लिया। मनोज अपने पीछे पत्नी ममता सहित चार बेटियां, एक बेटा तथा विधवा-वृद्ध माता षांति बाई को छोडकर चल बसा। यहीं से ममता के परिवार पर मुसीबतों का अम्बार लग गया। अब घर में कमाने वाला कोई नहीं रहा। बडी बेटी 11 साल तथा सबसे छोटा बेटा 4 साल का है।
साध-संगत ने पौंछे आंसू
ममता पर आये संकट की सूचना जैसे ही रविवार को सेवादारों को मिली तुरन्त ममता के घर पहुंचे और परिजनों के आंसू पौंछे तथा हरसंभव सहयोग करते रहने का भरोसा दिलाया। मौके पर ही ममता एवं उसकी सासू मां को आटा, सभी तरह की दालें, तेल, साबुन, चाय-चीनी और अन्य आवष्यक रसोई के सामानों का एमएसजी किट सहित मूलभूत जरूरतों के लिए नकद सहयोग सौंपकर ढांढस बंधाया। उनको भरोसा दिलाया कि अब आप अकेले नहीं साध-संगत आपके साथ है। हालांकि उन्हें बीपीएल होने के कारण राषन सामग्री और अन्य सुविधाएं देय है।
माता षांति बाई एवं ममता की जुबानी
साध-संगत ने जब बताया कि डेरा सच्चा सौदा सिरसा के पूज्य गुरू डॉ. संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पावन प्रेरणा से मानवता भलाई के यह कार्य किये जाते हैं। इस पर उन्होंने अपने आंसू पौेंछते हुए कहा कि धन्य हैं वे सतगुरू जिनकी वजह से सेवादारों ने हमारे बिलखते हुए बच्चों के आंसू पौंछे हैं। सेवा में कोटा ब्लॉक के जोरावर सिंह इन्सां, कृश्ण मुरारी इन्सां, राजेन्द्र सिंह हाड़ा, अषोक इन्सां, इन्द्रजीत सिंह इन्सां, कालूराम इन्सां, परमानन्द इन्सां, रामखेलावन इन्सां, राजेष इन्सां, अनूप इन्सां बने भागीदार।